नई दिल्लीः इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो भारत के 76वें गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि हैं. समारोह में शामिल होने के लिए वो भारत पहुंच चुके हैं. शनिवार की सुबह राजघाट पर उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने आगंतुक पुस्तिका पर हस्ताक्षर भी किए. सुबियांटो के साथ विदेश राज्य मंत्री पाबित्रा मार्गेरिटा भी थीं. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर लिखा "बापू की स्थायी विरासत को श्रद्धांजलि."
इडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो की पहली भारत की राजकीय यात्रा है. इससे पहले दिन में, प्रबोवो सुबियांटो का नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत किया गया. प्रबोवो सुबियांटो ने कहा कि इंडोनेशिया भारत को बहुत अच्छा दोस्त मानता है. उन्होंने भारत के साथ घनिष्ठ सहयोग और करीबी साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की. अक्टूबर 2024 में उन्होंने पदभार ग्रहण किया है.
#WATCH | Delhi: Prabowo Subianto, President of Indonesia lays a wreath at Raj Ghat and pays tribute to Mahatma Gandhi. pic.twitter.com/m16zDsYwFf
— ANI (@ANI) January 25, 2025
इडोनेशिया के राष्ट्रपति ने कहा, "मुझे आधिकारिक तौर पर भारत आमंत्रित किया गया है. इंडोनेशिया भारत को बहुत अच्छा दोस्त मानता है. भारत उन देशों में शायद पहला देश जिसने हमारी स्वतंत्रता को मान्यता दी. स्वतंत्रता के लिए हमारे संघर्ष में हमारा समर्थन किया. हम कभी नहीं भूलेंगे कि भारत ने हमारी मदद के लिए क्या किया. मैं आज बहुत सम्मानित महसूस कर रहा हूं. कल मैं आपके गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि बनूंगा."
विदेश मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, भारत और इंडोनेशिया के बीच सहस्राब्दियों से मधुर और मैत्रीपूर्ण संबंध हैं. एक व्यापक रणनीतिक साझेदार के रूप में, इंडोनेशिया भारत की एक्ट ईस्ट नीति और इंडो-पैसिफिक के हमारे दृष्टिकोण का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है. इंडोनेशिया के राष्ट्रपति की राजकीय यात्रा नेताओं को द्विपक्षीय संबंधों की व्यापक समीक्षा करने के साथ-साथ आपसी हितों के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने का अवसर प्रदान करेगी.
इंडोनेशिया के पहले गणतंत्र दिवस अतिथि, राष्ट्रपति सुकर्णो को 1950 में सम्मानित किया गया था. दोनों देशों ने एशियाई और अफ्रीकी देशों के स्वतंत्रता आंदोलनों का समर्थन किया है. जिसका उदाहरण बांडुंग सम्मेलन और गुटनिरपेक्ष आंदोलन के गठन में उनकी भूमिका है. रक्षा के क्षेत्र में, दोनों देश हाल के वर्षों में करीब आए हैं, मई 2018 में रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जो उनकी बढ़ती रणनीतिक साझेदारी को दर्शाता है.
इसे भी पढ़ेंः