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सरकारी विज्ञापनों पर राज्यों में समिति न बनना अवमानना जैसा : सीसीआरजीए

सीसीआरजीए ने कहा है कि कुछ राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी सरकारी विज्ञापनों में विषय-वस्तु की नियमन पर अभी तक समितियों का गठन नहीं किया है. आदेशों का पालन नहीं होने की स्थिति में सीसीआरजीए संबंधित सरकारों की नोडल एजेंसियों द्वारा विज्ञापन जारी करने पर रोक लगा सकती है.

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Published : Sep 8, 2020, 10:18 AM IST

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सीसीआरजीए

नई दिल्ली : सरकारी विज्ञापनों में विषय-वस्तु के नियमन पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति ने कहा है कि कुछ राज्यों ने अभी तक समितियों का गठन नहीं किया है और इस देरी को शीर्ष अदालत के आदेशों की अवमानना के तौर पर देखा जा सकता है.

बीते सप्ताह शुक्रवार को 'सरकारी विज्ञापनों में विषय-वस्तु की नियमन समिति' (सीसीआरजीए) की ऑनलाइन बैठक हुई थी. सीसीआरजीए को लगता है कि उसके फैसले का अनुपालन नहीं होना गंभीर मामला है.

सोमवार को जारी बयान में कहा गया, 'सोची-समझी राय है कि सीसीआरजीए के आदेशों का पालन नहीं होने की स्थिति में समिति संबंधित सरकारों की नोडल एजेंसियों द्वारा आगे विज्ञापन जारी करने पर रोक लगाने को बाध्य हो सकती है, जो इस समिति के दायरे में आता है.'

बैठक की अध्यक्षता भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओम प्रकाश रावत ने की. इसमें दो अन्य सदस्यों- एशियन फेडरेशन ऑफ एडवर्टाइजिंग एसोसिएशन के रमेश नारायण और प्रसार भारती बोर्ड के अल्पकालिक सदस्य अशोक कुमार टंडन ने भी भाग लिया.

यह भी पढ़ें- ऋण पुनर्गठन : कामत समिति की सिफारिशों पर आरबीआई की स्वीकृति

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार राज्यों को सरकारी विज्ञापनों की सामग्री के नियमन पर अपनी-अपनी तीन सदस्यीय समितियों का गठन करना है.

बयान में कहा गया कि कर्नाटक, गोवा, मिजोरम और नगालैंड पहले ही राज्यस्तरीय समितियों का गठन कर चुके हैं. छत्तीसगढ़ सरकार ने केंद्रीय समिति को राज्य सरकार के विज्ञापनों की विषय-वस्तु पर निगरानी रखने की सहमति दी है.'

नई दिल्ली : सरकारी विज्ञापनों में विषय-वस्तु के नियमन पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति ने कहा है कि कुछ राज्यों ने अभी तक समितियों का गठन नहीं किया है और इस देरी को शीर्ष अदालत के आदेशों की अवमानना के तौर पर देखा जा सकता है.

बीते सप्ताह शुक्रवार को 'सरकारी विज्ञापनों में विषय-वस्तु की नियमन समिति' (सीसीआरजीए) की ऑनलाइन बैठक हुई थी. सीसीआरजीए को लगता है कि उसके फैसले का अनुपालन नहीं होना गंभीर मामला है.

सोमवार को जारी बयान में कहा गया, 'सोची-समझी राय है कि सीसीआरजीए के आदेशों का पालन नहीं होने की स्थिति में समिति संबंधित सरकारों की नोडल एजेंसियों द्वारा आगे विज्ञापन जारी करने पर रोक लगाने को बाध्य हो सकती है, जो इस समिति के दायरे में आता है.'

बैठक की अध्यक्षता भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओम प्रकाश रावत ने की. इसमें दो अन्य सदस्यों- एशियन फेडरेशन ऑफ एडवर्टाइजिंग एसोसिएशन के रमेश नारायण और प्रसार भारती बोर्ड के अल्पकालिक सदस्य अशोक कुमार टंडन ने भी भाग लिया.

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सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार राज्यों को सरकारी विज्ञापनों की सामग्री के नियमन पर अपनी-अपनी तीन सदस्यीय समितियों का गठन करना है.

बयान में कहा गया कि कर्नाटक, गोवा, मिजोरम और नगालैंड पहले ही राज्यस्तरीय समितियों का गठन कर चुके हैं. छत्तीसगढ़ सरकार ने केंद्रीय समिति को राज्य सरकार के विज्ञापनों की विषय-वस्तु पर निगरानी रखने की सहमति दी है.'

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