अयोध्या : अयोध्या शोध संस्थान के मुताबिक विश्व के जिन देशों में वैदिक संस्कृति रही है, वहां श्रीराम की उपस्थिति अब भी है. अयोध्या शोध संस्थान के अधिकारियों का कहना है कि रामायण इनसाइक्लोपीडिया (विश्वकोष) में विश्व भर में मान्यताओं के अनुरूप उपलब्ध राम के सभी प्रतिरूपों का संग्रह किया जा रहा है. रामायण इनसाइक्लोपीडिया के प्रत्येक खंड के लिए करीब 1100 पेज निर्धारित किए गए हैं. अधिकारियों का दावा है कि अब तक किसी भाषा में किसी आराध्य पर इस तरह का विश्वकोश नहीं बना है.
विदेशों में मिले प्रतीक चिह्नों पर जारी है रिसर्च
अयोध्या शोध संस्थान के अधिकारियों का दावा है कि भारत के अतिरिक्त विश्व के कई देशों में वैदिक संस्कृत के साक्ष्य मौजूद हैं. अमेरिका, अफ्रीका की खाड़ी, यूरोप में वैदिक संस्कृति की मान्यताओं के आधार पर प्रतीक चिह्न मिले हैं. बुलगारिया की चट्टानों पर स्वास्तिक चिह्न और बोत्सनिया हर्जेगोविना की रामे नदी भी शोध का विषय हैं.
रिसर्चर पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, न्यूजीलैंड, साउथ अफ्रीका, थाईलैंड, कंबोडिया, लाओस, फिलीपींस, मलेशिया, म्यामार इंडोनेशिया, ईरान, इराक समेत कैरेबियाई देशों, अमेरिका और यूरोप के देशों में भगवान राम से जुड़े मंदिरों और उसकी मान्यता को लेकर शोध कर रहे हैं.
देशभर के राम मंदिरों का होगा ब्यौरा
रामायण इनसाइक्लोपीडिया भारत की नई पीढ़ी के लिए भगवान राम से जुड़े तथ्यों को जानने के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत होगा. देशभर के सभी राम मंदिरों का संग्रह रामायण विश्वकोश में उपलब्ध होगा. देशभर के प्रत्येक राम मंदिरों के अधिकतम पांच चित्रों के साथ 500 शब्दों में उस मंदिर से जुड़ी सभी जानकारियां संग्रहित होंगी. रामायण इनसाइक्लोपीडिया का लोगो 10वीं शताब्दी के कोलंबिया स्थित मंदिर से लिया गया है. यह अनोखा संग्रह भगवान राम की विश्व में प्राचीन मान्यताओं को पुनः स्थापित करेगा.
इनसाइक्लोपीडिया का पहला अध्याय अयोध्या
रामायण इनसाइक्लोपीडिया उत्तर प्रदेश सरकार के कलाम संस्कृत विभाग की ओर से स्थापित अयोध्या शोध संस्थान के प्रयास से बन रहा है. इस विश्वकोश में कई अध्याय होंगे. इनसाइक्लोपीडिया का पहला अध्याय अयोध्या पर आधारित होगा. जिसमें अयोध्या की सांस्कृतिक और धार्मिक तथ्यों से संबंधित सूचनाएं होंगी. दूसरे अध्याय में अयोध्या के 65 शासकों और इक्ष्वाकुवंशी राजाओं के शासन काल की पूरी जानकारी होगी.
"श्रीराम विश्व जनमानस में आज भी किसी न किसी देव रूप में सम्मानित व्यक्तित्व हैं. श्रीराम से जुड़ा विश्वकोश वास्तव में विश्व के लिए बहुत अच्छा संदेश होगा. श्रीराम जी के जीवन चरित्र से लोग शिक्षा ले करके अपने जीवन को चरित्रवान और मंगलमय बनाएंगे."
-महंत आचार्य रामानंद दास, रामर्चा मर्मज्ञ