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अम्फान की त्रासदी : मां की आंखों के सामने तूफान ने निगल लिए दो जवान बेटे - दुनिया में सबसे दुर्भाग्यशाली

पश्चिम बंगाल में आए चक्रवात अम्फान ने हल्दिया जिले के मोहम्मदपुर की रहने वाली अर्चना सिंह की जिंदगी पूरी तरह बदल दी. चक्रवात आने से पहले उनका अपना खुशहाल परिवार हुआ करता था, लेकिन चक्रवात में अपने दो बेटों को खो देने वाली अर्चना खुद को बेबस और असहाय महसूस कर रही हैं.

अर्चना सिंह
अर्चना सिंह
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Published : May 25, 2020, 8:45 PM IST

Updated : May 25, 2020, 8:52 PM IST

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में आए चक्रवात अम्फान ने जमकर तबाही मचाई और न जाने कितने घरों को बर्बाद कर दिया. ऐसा ही एक घर हल्दिया जिले के मोहम्मदपुर की रहने वाली अर्चना सिंह का है, जो अपने पति और दो बेटों के साथ खुशी से रहती थीं. चक्रवात अम्फान ने उनकी पूरी दुनिया को बदल दिया.

अर्चना अपने परिवार के साथ एक झोपड़ी में रहती थीं. वह आर्थिक रूप से समृद्ध नहीं थे, लेकिन उनका परिवार खुशहाल था. 20 मई की शाम जब चक्रवात अम्फान ने तबाही मचाई, तो उनके परिवार के लोग प्लेट में एकदूसरे के साथ खाना साझा कर रहे थे और तेज आवाजें सुन रहे थे. इसके कुछ देर बाद चक्रवात के कारण एक पेड़ उनकी झोंपड़ी पर गिर गया.

दुनिया की सबसे दुर्भाग्यशाली मां अर्चना सिंह

उन्होंने बताया उनका पति चंदन मानसिक रूप से अस्वस्थ था. इसके बावजूद वह उन्हें बाहर निकाल कर ले आया. उसने अर्चना को खींच लिया, लेकिन अपने बेटों रंजीत (18) और प्रसेनजीत (16) को नहीं बचा सका.

उन्होंने बताया कि अपने बच्चों को आंखों के सामने मरते हुए देखने के बाद चंदन ने उस दिन के बाद एक शब्द भी नहीं बोला, जबकि अर्चना अपने बच्चों को अब भी तलाश कर रही है.

पढ़ें- कोलकाता : अम्फान में कॉलेज स्ट्रीट जलमग्न, डूबे पुस्तक प्रेमियों के सपने

वह खुद को नियंत्रित नहीं कर पा रही है. अर्चना बार-बार यही कह रही है कि 'मैं इस दुनिया में सबसे दुर्भाग्यशाली और दुखी मां हूं.' भले ही उसको सरकार से मुआवजा मिल गया हो, लेकिम अपने दोनों पुत्रों को खोने के बाद वह खुद को अब भी असहाय महसूस कर रही है.

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में आए चक्रवात अम्फान ने जमकर तबाही मचाई और न जाने कितने घरों को बर्बाद कर दिया. ऐसा ही एक घर हल्दिया जिले के मोहम्मदपुर की रहने वाली अर्चना सिंह का है, जो अपने पति और दो बेटों के साथ खुशी से रहती थीं. चक्रवात अम्फान ने उनकी पूरी दुनिया को बदल दिया.

अर्चना अपने परिवार के साथ एक झोपड़ी में रहती थीं. वह आर्थिक रूप से समृद्ध नहीं थे, लेकिन उनका परिवार खुशहाल था. 20 मई की शाम जब चक्रवात अम्फान ने तबाही मचाई, तो उनके परिवार के लोग प्लेट में एकदूसरे के साथ खाना साझा कर रहे थे और तेज आवाजें सुन रहे थे. इसके कुछ देर बाद चक्रवात के कारण एक पेड़ उनकी झोंपड़ी पर गिर गया.

दुनिया की सबसे दुर्भाग्यशाली मां अर्चना सिंह

उन्होंने बताया उनका पति चंदन मानसिक रूप से अस्वस्थ था. इसके बावजूद वह उन्हें बाहर निकाल कर ले आया. उसने अर्चना को खींच लिया, लेकिन अपने बेटों रंजीत (18) और प्रसेनजीत (16) को नहीं बचा सका.

उन्होंने बताया कि अपने बच्चों को आंखों के सामने मरते हुए देखने के बाद चंदन ने उस दिन के बाद एक शब्द भी नहीं बोला, जबकि अर्चना अपने बच्चों को अब भी तलाश कर रही है.

पढ़ें- कोलकाता : अम्फान में कॉलेज स्ट्रीट जलमग्न, डूबे पुस्तक प्रेमियों के सपने

वह खुद को नियंत्रित नहीं कर पा रही है. अर्चना बार-बार यही कह रही है कि 'मैं इस दुनिया में सबसे दुर्भाग्यशाली और दुखी मां हूं.' भले ही उसको सरकार से मुआवजा मिल गया हो, लेकिम अपने दोनों पुत्रों को खोने के बाद वह खुद को अब भी असहाय महसूस कर रही है.

Last Updated : May 25, 2020, 8:52 PM IST
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