नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि तीन तलाक की प्रथा एक बुराई थी. इसमें किसी को कोई संदेह नहीं है. इस दौरान शाह ने कांग्रेस पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस बेशर्म है, जो वोटों की राजनीति करती है और उसी के लिए ट्रिपल तलाक का समर्थन करती है.
उन्होंने कहा कि किसी बहन को रोड पर, किसी को वॉट्सऐप पर, किसी को यह कहकर कि रोटी जल गई है तो किसी से यह कहकर कि मोटी हो गई हो... ऐसे बेहूदे कारण देकर तीन तलाक दे देते हो. उन बहनों के बच्चों का क्या होता है.
शाह ने कहा कि तीन तलाक को खत्म करने की बात आती है तो बच्चों की याद आती है. मैं विरोध करने वालों को बताना चाहता हूं अब बच्चों के भरण-पोषण की जिम्मेदारी पति की है.
उन्होंने अपने संबोधन में कहा, 'मैं आपको बताना चाहता हूं कि सुप्रीम कोर्ट के कानून के बाद भी 345 महिलाओं ने सरकार से शिकायत की उन्हें तीन तलाक दिया. ये तो सिर्फ वो आंकड़ा है जो शिकायतें सरकार को मिलीं, बहुत सी महिलाएं तो शिकायत कर भी नहीं पाईं.'
शाह ने एक NGO का जिक्र करते हुए कहा, 'भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन नाम से एक एनजीओ है, जिसने 2015 में एक सर्वे किया था, जिसका एक विश्लेषण कहता है कि 92.1% मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक से मुक्ति चाहती हैं.'
उन्होंने कहा, 'मैं इस बात से बहुत संतुष्ट हूं और मुझे गौरव भी होता है कि तीन तलाक बिल के पक्ष में मैंने भी अपना वोट दिया.'
उन्होंने कहा कि मैं आज इस मंच से देश की करोड़ों माताओं-बहनों से एक नागरिक के नाते क्षमा मांगता हूं कि इतने वर्षों तक आपको यह कठिनाई सहनी पड़ी. साथ ही मैं बधाई देता हूं आगे का आपका जीवन बहुत शुभ होने वाला है.
उन्होंने कहा कि आपको अधिकार है अपने अस्तित्व को जताने का. गृहमंत्री ने कहा कि मैं देश के करोड़ों नागरिकों को कहना चाहता हूं कि वोट उसी नेता और पार्टी को देना चाहिए जो देश को प्रगतिशील राह पर ले जाए और देश को दुनिया में सर्वोच्च स्थान पर बैठाने की क्षमता रखता हो.
उन्होंने कांग्रेस नेता आरिफ को याद करते हुए कहा, 'मैं आज आरिफ मो. खान को याद करना चाहूंगा और उनको मन से सभी की ओर से धन्यवाद देना चाहूंगा. एक शख्स ऐसा था, जिसने राजीव गांधी सरकार से इस्तीफा दे दिया खुद मुसलमान होने के बावजूद. उन्होंने सत्ता छोड़कर तीन तलाक का विरोध करने का काम किया था.'
उन्होंने कहा, 'इसके बाद अक्टूबर, 2015 में स्पीड पोस्ट से शायरा बानो को उनके पति ने तीन तलाक दे दिया. इसके खिलाफ शायरा बानो ने केस किया।. 2017 में यह केस सुप्रीम कोर्ट में आया. संवैधानिक खंडपीड ने केस की सुनवाई करते हुए तीन तलाक को गैर इस्लामिक और गैर-संवैधानिक घोषित कर दिया.'
शाह ने कहा कि सबको लगता था कि शायरा बानो ने इतना कुछ सहा, लेकिन क्या फायदा, कौन सरकार फैसला करेगी. मगर इस बार भाजपा की सरकार थी और मोदी देश के प्रधानमंत्री. सरकार ने तय किया कि हम इस कुप्रथा को हमेशा के लिए खत्म करेंगे.
सरकार संसद में बिल लेकर आई, लोकसभा में बहुमत था तो वहां से पारित हो गया लेकिन राज्यसभा में कांग्रेस का बहुमत था तो वहां से बिल पास नहीं हुआ. दोबारा अध्यादेश बनाकर यही प्रक्रिया हुई लेकिन राज्यसभा में फिर वही हुआ.
उन्होंने कहा कि इस देश ने सती प्रथा खत्म की, किसी ने उसका विरोध नहीं किया. हमने बाल विवाह पर प्रतिबंध लगाया, कोई विरोध नहीं हुआ. ये सामाजिक सुधार हमने तो स्वीकार कर लिया. दहेज और सती कुप्रथाएं थीं, इन्हें खत्म करने की जरूरत थी.
उन्होंने कहा कि कई लोग भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हैं कि यह काम मुस्लिम विरोधी है. मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि यह काम केवल और केवल मुस्लिम समाज के फायदे के लिए है.
उन्होंने कहा, 'नारी को ईश्वर ने जो समानता का अधिकार दिया है, यह तीन तलाक कानून उसे ही स्थापित करता है. अगर आज भी हम यह न करते तो यह दुनिया के सामने भारत पर बहुत बड़ा धब्बा होता.'
उन्होंने कहा, 'ऐसा नहीं है कि यह लड़ाई आज की है. इस कुप्रथा के सामने मुस्लिम माताओं ने बहुत साल पहले लड़ाई शुरू की थी. इंदौर की रहने वाली शाह बानो जी को तीन तलाक दे दिया गया. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट तक न्याय की लड़ाई लड़ी.'
आगे बोलते हुए शाह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 23 अप्रैल 1985 को शाह बानो जी के पक्ष में फैसला दिया. उस वक्त 400 के बहुमत के साथ श्री राजीव गांधी शासन कर रहे थे.
उन्होंने कहा, 'वो दिन संसद के इतिहास में काला दिन माना जाएगा कि वोटबैंक के दबाव में आकर राजीव गांधी ने कानून बनाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निरस्त करके तीन तलाक को मुस्लिम महिलाओं पर थोप दिया.'
उन्होंने आरोप लगाया कि वोटबैंक के आधार पर सालोंसाल सत्ता में आने की आदत कुछ राजनीतिक पार्टियों को पड़ गई. इसी वजह से ऐसी कुप्रथाएं इस देश में चलती रहीं.
अमित शाह ने कहा कि इस बात की दुहाई दी जाती है कि तीन तलाक मुस्लिम शरीयत का अंग है, हमारे धर्म के रीति-रिवाजों में दखल न दिया जाए. मैं आज बताना चाहता हूं बांग्लादेश, अफगानिस्तान, मोरक्को, इंडोनेशिया, श्रीलंका, जॉर्डन समेत 19 देश ऐसे हैं, जिन्होंने 1922-1963 तक तीन तलाक खत्म कर दिया.
उन्होंने कहा कि हमें इस कुप्रथा को खत्म करने में 56 साल लग गए. इसका कारण कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति है.
उन्होंने कहा कि अगर यह इस्लाम संस्कृति का हिस्सा होता तो इस्लामिक देश इसे क्यों हटाते. यही बताता है कि यह प्रथा गैर-इस्लामिक है. इसे इस्लाम का समर्थन प्राप्त नहीं है.
अपने संबोधन में शाह ने आगे कहा कि कोई भी कुप्रथा हो, जब उसे निर्मूल किया जाता है तो उसका विरोध नहीं होता बल्कि उसका स्वागत होता है लेकिन तीन तलाक कुप्रथा को हटाने के खिलाफ इतना विरोध हुआ. इसके लिए तुष्टिकरण की राजनीति, उसका भाव जिम्मेदार है.
उन्होंने कहा कि इससे सिर्फ मुस्लिम समुदाय को लाभ मिलेगा, किसी और को नहीं. ऐसा इसलिए क्योंकि, हिंदु, ईसाई और जैन समुदाय इससे कभी पीड़ित नहीं रहा है.
शाह ने कहा कि वोट बैंक की राजनीति के कारण देश का कई प्रकार से काफी नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि तीन तलाक एक ऐसा ही उदाहरण है कि वोट बैंक की राजनीति के कारण कई वर्षों तक इस कुप्रथा को खत्म नहीं किया गया.
शाह ने कहा, 'जो तीन तलाक के पक्ष में खड़े हैं और जो इसके विरोध में खड़े हैं, उन दोनों के ही मन में इसको लेकर कोई संशय नहीं है कि तीन तलाक एक कुप्रथा है.'
अमित शाह ने कहा, 'यह सर्वविदित है कि तीन तलाक प्रथा करोड़ों मुस्लिम महिलाओं के लिए एक दुस्वप्न जैसी थी. उनको अपने अधिकारों से वंचित रखने की प्रथा थी.'
शाह ने कहा कि संसद में कुछ पार्टियों ने तीन तलाक के खिलाफ लाए गए बिल का विरोध किया. हालांकि, ये पार्टियों के नेता दिल से ये मानते हैं कि ये एक कुप्रथा है, जिसका अंत होना जरूरी था.
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बकौल शाह इन दलों में विरोध का साहस नहीं था.
गौरतलब है कि भारत की संसद ने तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाया है. ये कानून 19 सितंबर, 2018 से प्रभावी हुआ है.