नई दिल्ली : कांग्रेस ने सोमवार को केंद्र सरकार पर किसानों के खिलाफ जंग छेड़ने का आरोप लगाया, साथ ही बालाकोट एयर स्ट्राइक से पहले कथित तौर पर जानकारी लीक किए जाने और गणतंत्र दिवस पर कुछ उपद्रवी तत्वों के लाल किले में घुसने एवं धार्मिक ध्वज लगाने से जुड़े घटनाक्रम की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की मांग की. लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कई सारे विषयों को लेकर सरकार पर तीखे हमले किए. आइए इसे बिंदुवार जानते हैं.
किसानों के साथ बातचीत के बजाए आपने बिछाए कांटे
आप किसान से बातचीत क्यों नहीं कर रहे हैं. यह तो अहंकार है. इससे मानवता की क्षति हो रही है. आपने वहां पर कंटीले बैरियर लगा दिए. इंटरनेट बैन कर दिया. अत्याचार कर रहे हैं. आपके सांसद कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं हैं. ऐसा लगता है कि अब आपके हाथ से पंजाब और हरियाणा चला गया. यूपी भी गया. किसान हमारे भाग्यविधाता हैं. लेकिन आप कानून वापस ले नहीं रहे हैं.
'लाल किला की घटना में शामिल थे आपके लोग'
26 जनवरी को लाल किले पर जो भी कुछ हुआ, उसमें आपके समर्थक थे. आपके लोग शामिल थे. वरना ऐसी अभूतपूर्व सुरक्षा के बीच ऐसी घटना संभव ही नहीं है. किसान आंदोलन को बदनाम किया गया. अगर ऐसा नहीं है, तो जेपीसी जांच करवाइए. सरकार के पास सारे साक्ष्य मौजूद हैं. सीसीटीवी फुटेज है. वीडियो है. इसे सार्वजनिक कीजिए. हमलोगों को सभी फुटेज दिखाए. हम पहचान लेंगे, कौन दोषी है. आंदोलन को बलपूर्वक दबाया नहीं गया, तो आप छलपूर्वक बदनाम करना चाह रहे हैं. ये किसान आंदोलन सिर्फ पंजाब का नहीं है. पर, आप इसे ऐसा ही बार-बार बता रहे हैं. ये एक जनांदोलन का शक्ल ले लिया है.
'थनबर्ग के समर्थन से आप क्यों है नाराज'
स्वीडिश पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग से भी आप परेशान हैं. वह 18 साल की लड़की से आप इतने खफा क्यों हैं. विदेश मंत्रालय तक प्रतिक्रिया देने लगा. उसने किसान आंदोलन का समर्थन किया, तो इसमें क्या गलती है. इसके बजाए कि आप चिंतन करें, आप आलोचकों पर झपट पड़ते हैं. आप ये सोचिए कि ऐसे हालात पैदा ही क्यों हुए.
'सचिन-लता पर आपने बनाया दबाव'
आप लोगों ने सचिन तेंदुलकर और लता मांगेशकर जैसे कलाकारों पर दबाव बनाया. आपके आदमियों ने ऐसा किया. उनसे ट्विट करवा लिए आप उनका सहारा ले रहे हैं. उन्हें आपने गुमराह किया.
'बालाकोट में क्या हुआ, अब तक नहीं है पता'
पुलवामा घटना के समय आप किसी कार्यक्रम में व्यस्त थे. हमलोगों को जैसे ही इस घटना की जानकारी मिली, हम सब दुखी हुए. हमारे जवान शहीद हो गए थे. हमसब ने खेद व्यक्त किया. इसके बाद आपने बालाकोट एयर स्ट्राइक किया. वहां पर कितना नुकसान पहुंचा, अब तक पता नहीं है. हम जवानों पर शक नहीं कर रहे, लेकिन कितना नुकसान हुआ, इसे अब तक सार्वजनिक क्यों नहीं किया.
'अर्णब के खिलाफ हो जांच'
एक पत्रकार को बालाकोट एयर स्ट्राइक की जानकारी पहले क्यों मिल गई. कैसे हुआ यह सब. टीआरपी स्कैम क्या है. इसकी जांच होनी चाहिए.
'लद्दाख पर सही स्थिति क्या है, बताएं'
लद्दाख की स्थिति क्या है. आजतक किसी को पता नहीं है. खुद पीएम ने कहा था कि कोई इलाका किसी के द्वारा नहीं लिया गया. लेकिन खबरें कुछ और आ रहीं हैं. चीन ने अरुणाचल में हजार किलोमीटर अंदर घुसकर निर्माण कर लिया. कृपया कर सही स्थिति बताएं.
अभिभाषण पर जवाब देने की परंपरा 100 साल पुरानी
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर जवाब देने की परंपरा सौ साल पुरानी हो गई. हालांकि, 1947 के पहले राष्ट्रपति नहीं, बल्कि गर्वनर जनरल अभिभाषण करते थे. लेकिन उस पर जवाब देने की परंपरा 1919 से ही शुरू हो गई थी.