अमरावती : आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा (Justice Prashant Kumar Mishra) और न्यायमूर्ति डीवीएसएस सोमयाजुलु (Justice DVSS Somayazulu) की पीठ ने गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान शिक्षा के अधिकार (RTE) अधिनियम के प्रावधानों के तहत निजी स्कूलों में पहली कक्षा की 25 प्रतिशत सीटों को मुफ्त में भरने में सरकार की विफलता की आलोचना की.
अधिवक्ता योगेश ने हाईकोर्ट में अवमानना का मामला दायर करते हुए कहा था कि वर्तमान शैक्षणिक वर्ष से निजी स्कूलों में प्रथम श्रेणी में 25% सीटें मुफ्त में आवंटित करने के अदालत के फैसले को लागू नहीं किया जा रहा है. वहीं सरकारी अधिवक्ता नागराजू ने कहा कि सीटों को बदलने की प्रक्रिया तैयार कर ली गई है और हम कोर्ट के आदेश के मुताबिक काम कर रहे हैं. उन्होंने अदालत के समक्ष विवरण लाने के लिए समय मांगा है.
अदालत ने मुख्य सचिव (सीएस), स्कूल शिक्षा के प्रमुख सचिव और आयुक्त, जो अदालत की अवमानना के मामले में प्रतिवादी हैं, को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर वे 25 प्रतिशत भरने का सबूत नहीं दिखाते हैं तो वे अधिकारियों के लिए जेलों में सीटें आवंटित करेंगे. कोर्ट ने चेतावनी दी, विद्यार्थियों को स्कूल में होना चाहिए या आपको जेल में होना चाहिए. कोर्ट ने फैसला सुनाया कि स्कूलों में दाखिल बच्चों की संख्या का ब्योरा पेश किया जाए.
अधिवक्ता योगेश ने कहा कि आरटीई कानून के प्रति अभिभावकों में जागरूकता पैदा करना सरकार की जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि यदि राज्य के 16,000 निजी स्कूलों में से प्रत्येक में कम से कम पांच सीटें आवंटित की जाती हैं, तो भी कुल 80,000 बच्चों को शिक्षा प्राप्त होगी. अदालत ने विवरण पेश करने के लिए सुनवाई 7 सितंबर तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी.
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