ETV Bharat / bharat

धर्मांतरण पर पहले का निर्णय अच्छा कानून नहीं था : इलाहाबाद हाई कोर्ट

author img

By

Published : Nov 24, 2020, 4:42 PM IST

देशभर में लव जिहाद को लेकर चल रही बहस के बीच इलाहाबाद हाई कोर्ट ने धर्मांतरण पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. हाई कोर्ट ने कहा कि एक साथ रहने के लिए दो बालिगों के अधिकार को राज्य या अन्य द्वारा छीना नहीं जा सकता है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने पिछले फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें उसने 'सिर्फ शादी के उद्देश्य से' धर्म परिवर्तन को अस्वीकार्य माना था. अदालत ने कहा कि अनिवार्य रूप से यह मायने नहीं रखता कि कोई धर्मांतरण वैध है या नहीं. एक साथ रहने के लिए दो बालिगों के अधिकार को राज्य या अन्य द्वारा नहीं छीना जा सकता है.

कोर्ट ने कहा कि ऐसे व्यक्ति की पसंद की अवहेलना करना है जो बालिग है, न केवल एक बालिग व्यक्ति की पसंद की स्वतंत्रता के लिए विरोधी होगा, बल्कि विविधता में एकता की अवधारणा के लिए भी खतरा होगा.

कोर्ट ने कहा कि जाति, पंथ या धर्म से परे एक साथी चुनने का अधिकार, जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए संवैधानिक अधिकार के लिए स्वभाविक है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि शादी के उद्देश्य के लिए धर्मांतरण पर आपत्ति जताने वाले दो पिछले फैसले उचित नहीं थे. दो न्यायाधीश की पीठ ने 11 नवंबर को यह निर्णय दिया था, जिसे सोमवार को सार्वजनिक किया गया.

यूपी सरकार के लिए होगी मुश्किल
निर्णय अब उत्तर प्रदेश सरकार के लिए कानूनी समस्या पैदा कर सकता है, जो कि दो पूर्व फैसलों के आधार पर अलग-अलग धर्म के बीच संबंधों को रेगुलेट करने के लिए एक कानून की योजना बना रही है.

इस मामले में दिया आदेश

जस्टिस पंकज नकवी और जस्टिस विवेक अग्रवाल की पीठ ने एक मुस्लिम व्यक्ति और उसकी पत्नी की याचिका पर सुनवाई की, जिसने हिंदू धर्म से इस्लाम अपना लिया था. याचिका महिला के पिता द्वारा उनके खिलाफ पुलिस शिकायत को खारिज करने के लिए दायर की गई थी.

पढ़ें- लिव इन रिलेशनशिप में रह रहीं लड़कियों को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दी सुरक्षा

प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने पिछले फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें उसने 'सिर्फ शादी के उद्देश्य से' धर्म परिवर्तन को अस्वीकार्य माना था. अदालत ने कहा कि अनिवार्य रूप से यह मायने नहीं रखता कि कोई धर्मांतरण वैध है या नहीं. एक साथ रहने के लिए दो बालिगों के अधिकार को राज्य या अन्य द्वारा नहीं छीना जा सकता है.

कोर्ट ने कहा कि ऐसे व्यक्ति की पसंद की अवहेलना करना है जो बालिग है, न केवल एक बालिग व्यक्ति की पसंद की स्वतंत्रता के लिए विरोधी होगा, बल्कि विविधता में एकता की अवधारणा के लिए भी खतरा होगा.

कोर्ट ने कहा कि जाति, पंथ या धर्म से परे एक साथी चुनने का अधिकार, जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए संवैधानिक अधिकार के लिए स्वभाविक है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि शादी के उद्देश्य के लिए धर्मांतरण पर आपत्ति जताने वाले दो पिछले फैसले उचित नहीं थे. दो न्यायाधीश की पीठ ने 11 नवंबर को यह निर्णय दिया था, जिसे सोमवार को सार्वजनिक किया गया.

यूपी सरकार के लिए होगी मुश्किल
निर्णय अब उत्तर प्रदेश सरकार के लिए कानूनी समस्या पैदा कर सकता है, जो कि दो पूर्व फैसलों के आधार पर अलग-अलग धर्म के बीच संबंधों को रेगुलेट करने के लिए एक कानून की योजना बना रही है.

इस मामले में दिया आदेश

जस्टिस पंकज नकवी और जस्टिस विवेक अग्रवाल की पीठ ने एक मुस्लिम व्यक्ति और उसकी पत्नी की याचिका पर सुनवाई की, जिसने हिंदू धर्म से इस्लाम अपना लिया था. याचिका महिला के पिता द्वारा उनके खिलाफ पुलिस शिकायत को खारिज करने के लिए दायर की गई थी.

पढ़ें- लिव इन रिलेशनशिप में रह रहीं लड़कियों को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दी सुरक्षा

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.