चंडीगढ़ : अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से 'जेड' श्रेणी की सुरक्षा प्रदान किए जाने की पेशकश को ठुकरा दिया. सिंह ने कहा कि इससे सिख धर्म के प्रसार के लिए लोगों के साथ उनकी मुलाकात में बाधा आएगी. हालांकि, उन्होंने सुरक्षा की पेशकश के लिए सरकार का आभार जताया. जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा, 'मैं केंद्र की भावनाओं का सम्मान करता हूं.' इससे पहले दिन में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह को 'जेड' श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की थी. सिख धर्मगुरु को देश की दूसरी सर्वोच्च श्रेणी की सुरक्षा देने का निर्णय बढ़ते खतरे की धारणा को देखते हुए लिया गया.
सिंह ने कहा कि उन्हें केंद्र के इस फैसले के बारे में मीडिया के माध्यम से जानकारी मिली. सिंह ने कहा कि अकाल तख्त का जत्थेदार होने के नाते उनका कार्य सिख धर्म का प्रचार-प्रसार है, जिसके लिए उन्हें देश-विदेश की यात्रा करनी होती है. उन्होंने कहा कि अपने कर्तव्य का निर्वहन के लिए उन्हें तमाम लोगों से मुलाकात करनी होती है और कई बार किसी अन्य व्यक्ति के घर पर ठहरना भी पड़ता है.
जत्थेदार सिंह ने कहा, 'ऐसे में मेरे लिए जेड श्रेणी की सुरक्षा के साथ यात्रा करना संभव नहीं है.' इससे पहले दिन में, दिल्ली में गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा था, 'अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह को जेड श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की गई है. सीआरपीएफ (केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल) के कमांडो उनकी सुरक्षा का जिम्मा संभालेंगे.'
अकाल तख्त सिखों की सर्वोच्च संस्था है और जत्थेदार इसके प्रमुख होते हैं. अकाल तख्त जत्थेदार उन 400 से अधिक लोगों में से एक हैं जिनकी सुरक्षा पंजाब में नवगठित आप (आम आदमी पार्टी) सरकार द्वारा वापस ले ली गई थी. हालांकि बाद में उनकी सुरक्षा बहाल कर दी गई, लेकिन जत्थेदार ने फिर से राज्य सरकार की सुरक्षा लेने से इनकार कर दिया. 'जेड' श्रेणी की सुरक्षा के तहत 16 से 20 सशस्त्र कमांडो पालियों में व्यक्ति के साथ 24 घंटे सुरक्षा में तैनात रहते हैं.
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