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चिकन्स नेक कॉरिडोर पर 20 हजार फीट की ऊंचाई से पैराशूट के जरिए जवानों ने लगाई छलांग

चीन से संभावित खतरे को ध्यान में रखते हुए भारतीय पैराट्रूपर्स ने पूर्वोत्तर क्षेत्र से जोड़ने वाले संवेदनशील और छोटे लैंड कॉरिडोर में घुसपैठ रोकने के लिए कठिन प्रशिक्षण ले रहे हैं. वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

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पैराशूट के जरिए जवानों ने लगाई छलांग
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Published : Mar 26, 2022, 3:52 PM IST

नई दिल्ली : महीने में दूसरी बार भारतीय सेना के विशेष बलों के पैराट्रूपर्स पूर्वोत्तर क्षेत्र से जोड़ने वाले संवेदनशील 'चिकन्स नेक कॉरिडोर' (Chicken's Neck Corridor) पर अच्छी एक्सरसाइज की. गुरुवार और शुक्रवार को दो दिन सुबह 6 बजे स्पेशल फोर्स के 600 जवानों ने सी-130 'सुपर हरक्यूलिस' विमान (C-130 Super Hercules aircraft) से 20,000 फीट से अधिक ऊंचाई से सिलीगुड़ी कॉरिडोर (Siliguri Corridor) में पैराशूट के जरिए छलांग लगाई. इससे पहले इसी इलाके में करीब 22 दिन पहले ऐसी एक्सरसाइज की थी.

देखिए वीडियो

संघर्ष के दौरान चीन भारत को पूर्वोत्तर से काटने की कोशिश कर सकता है, इस खतरे को भांपते हुए भारतीय सेना ने ऐसा अभ्यास किया है. एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि युद्ध के समय रसद की आपूर्ति, ऊंचाई से जंप करना, दुश्मन पर निगरानी कैसे की जाए, इसके लिए इस तरह के अभ्यास किए जाते हैं. उत्तर में भूटान और दक्षिण में बांग्लादेश के बीच लगभग 60 किलोमीटर लंबा भूमि गलियारा है. सिलीगुड़ी कॉरिडोर एक ऐसा खंड है जिसके माध्यम से भारतीय मुख्य भूमि को पूर्वोत्तर क्षेत्र से जोड़ने के लिए सभी रेल और सड़क संपर्क गुजरते हैं.

यह क्षेत्र भारत-भूटान-चीन ट्राइजंक्शन के पास स्थित डोकलाम (Doka Lam) पठार के करीब है. यह 2017 में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच 73 दिनों तक चले गतिरोध का ग्राउंड जीरो था. भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान (The Indian security establishment) का मानना ​​​​है कि चीन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भौगोलिक भूभाग जामफेरी (ज़ोम्पेलरी) रिज ​​पर नियंत्रण हासिल करने की कोशिश कर सकता है. यह सिलीगुड़ी कॉरिडोर के उत्तर व उत्तर-पूर्व में लगभग 500 मीटर की दूरी पर है.

संघर्ष के समय यह एरिया दुश्मन के विमानों का आशान निशाना हो सकता है. जामफेरी रिज का चीनी नियंत्रण इस इलाके में सड़कों, पुलों और किसी भी चलती वस्तु को निशाना बनाने में सक्षम होगा. डोकलाम पठार और जामफेरी रिज (Jampheri Ridge) पर अधिक नियंत्रण से भूटान की रक्षा करने की भारत की क्षमता का भी परीक्षण होगा. भारत-भूटान के राजनीतिक संबंध कमजोर होंगे और भूटान को चीन की लाइन पर चलने का दबाव भी पड़ेगा.

सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि मई 2020 और नवंबर 2021 के बीच नए चीनी गांवों का निर्माण भूटानी क्षेत्र में हुआ है, यह दक्षिण की ओर जामफेरी रिज की ओर अधिक हुआ है जो सिलीगुड़ी कॉरिडोर की तरफ है. गौरतलब है कि 2017 के डोकलाम संकट (Doklam crisis of 2017) के दौरान चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग (Lu Kang) ने जामफेरी रिज को लेकर एक स्केच नक्शा प्रस्तुत किया था.

पढ़ें- सिलीगुड़ी कॉरिडोर या चिकन गलियारा का क्यों है महत्व, जानें

पढ़ें- क्या 'रिज' पर नियंत्रण हासिल करने की रणनीति बना रहा चीन ?

नई दिल्ली : महीने में दूसरी बार भारतीय सेना के विशेष बलों के पैराट्रूपर्स पूर्वोत्तर क्षेत्र से जोड़ने वाले संवेदनशील 'चिकन्स नेक कॉरिडोर' (Chicken's Neck Corridor) पर अच्छी एक्सरसाइज की. गुरुवार और शुक्रवार को दो दिन सुबह 6 बजे स्पेशल फोर्स के 600 जवानों ने सी-130 'सुपर हरक्यूलिस' विमान (C-130 Super Hercules aircraft) से 20,000 फीट से अधिक ऊंचाई से सिलीगुड़ी कॉरिडोर (Siliguri Corridor) में पैराशूट के जरिए छलांग लगाई. इससे पहले इसी इलाके में करीब 22 दिन पहले ऐसी एक्सरसाइज की थी.

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संघर्ष के दौरान चीन भारत को पूर्वोत्तर से काटने की कोशिश कर सकता है, इस खतरे को भांपते हुए भारतीय सेना ने ऐसा अभ्यास किया है. एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि युद्ध के समय रसद की आपूर्ति, ऊंचाई से जंप करना, दुश्मन पर निगरानी कैसे की जाए, इसके लिए इस तरह के अभ्यास किए जाते हैं. उत्तर में भूटान और दक्षिण में बांग्लादेश के बीच लगभग 60 किलोमीटर लंबा भूमि गलियारा है. सिलीगुड़ी कॉरिडोर एक ऐसा खंड है जिसके माध्यम से भारतीय मुख्य भूमि को पूर्वोत्तर क्षेत्र से जोड़ने के लिए सभी रेल और सड़क संपर्क गुजरते हैं.

यह क्षेत्र भारत-भूटान-चीन ट्राइजंक्शन के पास स्थित डोकलाम (Doka Lam) पठार के करीब है. यह 2017 में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच 73 दिनों तक चले गतिरोध का ग्राउंड जीरो था. भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान (The Indian security establishment) का मानना ​​​​है कि चीन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भौगोलिक भूभाग जामफेरी (ज़ोम्पेलरी) रिज ​​पर नियंत्रण हासिल करने की कोशिश कर सकता है. यह सिलीगुड़ी कॉरिडोर के उत्तर व उत्तर-पूर्व में लगभग 500 मीटर की दूरी पर है.

संघर्ष के समय यह एरिया दुश्मन के विमानों का आशान निशाना हो सकता है. जामफेरी रिज का चीनी नियंत्रण इस इलाके में सड़कों, पुलों और किसी भी चलती वस्तु को निशाना बनाने में सक्षम होगा. डोकलाम पठार और जामफेरी रिज (Jampheri Ridge) पर अधिक नियंत्रण से भूटान की रक्षा करने की भारत की क्षमता का भी परीक्षण होगा. भारत-भूटान के राजनीतिक संबंध कमजोर होंगे और भूटान को चीन की लाइन पर चलने का दबाव भी पड़ेगा.

सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि मई 2020 और नवंबर 2021 के बीच नए चीनी गांवों का निर्माण भूटानी क्षेत्र में हुआ है, यह दक्षिण की ओर जामफेरी रिज की ओर अधिक हुआ है जो सिलीगुड़ी कॉरिडोर की तरफ है. गौरतलब है कि 2017 के डोकलाम संकट (Doklam crisis of 2017) के दौरान चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग (Lu Kang) ने जामफेरी रिज को लेकर एक स्केच नक्शा प्रस्तुत किया था.

पढ़ें- सिलीगुड़ी कॉरिडोर या चिकन गलियारा का क्यों है महत्व, जानें

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