नयी दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने बुधवार को कहा कि भारत भर में फॉरेंसिक साइंस सर्विसेज (डीएफएसएस) निदेशालय के तहत सात केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं (सीएफएसएल) में महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न से संबंधित 236 डीएनए प्रोफाइलिंग मामले जांच के लिए लंबित हैं. राज्यसभा में इसकी जानकारी देते हुए गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने कहा कि चंडीगढ़, हैदराबाद, कोलकाता, भोपाल, पुणे, असम और दिल्ली स्थित सात सीएफएसएल में डीएनए जांच की सुविधा उपलब्ध है.
उन्होंने कहा कि सीएफएसएल, चंडीगढ़ में एक अत्याधुनिक डीएनए विश्लेषण और अनुसंधान एवं विकास सुविधा स्थापित की गई है, जो नवीनतम फोरेंसिक डीएनए उपकरणों और उपकरणों से पूरी तरह सुसज्जित है. इस केंद्र में यौन उत्पीड़न और मानवहत्या, पितृत्व/मातृत्व, मानव पहचान और माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए से संबंधित मामलों को सुलझाने के लिए अत्याधुनिक स्वतंत्र इकाइयां हैं. सीएफएसएल में प्राथमिकता के आधार पर मामलों की जांच करने का हर संभव प्रयास किया जाता है.
मिश्रा ने कहा कि राज्य फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं में डीएनए डिवीजन और साइबर फोरेंसिक को मजबूत करने के लिए गृह मंत्रालय द्वारा वित्तीय वर्ष 2018-2019 से 2022-2023 तक निर्भया फंड योजना के तहत 175.32 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं. मिश्रा से यह पूछे जाने पर कि क्या राज्य के साथ-साथ केंद्रीय फोरेंसिक प्रयोगशालाओं का मौजूदा बुनियादी ढांचा विशेष रूप से यौन उत्पीड़न और बाल शोषण के मामलों में डीएनए जांच के समय पर निपटान की मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है, उन्होंने कहा कि उभरती आवश्यकताओं के आधार पर फोरेंसिक प्रयोगशालाओं की क्षमता बढ़ाना एक सतत प्रक्रिया है.
असम में महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न से संबंधित डीएनए प्रोफाइलिंग मामलों की अधिकतम संख्या (101) की जांच लंबित है, इसके बाद चंडीगढ़ में 79, कोलकाता में 44, पुणे में 11 और हैदराबाद में एक जांच लंबित है. दिलचस्प बात यह है कि दिल्ली और भोपाल में जांच के लिए कोई मामला लंबित नहीं है.