छह सौ साल पुरानी परंपरा से भगवान जगन्नाथ का अभिषेक, जानिए क्या है गोंचा पर्व ?
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जगदलपुर : बस्तर में दशहरे के बाद दूसरा बड़ा पर्व 27 दिनों तक चलने वाले गोंचा पर्व है. जिसकी शुरुआत चंदन यात्रा पूजा विधान के साथ शुरू हो गई (beginning of the ancient Goncha festival in Bastar) है. करीब 613 वर्षों से इस परंपरा को यहां के लोग बड़े उत्साह से निभा रहे हैं. तीन विशालकाय रथों पर सवार भगवान जगन्नाथ, माता सुभद्रा और बलभद्र की रथयात्रा निकाली जाती है. भगवान जगन्नाथ को बस्तर की पांरपरिक तुपकी से सलामी दी जाती है. जगदलपुर के सिरहासार चौक स्थित जगन्नाथ मंदिर में पूजा विधान कर परंपरा अनुसार इंद्रावती नदी के पवित्र जल से भगवान जगन्नाथ देवी सुभद्रा और बलभद्र के विग्रह को चंदन और पवित्र जल से स्नान कराया जाता (jagdalpur chandan yatra ) है. वहीं भगवान शालिग्राम का विधि विधान से पूजा की जाती है. जिसके बाद भगवान के विग्रह को मुक्ति मंडप में स्थापित किया जाता है. 15 जून से भगवान जगन्नाथ अनशन में रहेंगे. इस दौरान भगवान के दर्शन वर्जित माना गया है. 360 अरण्य ब्राह्मण समाज भगवान जगन्नाथ पूजा का कार्यक्रम आयोजित करता है. जगदलपुर में 613 साल से यह पर्व मनाया जा रहा है. 10 जुलाई तक कार्यक्रम बस्तर गोंचा पर्व के तहत आयोजित किए जाएंगे.
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