ETV Bharat / bharat

बिहार में दही-चूड़ा भोज की सियासत और खरमास के बाद नीतीश कुमार के तेवर पर सबकी नजरें - BIHAR POLITICS

बिहार की राजनीति में एक बार फिर से चर्चाएं शुरू हो गई हैं, खासतौर पर गृह मंत्री अमित शाह के सीएम नीतीश कुमार को लेकर दिए गए बयान के बाद से अटकलों का बाजार गरम है. बिहार में इसी साल चुनाव है और चुनाव से पहले एक बार फिर नीतीश के हाव भाव को लेकर अटकलें तेज हैं. ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट.

bihar politics cm nitish kumar future stand on NDA and India Bloc ahead of assembly polls
सीएम नीतीश कुमार बिहार के नए राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से मुलाकात करते हुए (File - ANI)
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 4, 2025, 9:48 PM IST

नई दिल्ली: बिहार की राजनीति में सियासी पारा एक बार फिर चढ़ चुका है. चुनाव को देखते हुए और भाजपा और जेडीयू के रिश्ते में आ रहे कुछ फासले के बाद सबकी नजरें मकर संक्रांति यानी दही-चूड़ा के भोज पर होने वाली सियासत और खरमास खत्म होने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के तेवर के साथ महागठबंधन के ऑफर पर टिकी हैं.

सूत्रों की मानें तो अभी भाजपा यह मानकर चल रही है कि इस बार पलटी मारने का जोखिम नीतीश नहीं ले पाएंगे और अगर लेते भी हैं तो इसका खामियाजा जेडीयू को भुगतना पड़ सकता है. भाजपा पर इसका नुकसान बहुत ज्यादा नहीं पड़ने की संभावना जताई जा रही है.

भाजपा सूत्रों की मानें तो नीतीश कुमार चुनाव से पहले हमेशा से दबाव की राजनीति खेलते आए हैं और इस राजनीति के केंद्र में होता है उनकी पार्टी को उनके मन मुताबिक सीटें और उनके लिए मुख्यमंत्री बनाने का वादा.

ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट. (ETV Bharat)

मगर पार्टी के विश्वस्त सूत्रों की मानें तो इस बार महाराष्ट्र का फॉर्मूला भाजपा बिहार में भी लागू कर सकती है, जिसमें ये साफ कह दिया गया था कि गठबंधन में जिसकी जितनी सीटें उसको उतनी बड़ी जिम्मेदारी. हालांकि, अगर बिहार में दोबारा एनडीए की सरकार बनती भी है तो नीतीश सीएम से नीचे कोई पद शायद ही स्वीकार करें. इस बात से भी भाजपा पूरी तरह से वाकिफ है, मगर चुनाव से पहले अपने सारे पत्ते नहीं खोलना चाहती है.

वहीं प्लान बी के मुताबिक यदि नीतीश पाला बदलते हैं तो भाजपा नीतीश के खिलाफ बहुत ज्यादा आक्रामक ना होकर खुद उनको एक्पोज होने देगी ताकि उनकी 'पलटू राम' की इमेज पर जनता खुद निर्णय ले.

राजनीतिक पंडितों की मानें तो फिलहाल ऐसी बातें सिर्फ इसलिए फैलाई गई हैं कि नीतीश कुमार मन मुताबिक गठबंधन में अपनी पार्टी के लिए सीट पा सकें. पिछली बार भी भाजपा ने कई ऐसी सीटें जेडीयू को दी थीं, जिन पर भाजपा के प्रमुख नेता चुनाव लड़ते आए थे और जेडीयू को उन सीटों पर हार का सामना करना पड़ा.

दरअसल, लालू प्रसाद यादव के बयान जिसमें उन्होंने नीतीश के लिए दरवाजे खुला होने की बात कही और बिहार के नए राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के शपथ समारोह के दौरान की तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार की एक तस्वीर ने भी इन अटकलों को हवा दी कि क्या एक बार फिर नीतीश महागठबंधन से जुड़ सकते हैं?

बहरहाल भाजपा के वरिष्ठ नेता हर स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और लगातार बिहार के नेताओं के संपर्क में हैं. सूत्रों की मानें तो पार्टी हाई कमान की तरफ से नीतीश कुमार के साथ कुछ बातचीत भी इन अटकलों के बाद हुई है. हालांकि पार्टी नेता इस पर कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं.

खरमास के बाद क्या होगा, इस पर सबकी नजरें हैं. नीतीश कुमार फिलहाल चुप हैं. लेकिन उनकी यही चुप्पी अटकलों को हवा दे रही है कि आखिर मुख्यमंत्री साफ-साफ शब्दों में लालू यादव के ऑफर को ठुकराते और इन अफवाहों का खंडन करते क्यों नहीं नजर आते हैं.

नीतीश को छोड़कर उनकी पार्टी जेडीयू के नेता जो बयानबाजी कर रहे हैं, उस पर भी नीतीश कोई रोक नहीं लगा रहे हैं, जिससे इन बयानबाजियों पर भी उनकी चुप्पी एक तरह से सहमति के समान लग रही है. हालांकि एक बार उन्होंने यह जरूर कहा कि लालू कुछ भी बोल देते हैं, इससे फर्क नहीं पड़ता है. मगर ये भी सत्य है कि वो दबाव की राजनीति में भी मंझे हुए खिलाड़ी हैं.

नीतीश कुमार के करीबी कहते हैं कि जब उन्हें कोई बड़ा फैसला लेना होता है, तो वह चुप हो जाते हैं. अभी भी वह कम बोल रहे हैं. हालांकि गृह मंत्री अमित शाह के बयान के बाद बिहार भाजपा अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री ने सफाई भी दी थी.

दरअसल यह पूरा मामला बिहार विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर है. नीतीश कुमार आधी सीटें चाहते हैं. भाजपा राजी है लेकिन जेडीयू को उन आधी सीटों में एनडीए के सभी सहयोगी दलों को शामिल करना होगा. नीतीश कुमार सिर्फ केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी को सीटें देना चाहते हैं. वह चाहते हैं कि चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाह की पार्टी को बीजेपी अपने कोटे से सीट दे.

भाजपा नेताओं का अनर्गल बयानबाजी से रोका गया
फिलहाल भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने इस मुद्दे पर बिहार के नेताओं को अनर्गल बयानबाजी करने से मना किया है ताकि स्थिति और ना बिगड़े और विपक्ष को इसका फायदा ना मिले. नाम ना लेने की शर्त पर बिहार के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि संभावित उठापटक को लेकर और नीतीश के मिजाज पर जेडीयू के नेता भी सशंकित हैं और उन्हें असुरक्षा महसूस हो रही. इन्हें ऐसा लगता है कि जिसपर वो अभी तक बरस रहे थे, कहीं चुनाव में उन्हीं के साथ गलबहियां न करना पड़ा.

यह भी पढ़ें- 'ग्रामीण भारत महोत्सव-2025': पीएम मोदी ने कहा, 'गांव के लोगों को गरिमापूर्ण जीवन देना मेरी सरकार की प्राथमिकता'

नई दिल्ली: बिहार की राजनीति में सियासी पारा एक बार फिर चढ़ चुका है. चुनाव को देखते हुए और भाजपा और जेडीयू के रिश्ते में आ रहे कुछ फासले के बाद सबकी नजरें मकर संक्रांति यानी दही-चूड़ा के भोज पर होने वाली सियासत और खरमास खत्म होने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के तेवर के साथ महागठबंधन के ऑफर पर टिकी हैं.

सूत्रों की मानें तो अभी भाजपा यह मानकर चल रही है कि इस बार पलटी मारने का जोखिम नीतीश नहीं ले पाएंगे और अगर लेते भी हैं तो इसका खामियाजा जेडीयू को भुगतना पड़ सकता है. भाजपा पर इसका नुकसान बहुत ज्यादा नहीं पड़ने की संभावना जताई जा रही है.

भाजपा सूत्रों की मानें तो नीतीश कुमार चुनाव से पहले हमेशा से दबाव की राजनीति खेलते आए हैं और इस राजनीति के केंद्र में होता है उनकी पार्टी को उनके मन मुताबिक सीटें और उनके लिए मुख्यमंत्री बनाने का वादा.

ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट. (ETV Bharat)

मगर पार्टी के विश्वस्त सूत्रों की मानें तो इस बार महाराष्ट्र का फॉर्मूला भाजपा बिहार में भी लागू कर सकती है, जिसमें ये साफ कह दिया गया था कि गठबंधन में जिसकी जितनी सीटें उसको उतनी बड़ी जिम्मेदारी. हालांकि, अगर बिहार में दोबारा एनडीए की सरकार बनती भी है तो नीतीश सीएम से नीचे कोई पद शायद ही स्वीकार करें. इस बात से भी भाजपा पूरी तरह से वाकिफ है, मगर चुनाव से पहले अपने सारे पत्ते नहीं खोलना चाहती है.

वहीं प्लान बी के मुताबिक यदि नीतीश पाला बदलते हैं तो भाजपा नीतीश के खिलाफ बहुत ज्यादा आक्रामक ना होकर खुद उनको एक्पोज होने देगी ताकि उनकी 'पलटू राम' की इमेज पर जनता खुद निर्णय ले.

राजनीतिक पंडितों की मानें तो फिलहाल ऐसी बातें सिर्फ इसलिए फैलाई गई हैं कि नीतीश कुमार मन मुताबिक गठबंधन में अपनी पार्टी के लिए सीट पा सकें. पिछली बार भी भाजपा ने कई ऐसी सीटें जेडीयू को दी थीं, जिन पर भाजपा के प्रमुख नेता चुनाव लड़ते आए थे और जेडीयू को उन सीटों पर हार का सामना करना पड़ा.

दरअसल, लालू प्रसाद यादव के बयान जिसमें उन्होंने नीतीश के लिए दरवाजे खुला होने की बात कही और बिहार के नए राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के शपथ समारोह के दौरान की तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार की एक तस्वीर ने भी इन अटकलों को हवा दी कि क्या एक बार फिर नीतीश महागठबंधन से जुड़ सकते हैं?

बहरहाल भाजपा के वरिष्ठ नेता हर स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और लगातार बिहार के नेताओं के संपर्क में हैं. सूत्रों की मानें तो पार्टी हाई कमान की तरफ से नीतीश कुमार के साथ कुछ बातचीत भी इन अटकलों के बाद हुई है. हालांकि पार्टी नेता इस पर कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं.

खरमास के बाद क्या होगा, इस पर सबकी नजरें हैं. नीतीश कुमार फिलहाल चुप हैं. लेकिन उनकी यही चुप्पी अटकलों को हवा दे रही है कि आखिर मुख्यमंत्री साफ-साफ शब्दों में लालू यादव के ऑफर को ठुकराते और इन अफवाहों का खंडन करते क्यों नहीं नजर आते हैं.

नीतीश को छोड़कर उनकी पार्टी जेडीयू के नेता जो बयानबाजी कर रहे हैं, उस पर भी नीतीश कोई रोक नहीं लगा रहे हैं, जिससे इन बयानबाजियों पर भी उनकी चुप्पी एक तरह से सहमति के समान लग रही है. हालांकि एक बार उन्होंने यह जरूर कहा कि लालू कुछ भी बोल देते हैं, इससे फर्क नहीं पड़ता है. मगर ये भी सत्य है कि वो दबाव की राजनीति में भी मंझे हुए खिलाड़ी हैं.

नीतीश कुमार के करीबी कहते हैं कि जब उन्हें कोई बड़ा फैसला लेना होता है, तो वह चुप हो जाते हैं. अभी भी वह कम बोल रहे हैं. हालांकि गृह मंत्री अमित शाह के बयान के बाद बिहार भाजपा अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री ने सफाई भी दी थी.

दरअसल यह पूरा मामला बिहार विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर है. नीतीश कुमार आधी सीटें चाहते हैं. भाजपा राजी है लेकिन जेडीयू को उन आधी सीटों में एनडीए के सभी सहयोगी दलों को शामिल करना होगा. नीतीश कुमार सिर्फ केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी को सीटें देना चाहते हैं. वह चाहते हैं कि चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाह की पार्टी को बीजेपी अपने कोटे से सीट दे.

भाजपा नेताओं का अनर्गल बयानबाजी से रोका गया
फिलहाल भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने इस मुद्दे पर बिहार के नेताओं को अनर्गल बयानबाजी करने से मना किया है ताकि स्थिति और ना बिगड़े और विपक्ष को इसका फायदा ना मिले. नाम ना लेने की शर्त पर बिहार के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि संभावित उठापटक को लेकर और नीतीश के मिजाज पर जेडीयू के नेता भी सशंकित हैं और उन्हें असुरक्षा महसूस हो रही. इन्हें ऐसा लगता है कि जिसपर वो अभी तक बरस रहे थे, कहीं चुनाव में उन्हीं के साथ गलबहियां न करना पड़ा.

यह भी पढ़ें- 'ग्रामीण भारत महोत्सव-2025': पीएम मोदी ने कहा, 'गांव के लोगों को गरिमापूर्ण जीवन देना मेरी सरकार की प्राथमिकता'

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.