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Published : Oct 28, 2019, 10:13 PM IST

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SPECIAL: अब्बड़ सुघ्घर हवय हमर छत्तीसगढ़ के राउत नाचा

कला, संस्कृति अउ आदिवासी मन के गढ़ छत्तीसगढ़ के कोना-कोना म परंपरा के डेहरी माढ़े हवय. देवारी के दूसर दिन ले देवउठनी एकादसी तक ले राउत नाचा करे जाथे. राउत नाचा हमर राज्य के अइसन परंपरा हवय जेमा दुध-दही के जम्मों व्यवसाय करईया. यदुवंसी मन खुशी म नाचथे. जेखर जलवा 15 दिन तक ले होथे. राउत नाचा म यदुवंसी मन घर-घर जाथे अउ नाचा करथे, जेखर बाद लोगन मन नाचा करइया मन ल सगुन देथे. देवउठनी एकादसी म इही यदुवंसी मन घर-घर जाथे अउ गउ माता ल सोहइ पहिराथे..राउत नाचा म यदुवंसी मन सुघ्घर रंगीन पोसाक पहिरथे अउ अपन संग म एकठन लाठी रखथे. जेखर बाद ओमन ठुमरी अउ पारंपरिक छत्तीसगढ़ी दोहा गाथे. ए नाचा म हमर छत्तीसगढ़ के बिसेस गड़वा बाजा के महत्व हवय. अउ उही ह एखर पहिचान हवय. नाचा म पुरुस मन महिला के पोसाक म होथे जेन मन ल परी कहिथे.सब्बो झन मिल के गुदुम बाजा म नाचथे. आधुनिकता के बेरा म लोगन मन परंपरागत तिहार ल भुलात जाथ हवय. एखरे सेति हमर राउत नाचा घलो सिरावत जात हवय. ऐला संजोए के जरुरत हवय.

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