सरगुजा में शॉपिंग मॉल के दौर में भी हाट बाजार है गुलजार

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आज कल शहरों से लेकर कस्बों और गावँ में भी शॉपिंग मॉल और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स का चलन बढ़ रहा है. लेकिन इन सब के बावजूद सरगुजा के हाट बाजार गुलजार दिखाई देते हैं.आज भी यहां के गांव में साप्ताहिक बाजारों में भीड़ देखने लायक रहती है. शहर में शॉपिंग मॉल आपने खूब देखे होंगे लेकिन हम आज आपको गांव में लगने वाला बाजार दिखाने जा रहे हैं. यह बाजार किसी शॉपिंग मॉल से कम नहीं होते. यहां छोटी सी छोटी और बड़ी सी बड़ी वस्तुएं मिलती हैं. हम अम्बिकापुर शहर से करीब 20 किलोमीटर दूर बरियों बाजार पहुंचे. बरियों का सप्ताहिक बाजार काफी पुराना और बड़ा भी है. कई गांव जैसे बधिमा, सिधमा, भिलाई, बादा, भेस्की, आरा, अमड़ी पारा, ककना, मदनेश्वरपुर जैसे बहोत से गांव हैं. जहां से लोग इस बाजार में खरीदी करते आते हैं. एक बड़ी आबादी इस बाजार पर निर्भर रहती है. कपड़े, किराना, राशन, सब्जी, कॉस्मेटिक, बीज, मिठाईयां यहां तक की लाई मुर्रा भी इस बाजार में उपलब्ध होता है. सरगुजा में बाजारों का स्वरूप बड़ा ही लुभावना होता है. लकड़ी और खप्पर के सहारे झोपड़ी बनाई जाती है. इस झोपड़ी को स्थानीय बोली में झाला कहा जाता है. हर दुकानदार का अपना झाला होता है. जो ज्यादा छोटे व्यापारी होते हैं वो झाला ना बनवाकर तिरपाल के नीचे ही दुकान लगाते हैं. एक क्रम में बने झाले और विभिन्न सामग्रियों से सजा बाजार बेहद आकर्षक दिखता है. सरगुज़ा के बाजार ने आज भी अपनी उपयोगिता नहीं खोई है. शहरों के मॉल और बड़ी दुकानों के बावजूद सरगुजा में बाजार चलन में हैं.
Last Updated : Feb 3, 2023, 8:35 PM IST

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