रायपुर: बूढ़ातालाब धरना स्थल पर बुधवार को छत्तीसगढ़ यूथ फार्मासिस्ट एसोसिएशन ने अपनी दो सूत्रीय मांगों को लेकर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया. एसोसिएशन ने सरकार से शेड्यूल K को खत्म करने और सीएचओ में अधिकार देने की मांग की है. एसोसिएशन का कहना है कि अगर उसकी मांगें पूरी नहीं की गई, तो देशभर के फार्मासिस्ट 29 नवंबर को दिल्ली के जंतर मंतर में प्रदर्शन करेंगे.
उनका कहना है कि ड्रग एंड कॉस्मेटिक रोल 1945 के अनुसूची K की क्रम संख्या 23 को बदला जा रहा है. अनुसूची K में यह प्रावधान जोड़ा जा रहा है की अब कोई भी कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर, नर्स, सहायक नर्स, मिडवाइफरी महिला, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता दवाओं का डिस्पेंसिंग सीधे मरीजों को कर सकते हैं. उपस्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में अब फार्मासिस्ट की जरूरत नहीं है.
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स्वास्थ्य केंद्रों में अब सरकार दवाओं के प्रबंधन के लिए अप्रशिक्षित और अपंजीकृत व्यक्तियों से कानून बनाकर काम लेगी. फार्मेसी एक्ट 1948 के सेक्शन 42 में ये प्रावधान है कि दवाओं का क्रय-विक्रय केवल पंजीकृत फार्मेसिस्ट ही कर सकता है. किसी अन्य के द्वारा यह कृत्य दंडनीय अपराध है, जिसमें 6 माह के कारावास का भी प्रावधान बनाया गया था.
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उनका आरोप है कि हाल ही में केरल उच्च न्यायालय एवं लखनऊ उच्च न्यायालय में कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर पदों पर फॉर्मेसिस्ट को न लेने पर भर्तियों पर रोक लगाई गई है. साथ ही केंद्र सरकार को नोटिस भी जारी किया है. केंद्र सरकार का यह जनविरोधी निर्णय भारतभर के लगभग 10 लाख पंजीकृत फार्मेसिस्टों को मंजूर नहीं है. पहले ही तमाम तरह के कानून होने के बावजूद फार्मासिस्टों के लिए कोई रोजगार उपलब्ध नहीं और रही-सही कसर को केंद्र सरकार तहस-नहस करने में तुली हुई है.