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Exclusive: छत्तीसगढ़ के संतों को मिलना चाहिए था विशेष निमंत्रण: महंत रामसुंदर दास

अयोध्या में सालों के लंबे इंतजार के बाद भव्य मंदिर निर्माण किया जा रहा है. जन्मभूमि पर राम मंदिर शिलान्यास के अवसर पर श्री दूधाधारी मठ के महंत रामसुंदर दास से ETV भारत ने खास बातचीत की है. उन्होंने इस दौरान कई विशेष बातों पर ध्यान खींचा है.

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श्री दूधाधारी मठ के महंत रामसुंदर दास
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Published : Aug 5, 2020, 10:09 PM IST

रायपुर: अयोध्या में सालों के लंबे इंतजार के बाद भव्य मंदिर निर्माण किया जा रहा है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों भूमिपूजन और शिलान्यास हुआ है. देशभर में इसे लेकर उत्साह का माहौल है. मान्यता है कि छत्तीसगढ़ में भगवान राम का ननिहाल है. यहां राम वन पथगमन के कई साक्ष्य भी मौजूद हैं. ऐसे में प्रदेश की मान्यता राम और रामायण को लेकर और बढ़ जाती है. चंद्रपुरी स्थित माता कौशल्या मंदिर से लेकर राजधानी रायपुर के ऐतिहासिक श्री दूधाधारी मठ में आज विशेष आयोजन किए जा रहे हैं. जन्मभूमि पर राम मंदिर शिलान्यास के अवसर पर श्री दूधाधारी मठ के महंत रामसुंदर दास से ETV भारत ने खास बातचीत की है. उन्होंने इस दौरान कई विशेष बातों पर ध्यान खींचा है.

महंत रामसुंदर दास से ETV भारत की खास बातचीत

परंपराओं को तोड़कर मठ में प्रभु का विशेष श्रृंगार
दूधाधारी मठ के महंत रामसुंदर दास ने बताया कि श्री दूधाधारी मठ में प्रभु राघवेंद्र सरकार, बालाजी भगवान और प्रभु राम दरबार की ऐतिहासिक मूर्तियां है. बता दें दूधाधारी मठ में भगवान राम राघवेंद्र सरकार के रूप में विराजित हैं. साथ ही भगवान हनुमान बालाजी महाराज के रूप में विराजित हैं. इनका सैकड़ों सालों से साल में केवल 3 बार ही विशेष स्वर्ण सहित श्रृंगार होता है. ये तीन अवसर रामनवमी, कृष्ण जन्माष्टमी और दशहरा है, लेकिन राम की जन्मभूमि अयोध्या में मंदिर में आज शिलान्यास होना अपने आप में एक ऐतिहासिक पर्व है. दूधाधारी मठ में भी प्रभु का विशेष श्रृंगार कर विशेष पूजा अर्चना की गई है.

पढ़ें: SPECIAL: रोम-रोम में बसे राम, राम हैं रामनामी समाज की पहचान

मंदिर की मूर्तियां है खास
महंत रामसुंदर दास ने बताया कि दूधाधारी मठ पूरे प्रदेश के सबसे ऐतिहासिक मंदिरों में से एक है. इस मंदिर की स्थापना सैकड़ों सालों पहले की गई थी. मंदिर में प्रभु राघवेंद्र सरकार और बालाजी महाराज की ऐतिहासिक मूर्तियां हैं. इसके साथ ही प्रभु राम के दरबार के साथ बेहद खूबसूरत मूर्तियां भी हैं. इन मूर्तियों को देखने से प्रभु राम, सीता माता, लक्ष्मण, हनुमान सभी एक ही जैसे दिखाई पड़ते हैं.

पढ़ें: राम मंदिर भूमिपूजन: अंबिकापुर में दिवाली की तैयारी, 21 हजार से अधिक दीये बांटे गए

छत्तीसगढ़ की जनता के लिए दोहरी खुशी का पल
महंत रामसुंदर कहते हैं कि वैसे तो प्रभु राम के अयोध्या में बन रहे मंदिर को लेकर पूरे देश भर में उत्साह और उल्लास का माहौल है, लेकिन छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए यह दोहरे खुशी का पर्व है. छत्तीसगढ़ को दक्षिण कौशल राज्य भी कहा जाता था. दक्षिण कौशल माता कौशल्या की जन्मभूमि है. इस लिहाज से छत्तीसगढ़ प्रभु राम का ननिहाल है. यहीं वजह है रही है कि छत्तीसगढ़ में भांजे के पैर छूने की हमेशा से परंपरा है.

साधु-संतों को ना बुलाने से नाराजगी
महंत रामसुंदर दास कहते हैं कि इस ऐतिहासिक पलों में जब पूरे देश भर में उत्साह और आनंद का माहौल है. अयोध्या में देशभर से साधु और संत समाज शामिल हो रहे हैं. इस दौर में छत्तीसगढ़ जो कि प्रभु राम का ननिहाल है. यहां के संत समाज को विशेष आमंत्रण देना चाहिए था. संत समुदाय को उम्मीद थी कि इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के भी संत समाज के लोगों को आमंत्रण मिलेगा. लेकिन ऐसे समय में संत समाज को आमंत्रण न मिलना सही नहीं है. हालांकि वे कहते हैं कि अब यह सारी चीजों से ऊपर उठकर हमें प्रभु राम के अयोध्या में बन रहे मंदिर के उत्साह और उल्लास को मनाना चाहिए.

रायपुर: अयोध्या में सालों के लंबे इंतजार के बाद भव्य मंदिर निर्माण किया जा रहा है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों भूमिपूजन और शिलान्यास हुआ है. देशभर में इसे लेकर उत्साह का माहौल है. मान्यता है कि छत्तीसगढ़ में भगवान राम का ननिहाल है. यहां राम वन पथगमन के कई साक्ष्य भी मौजूद हैं. ऐसे में प्रदेश की मान्यता राम और रामायण को लेकर और बढ़ जाती है. चंद्रपुरी स्थित माता कौशल्या मंदिर से लेकर राजधानी रायपुर के ऐतिहासिक श्री दूधाधारी मठ में आज विशेष आयोजन किए जा रहे हैं. जन्मभूमि पर राम मंदिर शिलान्यास के अवसर पर श्री दूधाधारी मठ के महंत रामसुंदर दास से ETV भारत ने खास बातचीत की है. उन्होंने इस दौरान कई विशेष बातों पर ध्यान खींचा है.

महंत रामसुंदर दास से ETV भारत की खास बातचीत

परंपराओं को तोड़कर मठ में प्रभु का विशेष श्रृंगार
दूधाधारी मठ के महंत रामसुंदर दास ने बताया कि श्री दूधाधारी मठ में प्रभु राघवेंद्र सरकार, बालाजी भगवान और प्रभु राम दरबार की ऐतिहासिक मूर्तियां है. बता दें दूधाधारी मठ में भगवान राम राघवेंद्र सरकार के रूप में विराजित हैं. साथ ही भगवान हनुमान बालाजी महाराज के रूप में विराजित हैं. इनका सैकड़ों सालों से साल में केवल 3 बार ही विशेष स्वर्ण सहित श्रृंगार होता है. ये तीन अवसर रामनवमी, कृष्ण जन्माष्टमी और दशहरा है, लेकिन राम की जन्मभूमि अयोध्या में मंदिर में आज शिलान्यास होना अपने आप में एक ऐतिहासिक पर्व है. दूधाधारी मठ में भी प्रभु का विशेष श्रृंगार कर विशेष पूजा अर्चना की गई है.

पढ़ें: SPECIAL: रोम-रोम में बसे राम, राम हैं रामनामी समाज की पहचान

मंदिर की मूर्तियां है खास
महंत रामसुंदर दास ने बताया कि दूधाधारी मठ पूरे प्रदेश के सबसे ऐतिहासिक मंदिरों में से एक है. इस मंदिर की स्थापना सैकड़ों सालों पहले की गई थी. मंदिर में प्रभु राघवेंद्र सरकार और बालाजी महाराज की ऐतिहासिक मूर्तियां हैं. इसके साथ ही प्रभु राम के दरबार के साथ बेहद खूबसूरत मूर्तियां भी हैं. इन मूर्तियों को देखने से प्रभु राम, सीता माता, लक्ष्मण, हनुमान सभी एक ही जैसे दिखाई पड़ते हैं.

पढ़ें: राम मंदिर भूमिपूजन: अंबिकापुर में दिवाली की तैयारी, 21 हजार से अधिक दीये बांटे गए

छत्तीसगढ़ की जनता के लिए दोहरी खुशी का पल
महंत रामसुंदर कहते हैं कि वैसे तो प्रभु राम के अयोध्या में बन रहे मंदिर को लेकर पूरे देश भर में उत्साह और उल्लास का माहौल है, लेकिन छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए यह दोहरे खुशी का पर्व है. छत्तीसगढ़ को दक्षिण कौशल राज्य भी कहा जाता था. दक्षिण कौशल माता कौशल्या की जन्मभूमि है. इस लिहाज से छत्तीसगढ़ प्रभु राम का ननिहाल है. यहीं वजह है रही है कि छत्तीसगढ़ में भांजे के पैर छूने की हमेशा से परंपरा है.

साधु-संतों को ना बुलाने से नाराजगी
महंत रामसुंदर दास कहते हैं कि इस ऐतिहासिक पलों में जब पूरे देश भर में उत्साह और आनंद का माहौल है. अयोध्या में देशभर से साधु और संत समाज शामिल हो रहे हैं. इस दौर में छत्तीसगढ़ जो कि प्रभु राम का ननिहाल है. यहां के संत समाज को विशेष आमंत्रण देना चाहिए था. संत समुदाय को उम्मीद थी कि इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के भी संत समाज के लोगों को आमंत्रण मिलेगा. लेकिन ऐसे समय में संत समाज को आमंत्रण न मिलना सही नहीं है. हालांकि वे कहते हैं कि अब यह सारी चीजों से ऊपर उठकर हमें प्रभु राम के अयोध्या में बन रहे मंदिर के उत्साह और उल्लास को मनाना चाहिए.

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