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मानवता शर्मसार: अस्पताल प्रबंधन ने शव के लिए परिजनों से कराये ब्लैंक पेपर पर हस्ताक्षर - अभनपुर

अभनपुर के एक निजी अस्पताल ने गरीब परिवार को पहले तो शव देने से इनकार कर दिया, बाद में जब मामला बढ़ने लगा तो मृतक के परिजनों से एक ब्लैंक पेपर पर हस्ताक्षर कराने के बाद शव दिया है.

अस्पताल प्रबंधन ने गरीब परिवार से ब्लैंक पेपर पर कराया साइन
अस्पताल प्रबंधन ने गरीब परिवार से ब्लैंक पेपर पर कराया साइन
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Published : Feb 25, 2020, 11:02 PM IST

Updated : Feb 25, 2020, 11:30 PM IST

रायपुर: अभनपुर से मानवता को शर्मसार करने वाली खबर आई है. यहां एक गरीब मजबूर को कैसे शव के लिए भी परेशान कर दिया जाता है. इसकी बानगी देखने को मिली है. मामला अभनपुर के सोनी मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल का है. जहां आमनेर गांव के रहने वाले गरीब किसान रामाधार बंजारे की मौत हो गई थी, जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने महज 18 हजार रुपये के लिए रामाधार की लाश उनके परिजनों को देने से मना कर दिया.

अस्पताल प्रबंधन ने शव के लिए परिजनों से कराये ब्लैंक पेपर पर हस्ताक्षर

हालांकि अस्पताल प्रबंधन ने काफी मिन्नतों के बाद शव तो दिया, लेकिन बदले में परिजनों से एक ब्लैंक पेपर पर हस्ताक्षर भी करा लिए. ताकि परिजन जिंदगीभर अस्पताल का कर्ज चुकाते रहे.

हालात में सुधार होने के बाद हुई मौत!

पीड़ित परिवार के सदस्यों ने बताया कि दो दिन पहले पेट में दर्द की शिकायत के बाद रामाधार बंजारे को सोनी मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां पहले डॉक्टरों ने बताया कि रामाधार की तबीयत में सुधार हो रही है. डॉक्टरों ने रामाधार के परिजनों से बाहर से कुछ दवाइयां भी मंगाई. जिसके बाद रामाधार की पत्नी बाहर से दवा लाकर डॉक्टरों को दवा देकर सोने चली गई. इसी बीच एक डॉक्टर ने रामाधार बंजारे की पत्नी को बताया कि रामाधार की मौत हो गई.

चंदा करके चुकाया 2 हजार रुपये

रामाधार बंजारे की मौत के बाद जब परिजनों से उसका शव अस्पताल प्रबंधन से मांगा तो प्रबंधन ने शव देने से इनकार करते हुए पहले 18 हजार रुपये चुकाने को कहा. इसपर पीड़ित परिवार ने पैसे नहीं होने की बात कही जिसपर अस्पताल प्रबंधन नहीं माना. जिसके बाद पीड़ित परिवार ने चंदा कर अस्पताल प्रबंधन को 2 हजार रुपये दिया, इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने पीड़ित परिवार से एक ब्लैंक पेपर पर हस्ताक्षर करा शव को दे दिया और बदले में बाकी पैसे जमा करने को कहा है. पीड़ित परिवार के मुताबिक वे जबतक बाकी पैसे जमा नहीं करेंगे उन्हें वो ब्लैंक पेपर नहीं मिलेगा, जिसपर अस्पताल प्रबंधन ने हस्ताक्षर कराया है.

रायपुर: अभनपुर से मानवता को शर्मसार करने वाली खबर आई है. यहां एक गरीब मजबूर को कैसे शव के लिए भी परेशान कर दिया जाता है. इसकी बानगी देखने को मिली है. मामला अभनपुर के सोनी मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल का है. जहां आमनेर गांव के रहने वाले गरीब किसान रामाधार बंजारे की मौत हो गई थी, जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने महज 18 हजार रुपये के लिए रामाधार की लाश उनके परिजनों को देने से मना कर दिया.

अस्पताल प्रबंधन ने शव के लिए परिजनों से कराये ब्लैंक पेपर पर हस्ताक्षर

हालांकि अस्पताल प्रबंधन ने काफी मिन्नतों के बाद शव तो दिया, लेकिन बदले में परिजनों से एक ब्लैंक पेपर पर हस्ताक्षर भी करा लिए. ताकि परिजन जिंदगीभर अस्पताल का कर्ज चुकाते रहे.

हालात में सुधार होने के बाद हुई मौत!

पीड़ित परिवार के सदस्यों ने बताया कि दो दिन पहले पेट में दर्द की शिकायत के बाद रामाधार बंजारे को सोनी मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां पहले डॉक्टरों ने बताया कि रामाधार की तबीयत में सुधार हो रही है. डॉक्टरों ने रामाधार के परिजनों से बाहर से कुछ दवाइयां भी मंगाई. जिसके बाद रामाधार की पत्नी बाहर से दवा लाकर डॉक्टरों को दवा देकर सोने चली गई. इसी बीच एक डॉक्टर ने रामाधार बंजारे की पत्नी को बताया कि रामाधार की मौत हो गई.

चंदा करके चुकाया 2 हजार रुपये

रामाधार बंजारे की मौत के बाद जब परिजनों से उसका शव अस्पताल प्रबंधन से मांगा तो प्रबंधन ने शव देने से इनकार करते हुए पहले 18 हजार रुपये चुकाने को कहा. इसपर पीड़ित परिवार ने पैसे नहीं होने की बात कही जिसपर अस्पताल प्रबंधन नहीं माना. जिसके बाद पीड़ित परिवार ने चंदा कर अस्पताल प्रबंधन को 2 हजार रुपये दिया, इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने पीड़ित परिवार से एक ब्लैंक पेपर पर हस्ताक्षर करा शव को दे दिया और बदले में बाकी पैसे जमा करने को कहा है. पीड़ित परिवार के मुताबिक वे जबतक बाकी पैसे जमा नहीं करेंगे उन्हें वो ब्लैंक पेपर नहीं मिलेगा, जिसपर अस्पताल प्रबंधन ने हस्ताक्षर कराया है.

Last Updated : Feb 25, 2020, 11:30 PM IST
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