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Tulsi Vivah 2022 देवउठनी एकादशी को लेकर रायपुर के बाजारों में रौनक

tulsi vivah 2022 तुलसी विवाह को लेकर इस बार बाजार में काफी रौनक देखने को मिल रही है. पिछले दो साल कोरोना की वजह से देवउठनी एकादशी पर बाजार काफी फीका था. लेकिन इस बार एकादशी को लेकर लोग काफी उत्साहित है. बाजार में अच्छी ग्राहकी देखने को मिल रही है. raipur market on Devuthani Ekadashi

Tulsi Vivah 2022
देवउठनी एकादशी को लेकर रायपुर के बाजारों में रौनक
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Published : Nov 4, 2022, 2:01 PM IST

रायपुर: देवता के जागरण का पर्व देवोत्थान या देवउठनी एकादशी का पर्व शुक्रवार को मनाया जा रहा है. आज के दिन भगवान विष्णु 4 महीने की निद्रा से जागते है. इसलिए इसका नाम देवउठनी एकादशी पड़ा. देवउठनी एकादशी को लेकर रायपुर के बाजारों में काफी रौनक देखने को मिल रही है. पूजा सामग्री का बाजार पूरी तरह से सजा हुआ है. दो साल बाद अच्छी दुकानदारी को लेकर ग्राहक भी खुश है. शाम को भगवान शालिग्राम और माता तुलसी का विवाह होगा. हिंदू धर्म में तुलसी को पूजनीय माना गया है. कई अवसरों पर तुलसी की विशेष रूप से पूजा अर्चना की जाती है. देवउठनी एकादशी भी इन अवसरों में से एक है. पूजन सामग्री को लेकर देर शाम तक बाजार में ग्राहकी भी बढ़ जाएगी. raipur market on Devuthani Ekadashi

देवउठनी एकादशी को लेकर रायपुर के बाजारों में रौनक

तुलसी विवाह में गन्ने का विशेष महत्व: देवउठनी एकादशी के पूजन में गन्ने का विशेष महत्व है. गन्ना शुक्र ग्रह का प्रतिनिधि माना गया है. देवी लक्ष्मी के कई चित्र में उनके हाथों पर गन्ना दिखाई देता है. गन्ना हाथी का प्रिय भोजन भी है जो देवी लक्ष्मी का वाहन है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गन्ने का संबंध शुक्र ग्रह से है. शुक्र ग्रह के शुभ प्रभाव से ही वैवाहिक जीवन में खुशियां आती है. हर तरह का सुख मिलता है. शुक्र ग्रह शुभ स्थिति में है, तो वैवाहिक जीवन खुशहाल रहता है.

Dev Uthani Ekadashi 2022 जानिए कब है देवउठनी एकादशी, महत्व और पूजा विधि

राजधानी में पिछले 2 दिनों से तुलसी विवाह या देवउठनी एकादशी को लेकर बाजार सजा हुआ है. पूजन सामग्री में फल फूल सिंघाड़ा भाटा चना भाजी लाई जैसे तमाम तरह की प्रकृति से जुड़ी हुई चीजों का इस्तेमाल किया जाता है. पूजन सामग्री की दुकान लगाने वाले महिला गायत्री धीवर ने बताया कि "सुबह के समय बाजार में ग्राहकी थोड़ी कम है और देर शाम तक बाजार में भीड़ भी देखने को मिलेगी. बीते 2 सालों तक कोरोना की वजह से बाजार प्रभावित हुआ था, लेकिन इस बार अच्छी ग्राहकी की उम्मीद दुकानदार को है."

महामाया मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि "आज के दिन भगवान विष्णु 4 महीने क्षीर सागर में विश्राम करते हैं, और आज उस निद्रा से जागते हैं. जिसके कारण इसे देवोत्थान या देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. आज के दिन भगवान शालिग्राम का विवाह माता तुलसी से कराया जाता है. इस दौरान पूजन सामग्री में प्रकृति से जुड़ी हुई चीजों का इस्तेमाल करने की परंपरा है. प्रकृति पूजा का वर्णन शास्त्रों में भी मिलता है."

रायपुर: देवता के जागरण का पर्व देवोत्थान या देवउठनी एकादशी का पर्व शुक्रवार को मनाया जा रहा है. आज के दिन भगवान विष्णु 4 महीने की निद्रा से जागते है. इसलिए इसका नाम देवउठनी एकादशी पड़ा. देवउठनी एकादशी को लेकर रायपुर के बाजारों में काफी रौनक देखने को मिल रही है. पूजा सामग्री का बाजार पूरी तरह से सजा हुआ है. दो साल बाद अच्छी दुकानदारी को लेकर ग्राहक भी खुश है. शाम को भगवान शालिग्राम और माता तुलसी का विवाह होगा. हिंदू धर्म में तुलसी को पूजनीय माना गया है. कई अवसरों पर तुलसी की विशेष रूप से पूजा अर्चना की जाती है. देवउठनी एकादशी भी इन अवसरों में से एक है. पूजन सामग्री को लेकर देर शाम तक बाजार में ग्राहकी भी बढ़ जाएगी. raipur market on Devuthani Ekadashi

देवउठनी एकादशी को लेकर रायपुर के बाजारों में रौनक

तुलसी विवाह में गन्ने का विशेष महत्व: देवउठनी एकादशी के पूजन में गन्ने का विशेष महत्व है. गन्ना शुक्र ग्रह का प्रतिनिधि माना गया है. देवी लक्ष्मी के कई चित्र में उनके हाथों पर गन्ना दिखाई देता है. गन्ना हाथी का प्रिय भोजन भी है जो देवी लक्ष्मी का वाहन है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गन्ने का संबंध शुक्र ग्रह से है. शुक्र ग्रह के शुभ प्रभाव से ही वैवाहिक जीवन में खुशियां आती है. हर तरह का सुख मिलता है. शुक्र ग्रह शुभ स्थिति में है, तो वैवाहिक जीवन खुशहाल रहता है.

Dev Uthani Ekadashi 2022 जानिए कब है देवउठनी एकादशी, महत्व और पूजा विधि

राजधानी में पिछले 2 दिनों से तुलसी विवाह या देवउठनी एकादशी को लेकर बाजार सजा हुआ है. पूजन सामग्री में फल फूल सिंघाड़ा भाटा चना भाजी लाई जैसे तमाम तरह की प्रकृति से जुड़ी हुई चीजों का इस्तेमाल किया जाता है. पूजन सामग्री की दुकान लगाने वाले महिला गायत्री धीवर ने बताया कि "सुबह के समय बाजार में ग्राहकी थोड़ी कम है और देर शाम तक बाजार में भीड़ भी देखने को मिलेगी. बीते 2 सालों तक कोरोना की वजह से बाजार प्रभावित हुआ था, लेकिन इस बार अच्छी ग्राहकी की उम्मीद दुकानदार को है."

महामाया मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि "आज के दिन भगवान विष्णु 4 महीने क्षीर सागर में विश्राम करते हैं, और आज उस निद्रा से जागते हैं. जिसके कारण इसे देवोत्थान या देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. आज के दिन भगवान शालिग्राम का विवाह माता तुलसी से कराया जाता है. इस दौरान पूजन सामग्री में प्रकृति से जुड़ी हुई चीजों का इस्तेमाल करने की परंपरा है. प्रकृति पूजा का वर्णन शास्त्रों में भी मिलता है."

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