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Chhattisgarh Independence Day 2023 : छत्तीसगढ़ के दस पुलिस अधिकारियों को मिला भारतीय पुलिस पदक, बेहतर पुलिसिंग के लिए मिला सम्मान - स्वतंत्रता दिवस

Chhattisgarh Independence Day 2023: स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मंगलवार को रायपुर के पुलिस परेड ग्राउंड में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने झंडा फहराया. ध्वजारोहण और मार्च पास्ट के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के पुलिस जवान और अधिकारियों को सम्मानित किया.

Chhattisgarh Independence Day 2023
भारतीय पुलिस पदक से सम्मानित हुए अधिकारी कर्मचारी
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Published : Aug 15, 2023, 8:31 PM IST

भारतीय पुलिस पदक से सम्मानित हुए पुलिसकर्मी

रायपुर : स्वतंत्रता दिवस के मौके पर छत्तीसगढ़ के 10 पुलिस अधिकारियों और जवानों को सराहनीय सेवा के लिए भारतीय पुलिस पदक 2023 से सम्मानित किया गया. सम्मान पाने वाले अधिकारी और पुलिस के जवान सम्मान मिलने के बाद काफी उत्साहित नजर आए. सम्मान पाने वालों में पुलिस महानिरीक्षक अजय कुमार यादव, पुलिस महानिरीक्षक दुर्ग रेंज बद्रीनारायण मीणा, पुलिस अधीक्षक रेल जेआर ठाकुर, पुलिस अधीक्षक ईओडब्ल्यू पंकज चंद्रा शामिल हैं.आइए आपको बताते हें इन अधिकारियों ने पुलिस सेवा में क्या कुछ किया है.


अजय कुमार यादव की उपलब्धि - पुलिस महानिरीक्षक इंटेलिजेंस अजय कुमार यादव 2004 में भारतीय पुलिस सेवा में नियुक्त हुए. यादव ने अति नक्सल प्रभावित जिले नारायणपुर, बस्तर और कांकेर में पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्य किया. जिले में तैनाती के दौरान 7 नये पुलिस स्टेशन, 30 शिविर और पांच बीएसएफ बटालियन की तैनाती के साथ ही 3 जिलों में शांतिपूर्ण समेत हिंसा मुक्त चुनाव कराए. पुलिस एवं स्थानीय लोगों के बीच अंतर को पाटने के लिए 'आमचो बस्तर-आमचो पुलिस' कार्यक्रम की शुरूआत की.वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रायपुर के रूप में अंतराज्यीय नशीली दवाओं के व्यापार पर पूरी तरह अंकुश लगाया. साथ ही दुर्ग में बड़े पैमाने पर जागरूकता पैदा करते हुए साइबर संगी की शुरूआत की. उनके सराहनीय सेवाओं के लिए आज उन्हें 'भारतीय पुलिस पदक' से सम्मानित किया गया.


बद्रीनारायण मीणा ने पुलिसिंग में किया शानदार काम : दुर्ग रेंज के आईजी बद्रीनारायण मीणा बद्री साल 2004 में भारतीय पुलिस सेवा में नियुक्त हुए. मीणा द्वारा पुलिसिंग के सभी क्षेत्रों अपराध की रोकथाम और पता लगाने, नक्सल विरोधी अभियान, आपदा प्रबंधन, सामुदायिक पुलिसिंग में शानदार प्रदर्शन किया. जिले में पदस्थापना के दौरान अपराध एवं कानून व्यवस्था की स्थितियों पर नियंत्रण के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किये. राजनांदगांव और जगदलपुर में कई नक्सल अभियान का नेतृत्व किया. साथ ही नक्सली संगठन के सदस्यों को गिरफ्तार कराया.

पंकज चंद्रा ने क्राइम रेट घटाने में की मदद : आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो अधीक्षक पंकज चंद्रा साल 2000 में राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी के रूप में नियुक्त हुए.अनुविभागीय अधिकारी, कुसमी, भानुप्रतापपुर और केशकाल में तैनाती के दौरान नक्सली समस्या से निपटारे के लिए मेहनत की. चंद्रा ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के पद में छत्तीसगढ़ के प्रमुख शहरों जैसे बस्तर, मुख्यमंत्री सुरक्षा रायपुर, जांजगीर-चांपा एवं राजधानी रायपुर क्राइम ब्रांच में अहम भूमिका निभाई. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रायपुर के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उद्योगपति प्रवीण सोमानी अपहरण मामला सुलझाया. जिसमें पुलिस महानिदेशक ने "इन्द्रधनुष सम्मान' से पंकज चंद्रा को सम्मानित किया था.


अनंत कुमार साहू नक्सल ऑपरेशन के हैं जानकार : अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अनंत कुमार साहू 2004 में प्लाटून कमाण्डर के पद पर नियुक्त हुए . वर्ष 2007 में साहू की नियुक्ति राज्य पुलिस सेवा अधिकारी के रूप में हुई. सीटीजेडब्ल्यू कॉलेज कांकेर में संरक्षक और इंस्ट्रक्टर के रूप में काम किया. कानून और रणनीतियों के प्रशिक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. जिला-नारायणपुर में "अबुझमाड़ ऑपरेशन" नक्सल विरोधी अभियान में शामिल रहें. बस्तर के बीजापुर, भैरमगढ़, कोण्डागांव समेत नक्सल अभियान में सराहनीय कार्य किया.

जे आर ठाकुर, पुलिस अधीक्षक रेल : 1998 में राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी के रूप में नियुक्त हुए.अनुविभागीय अधिकारी गोंडा के रूप में कार्यकाल के दौरान कई नक्सली विरोधी अभियान का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया. कई नक्सलियों को गिरफ्तार कराया .

" 20 साल की सेवा के दौरान हम जो विभिन्न क्षेत्रों में काम करते हैं. उन कामों के आधार पर सराहनीय सेवा हेतु भारतीय पुलिस पदक दिया जाता है. मुझे जो पुरस्कार मिला है मेरे द्वारा नक्सल क्षेत्र में काम किया था. उस दौरान बहुत सारे नक्सलियों का आत्मसमर्पण कराया गया था. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जशपुर में रहते हुए अपहरण पीड़िता को बचाया और आरोपियों को गिरफ्तार किया था. जिसके कारण से यह मेडल मुझे मिला है." :जेआर ठाकुर, पुलिस अधीक्षक रेल

इसके अलावा छत्तीसगढ़ पुलिस में काम करने वाले कर्मचारियों को भी सम्मानित किया गया.


कमलेश्वर सिंह निरीक्षक, सीआईडी : 1999 में अविभाजित मध्यप्रदेश में उप निरीक्षक के पद पर नियुक्त होकर वर्तमान में निरीक्षक के पद पर सीआईडी, पुलिस मुख्यालय रायपुर में कमलेश्वर सिंह तैनात हैं. उन्हें सराहनीय सेवाओं के लिए भारतीय पुलिस पदक से सम्मानित किया गया है.

अर्जुन सिंह ठाकुर , कंपनी कमाण्डर 6वीं वाहिनी, छत्तीसगढ़ सुरक्षा बल, रायगढ़ : अर्जुन 1983 में अविभाजित मध्यप्रदेश में विशेष सशस्त्र बल आरक्षक (जीडी) के पद पर नियुक्त हुए.अर्जुन सिंह ठाकुर ने अपनी सेवाओं के दौरान छत्तीसगढ़ के कई नक्सल प्रभावित क्षेत्रों कार्य किया. कार्य के दौरान नक्सल प्रभावित क्षेत्र में वहां के लोगों के साथ तालमेल बनाया. जो लोग पुलिस से डरते थे. उन्हें समझाया कि पुलिस मदद करती है. इस कार्य के लिए अर्जुन को सम्मान मिला.

हरिहर प्रसाद गर्ग, प्लाटून कमाण्डर चौथी वाहिनी, छत्तीसगढ़ सुरक्षा बल : हरिहर प्रसाद गर्ग को को सराहनीय सेवाओं के लिए भारतीय पुलिस पदक से सम्मानित किया गया है. साल 1986 अविभाजित मध्यप्रदेश में विशेष सशस्त्र बल आरक्षक (जीडी) के पद पर नियुक्त होकर उन्होंने लगातार विभाग में अपनी सेवाएं दी.

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संजय कुमार दुबे प्लाटून कमाण्डर वीआईपी सुरक्षा वाहिनी माना : संजय कुमार दुबे वर्ष 1994 में अविभाजित मध्यप्रदेश में विशेष सशस्त्र बल आरक्षक (जीडी) के पद पर नियुक्त हुए. वर्तमान में प्लाटून कमाण्डर के पद पर वीआईपी सुरक्षा वाहिनी माना-रायपुर में तैनात हैं. उन्हें सराहनीय सेवाओं के लिए' भारतीय पुलिस पदक' से सम्मानित किया गया है.

बलवीर सिंह : वर्ष 1997 अविभाजित मध्यप्रदेश में आरक्षक (जीडी) के पद पर नियुक्त होकर वर्तमान में प्रधान आरक्षक के पद पर डीआरपी लाइन, बिलासपुर में हैं. बलबीर को भी भारतीय पुलिस पदक का सम्मान मिला.

भारतीय पुलिस पदक से सम्मानित हुए पुलिसकर्मी

रायपुर : स्वतंत्रता दिवस के मौके पर छत्तीसगढ़ के 10 पुलिस अधिकारियों और जवानों को सराहनीय सेवा के लिए भारतीय पुलिस पदक 2023 से सम्मानित किया गया. सम्मान पाने वाले अधिकारी और पुलिस के जवान सम्मान मिलने के बाद काफी उत्साहित नजर आए. सम्मान पाने वालों में पुलिस महानिरीक्षक अजय कुमार यादव, पुलिस महानिरीक्षक दुर्ग रेंज बद्रीनारायण मीणा, पुलिस अधीक्षक रेल जेआर ठाकुर, पुलिस अधीक्षक ईओडब्ल्यू पंकज चंद्रा शामिल हैं.आइए आपको बताते हें इन अधिकारियों ने पुलिस सेवा में क्या कुछ किया है.


अजय कुमार यादव की उपलब्धि - पुलिस महानिरीक्षक इंटेलिजेंस अजय कुमार यादव 2004 में भारतीय पुलिस सेवा में नियुक्त हुए. यादव ने अति नक्सल प्रभावित जिले नारायणपुर, बस्तर और कांकेर में पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्य किया. जिले में तैनाती के दौरान 7 नये पुलिस स्टेशन, 30 शिविर और पांच बीएसएफ बटालियन की तैनाती के साथ ही 3 जिलों में शांतिपूर्ण समेत हिंसा मुक्त चुनाव कराए. पुलिस एवं स्थानीय लोगों के बीच अंतर को पाटने के लिए 'आमचो बस्तर-आमचो पुलिस' कार्यक्रम की शुरूआत की.वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रायपुर के रूप में अंतराज्यीय नशीली दवाओं के व्यापार पर पूरी तरह अंकुश लगाया. साथ ही दुर्ग में बड़े पैमाने पर जागरूकता पैदा करते हुए साइबर संगी की शुरूआत की. उनके सराहनीय सेवाओं के लिए आज उन्हें 'भारतीय पुलिस पदक' से सम्मानित किया गया.


बद्रीनारायण मीणा ने पुलिसिंग में किया शानदार काम : दुर्ग रेंज के आईजी बद्रीनारायण मीणा बद्री साल 2004 में भारतीय पुलिस सेवा में नियुक्त हुए. मीणा द्वारा पुलिसिंग के सभी क्षेत्रों अपराध की रोकथाम और पता लगाने, नक्सल विरोधी अभियान, आपदा प्रबंधन, सामुदायिक पुलिसिंग में शानदार प्रदर्शन किया. जिले में पदस्थापना के दौरान अपराध एवं कानून व्यवस्था की स्थितियों पर नियंत्रण के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किये. राजनांदगांव और जगदलपुर में कई नक्सल अभियान का नेतृत्व किया. साथ ही नक्सली संगठन के सदस्यों को गिरफ्तार कराया.

पंकज चंद्रा ने क्राइम रेट घटाने में की मदद : आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो अधीक्षक पंकज चंद्रा साल 2000 में राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी के रूप में नियुक्त हुए.अनुविभागीय अधिकारी, कुसमी, भानुप्रतापपुर और केशकाल में तैनाती के दौरान नक्सली समस्या से निपटारे के लिए मेहनत की. चंद्रा ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के पद में छत्तीसगढ़ के प्रमुख शहरों जैसे बस्तर, मुख्यमंत्री सुरक्षा रायपुर, जांजगीर-चांपा एवं राजधानी रायपुर क्राइम ब्रांच में अहम भूमिका निभाई. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रायपुर के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उद्योगपति प्रवीण सोमानी अपहरण मामला सुलझाया. जिसमें पुलिस महानिदेशक ने "इन्द्रधनुष सम्मान' से पंकज चंद्रा को सम्मानित किया था.


अनंत कुमार साहू नक्सल ऑपरेशन के हैं जानकार : अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अनंत कुमार साहू 2004 में प्लाटून कमाण्डर के पद पर नियुक्त हुए . वर्ष 2007 में साहू की नियुक्ति राज्य पुलिस सेवा अधिकारी के रूप में हुई. सीटीजेडब्ल्यू कॉलेज कांकेर में संरक्षक और इंस्ट्रक्टर के रूप में काम किया. कानून और रणनीतियों के प्रशिक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. जिला-नारायणपुर में "अबुझमाड़ ऑपरेशन" नक्सल विरोधी अभियान में शामिल रहें. बस्तर के बीजापुर, भैरमगढ़, कोण्डागांव समेत नक्सल अभियान में सराहनीय कार्य किया.

जे आर ठाकुर, पुलिस अधीक्षक रेल : 1998 में राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी के रूप में नियुक्त हुए.अनुविभागीय अधिकारी गोंडा के रूप में कार्यकाल के दौरान कई नक्सली विरोधी अभियान का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया. कई नक्सलियों को गिरफ्तार कराया .

" 20 साल की सेवा के दौरान हम जो विभिन्न क्षेत्रों में काम करते हैं. उन कामों के आधार पर सराहनीय सेवा हेतु भारतीय पुलिस पदक दिया जाता है. मुझे जो पुरस्कार मिला है मेरे द्वारा नक्सल क्षेत्र में काम किया था. उस दौरान बहुत सारे नक्सलियों का आत्मसमर्पण कराया गया था. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जशपुर में रहते हुए अपहरण पीड़िता को बचाया और आरोपियों को गिरफ्तार किया था. जिसके कारण से यह मेडल मुझे मिला है." :जेआर ठाकुर, पुलिस अधीक्षक रेल

इसके अलावा छत्तीसगढ़ पुलिस में काम करने वाले कर्मचारियों को भी सम्मानित किया गया.


कमलेश्वर सिंह निरीक्षक, सीआईडी : 1999 में अविभाजित मध्यप्रदेश में उप निरीक्षक के पद पर नियुक्त होकर वर्तमान में निरीक्षक के पद पर सीआईडी, पुलिस मुख्यालय रायपुर में कमलेश्वर सिंह तैनात हैं. उन्हें सराहनीय सेवाओं के लिए भारतीय पुलिस पदक से सम्मानित किया गया है.

अर्जुन सिंह ठाकुर , कंपनी कमाण्डर 6वीं वाहिनी, छत्तीसगढ़ सुरक्षा बल, रायगढ़ : अर्जुन 1983 में अविभाजित मध्यप्रदेश में विशेष सशस्त्र बल आरक्षक (जीडी) के पद पर नियुक्त हुए.अर्जुन सिंह ठाकुर ने अपनी सेवाओं के दौरान छत्तीसगढ़ के कई नक्सल प्रभावित क्षेत्रों कार्य किया. कार्य के दौरान नक्सल प्रभावित क्षेत्र में वहां के लोगों के साथ तालमेल बनाया. जो लोग पुलिस से डरते थे. उन्हें समझाया कि पुलिस मदद करती है. इस कार्य के लिए अर्जुन को सम्मान मिला.

हरिहर प्रसाद गर्ग, प्लाटून कमाण्डर चौथी वाहिनी, छत्तीसगढ़ सुरक्षा बल : हरिहर प्रसाद गर्ग को को सराहनीय सेवाओं के लिए भारतीय पुलिस पदक से सम्मानित किया गया है. साल 1986 अविभाजित मध्यप्रदेश में विशेष सशस्त्र बल आरक्षक (जीडी) के पद पर नियुक्त होकर उन्होंने लगातार विभाग में अपनी सेवाएं दी.

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संजय कुमार दुबे प्लाटून कमाण्डर वीआईपी सुरक्षा वाहिनी माना : संजय कुमार दुबे वर्ष 1994 में अविभाजित मध्यप्रदेश में विशेष सशस्त्र बल आरक्षक (जीडी) के पद पर नियुक्त हुए. वर्तमान में प्लाटून कमाण्डर के पद पर वीआईपी सुरक्षा वाहिनी माना-रायपुर में तैनात हैं. उन्हें सराहनीय सेवाओं के लिए' भारतीय पुलिस पदक' से सम्मानित किया गया है.

बलवीर सिंह : वर्ष 1997 अविभाजित मध्यप्रदेश में आरक्षक (जीडी) के पद पर नियुक्त होकर वर्तमान में प्रधान आरक्षक के पद पर डीआरपी लाइन, बिलासपुर में हैं. बलबीर को भी भारतीय पुलिस पदक का सम्मान मिला.

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