नारायणपुर: जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अबूझमाड़ के मोहंदी में लगभग 5 हजार ग्रामीण एकत्रित हुए. यहां अबूझमाड़ के हजारों ग्रामीणों ने कई मसलों पर चर्चा की. मिली जानकारी के अनुसार यह बैठक बीते तीन दिन तक चली, जिसमें अबूझमाड़ के दूरदराज और दक्षिण बस्तर क्षेत्र के ग्रामीण भी पहुंचे थे. इस दौरान अबूझमाड़ में चुनौतियों को लेकर ग्रामीणों ने बातचीत की.
अबूझमाड़ के एक बुजुर्ग ग्रामीण ने बताया कि जंगल और शहर सरकार के बीच में हमारा जीवन परेशानियों से भर गया है. दोनों सरकार की लड़ाई में हम दो पाटों के बीच में पिस रहे हैं. जंगल जाते हैं तो फोर्स के जवान नक्सली बताकर गोली मार देते हैं. वहीं शहर आते हैं तो नक्सली पुलिस का खबरी होने का आरोप लगाकर जन अदालत में सजा देते हैं.
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कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा !
ग्रामीणों का कहना है कि कोरोना वायरस का संक्रमण फोर्स के जवानों में ज्यादा फैला हुआ है. गश्त के दौरान जवान खाने-पीने की सामग्री लेकर जंगल आते हैं, जो समाग्री बच जाता है. उसे रास्ते में बच्चों और ग्रामीणों को दे देते हैं, जिससे गांव में कोरोना वायरस के संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है. सभा में एकत्रित ग्रामीणों में सरकार के प्रति भारी नाराजगी देखने को मिली.
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ग्रामीणों में खासी नाराजगी
ग्रामीणों ने अवैधानिक वनों की कटाई, दुर्गम सड़क मार्ग, शासकीय योजनाओं को अबूझमाड़ के अंतिम छोर तक न पहुंचने को लेकर ग्रामीणों ने नाराजगी जताई. ग्रामीणों का कहना है कि सरकार योजनाएं चला रही है, लेकिन ग्रामीणों को उसका फायदा नहीं मिल रहा है. ऐसे में ग्रामीणों में खासी नाराजगी देखने को मिल रही है.
फोर्स के जवान और नक्सलियों पर गंभीर आरोप
बता दें कि अबूझमाड़ के मोहंदी गांव में 5 हजार ग्रामीणों ने सरकार की योजनाओं को हर कस्बे तक नहीं पहुंचाने का आरोप लगाया है. ग्रामीणों ने कहा कि जंगल जाते हैं, तो फोर्स के जवान नक्सली बताकर मार देते हैं. अगर शहर गए, तो नक्सली पुलिस का खबरी बताकर जन अदालत में सजा सुनाते हैं. ऐसे में ग्रामीण जाएं, तो जाएं कहां..? ये सबसे बड़ा सवाल है.