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हेल्पलाइन से भी नहीं मिली हेल्प, चलते-चलते पैरों में पड़े छाले - व्हाट्सएप

कोविड-19 के कारण हुए लॉकडाउन में दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूर वापस अपने गांव लौट रहे हैं. इन मजदूरों को शासन प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिल पा रही है, ऐसे ही कुछ मजदूर आंध्र प्रदेश से पैदल आ रहे हैं, जिन्हें बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

Miserable condition of laborers
प्रवासी मजदूरों की स्थिति खराब
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Published : May 13, 2020, 3:18 PM IST

Updated : May 14, 2020, 4:11 PM IST

महासमुंद: कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों की स्थिति बड़ी दयनीय हो चुकी है. 51 दिनों के इस लॉकडाउन में मजदूरों को वापस लाने शासन-प्रशासन ने अभी तक कोई व्यवस्था नहीं की है, जिसके कारण प्रवासी मजदूर अपने गांव वापस आने के लिए निकल पड़े हैं. इस कड़ी में आंध्र प्रदेश से निकले मजदूरों से उनकी परेशानियों के बारे में चर्चा की गई.

प्रवासी मजदूरों की स्थिति खराब

ये प्रवासी मजदूर दिसंबर से अप्रैल तक बाहर कमाने खाने जाते हैं और अप्रैल के बाद इनकी वापसी होती है. बरसात के महीने में वह अपने खेतों में काम कर अपना जीवन यापन करते हैं. जहां शासन -प्रशासन मजदूरों को वापस लाने का दावा कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर रोज हजारों मजदूर एक राज्य से दूसरे राज्य पैदल आ रहे हैं. इसे देखते हुए लगता है कि शासन और प्रशासन मजदूरों को राहत मुहैया कराने में फेल साबित हुआ है.

रायपुर: घर आने के लिए जान जोखिम में डालकर सफर कर रहे मजदूर

प्रवासी मजदूरों को नहीं मिल रही मदद

इस कड़ी में आंध्र प्रदेश से निकले मजदूरों से महासमुंद नेशनल हाईवे पर ETV भारत ने बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि, सरकार ने जो हेल्पलाइन नंबर और व्हाट्सएप सुविधा दी है. उसमें फोन करने और व्हाट्सएप करने पर इन मजदूरों को कोई फायदा नहीं मिल रहा है.

आंध्र प्रदेश से महासमुंद के लिए पैदल निकले मजदूर

जिसके कारण ये मजदूर पैदल ही आंध्र प्रदेश से निकल पड़े हैं और एक हफ्ते बाद महासमुंद नेशनल हाईवे पर पहुंचे हैं. इन मजदूरों को जिले के बसना गांव जाना है. अभी ये मजदूर और सफर तय करेंगे. इन प्रवासी मजदूरों के पांव में छाले पड़ गए हैं. इतना सफर तय करने के बाद भी प्रशासन इनके लिए कोई व्यवस्था नहीं कर रहा है.

महासमुंद: कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों की स्थिति बड़ी दयनीय हो चुकी है. 51 दिनों के इस लॉकडाउन में मजदूरों को वापस लाने शासन-प्रशासन ने अभी तक कोई व्यवस्था नहीं की है, जिसके कारण प्रवासी मजदूर अपने गांव वापस आने के लिए निकल पड़े हैं. इस कड़ी में आंध्र प्रदेश से निकले मजदूरों से उनकी परेशानियों के बारे में चर्चा की गई.

प्रवासी मजदूरों की स्थिति खराब

ये प्रवासी मजदूर दिसंबर से अप्रैल तक बाहर कमाने खाने जाते हैं और अप्रैल के बाद इनकी वापसी होती है. बरसात के महीने में वह अपने खेतों में काम कर अपना जीवन यापन करते हैं. जहां शासन -प्रशासन मजदूरों को वापस लाने का दावा कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर रोज हजारों मजदूर एक राज्य से दूसरे राज्य पैदल आ रहे हैं. इसे देखते हुए लगता है कि शासन और प्रशासन मजदूरों को राहत मुहैया कराने में फेल साबित हुआ है.

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प्रवासी मजदूरों को नहीं मिल रही मदद

इस कड़ी में आंध्र प्रदेश से निकले मजदूरों से महासमुंद नेशनल हाईवे पर ETV भारत ने बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि, सरकार ने जो हेल्पलाइन नंबर और व्हाट्सएप सुविधा दी है. उसमें फोन करने और व्हाट्सएप करने पर इन मजदूरों को कोई फायदा नहीं मिल रहा है.

आंध्र प्रदेश से महासमुंद के लिए पैदल निकले मजदूर

जिसके कारण ये मजदूर पैदल ही आंध्र प्रदेश से निकल पड़े हैं और एक हफ्ते बाद महासमुंद नेशनल हाईवे पर पहुंचे हैं. इन मजदूरों को जिले के बसना गांव जाना है. अभी ये मजदूर और सफर तय करेंगे. इन प्रवासी मजदूरों के पांव में छाले पड़ गए हैं. इतना सफर तय करने के बाद भी प्रशासन इनके लिए कोई व्यवस्था नहीं कर रहा है.

Last Updated : May 14, 2020, 4:11 PM IST
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