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कोरिया : स्कूल में मिलने वाला सोया दूध पीकर बिगड़ी छात्रा की तबीयत

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Published : Sep 20, 2019, 11:51 PM IST

स्कूल में मुख्यमंत्री अमृत योजना के तहत मिलने वाला दूध पीने के बाद छात्रा की तबीयत बिगड़ गई है.

अस्पताल में चल रहा छात्रा का इलाज

कोरिया: खंड़गवां में तीन दिन पहले ही, प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री ने बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए मिड-डे मील के साथ ही सोया दूध और पौष्टिक ब्रेकफास्ट उपलब्ध कराने की योजना का शुभारंभ किया था. योजना को शुरू हुए 72 घंटे भी नहीं हुए कि, कोरिया जिले में इस योजना में खामियां सामने आने लगी हैं.

सोया दूध पीने से बिगड़ी छात्रा की तबीयत

पढ़ें: VIDEO : सीएम की सभा से पहले जमकर नाचे आबकारी मंत्री कवासी लखमा

मनेंद्रगढ़ विकासखंड के लालपुर में संचालित शासकीय स्कूल में पढ़ने वाली एक छात्रा को बीती रात उल्टी-दस्त की शिकायत हुई. तबीयत बिगड़ती देख परिजन ने छात्रा को फौरन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया.

दूध की कर रही थी उल्टी: परिजन
जब ETV भारत ने छात्रा के परिजनों से इस बारे में बात की तो उन्होंने बताया कि 'उनकी बेटी घर से खाना खाकर स्कूल पढ़ने गई थी और जब से स्कूल से लौटकर घर पहुंची है, तो से उसके मुंह से झाग निकल रहा था और वो दूध की उल्टी कर रही थी'.

स्कूल में दिया गया खराब दूध: परिजन
उन्होंने बताया कि 'स्कूल में उसे पीने के लिए खराब दूध दिया गया, जिसके बाद उसकी तबीयत बिगड़ने लगी'. इस बात की जानकारी मिलने पर जब हमने संबंधित स्कूल में जाकर पड़ताल की तो, पता चला कि जिस संस्थान से दूध की आपूर्ति होती है, उसके प्रत्येक डिब्बे में 12 पैकेट होते हैं जिनमें से हर डिब्बे में से लगभग 3 से 4 पैकेट दूध पूरी तरह खराब रहता है.

शिक्षकों ने नहीं दिया कोई जवाब
ऐसे में बड़ा सवाल ये उठता है कि जब सप्लाई वाला दूध गुणवत्ताहीन है तो उसे बच्चों को पीने के क्यों दिया जा रहा है. इस बारे में जब हमने स्कूल में मौजूद शिक्षकों से चर्चा करनी चाही तो, उन्होंने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया.

जमा हुआ था पैकेट के अंदर मौजूद दूध
स्कूल में मौजूद दूध के पैकेट की जांच की गई तो जिस पैकेट में दूध होना चाहिए, उनमें दूध की जगह जमा हुआ दही जैसा पदार्थ दिखाई दे रहा था. जाहिर सी बात है पैकेट का दूध पूरी तरह खराब हो चुका था. ऐसे में जिले में यह योजना किस तरीके से संचालित होगी और बच्चों को इसका कितना लाभ मिलेगा ये तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन इतना जरूर है कि पैकेट बंद और गुणवत्ताहीन दूध पीकर बच्चों की तबीयत जरूर खराब हो रही है.

जांच के बाद होगी कार्रवाई
इस बारे में जब ETV भारत ने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व से बात की तो उनका कहना था कि 'इस बारे में जानकारी मिली है. स्कूलों में जाकर दूध की जांच करेंगे और जो भी तथ्य सामने आएंगे उसके अनुसार आगे की कार्रवाई होगी'.

कोरिया: खंड़गवां में तीन दिन पहले ही, प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री ने बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए मिड-डे मील के साथ ही सोया दूध और पौष्टिक ब्रेकफास्ट उपलब्ध कराने की योजना का शुभारंभ किया था. योजना को शुरू हुए 72 घंटे भी नहीं हुए कि, कोरिया जिले में इस योजना में खामियां सामने आने लगी हैं.

सोया दूध पीने से बिगड़ी छात्रा की तबीयत

पढ़ें: VIDEO : सीएम की सभा से पहले जमकर नाचे आबकारी मंत्री कवासी लखमा

मनेंद्रगढ़ विकासखंड के लालपुर में संचालित शासकीय स्कूल में पढ़ने वाली एक छात्रा को बीती रात उल्टी-दस्त की शिकायत हुई. तबीयत बिगड़ती देख परिजन ने छात्रा को फौरन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया.

दूध की कर रही थी उल्टी: परिजन
जब ETV भारत ने छात्रा के परिजनों से इस बारे में बात की तो उन्होंने बताया कि 'उनकी बेटी घर से खाना खाकर स्कूल पढ़ने गई थी और जब से स्कूल से लौटकर घर पहुंची है, तो से उसके मुंह से झाग निकल रहा था और वो दूध की उल्टी कर रही थी'.

स्कूल में दिया गया खराब दूध: परिजन
उन्होंने बताया कि 'स्कूल में उसे पीने के लिए खराब दूध दिया गया, जिसके बाद उसकी तबीयत बिगड़ने लगी'. इस बात की जानकारी मिलने पर जब हमने संबंधित स्कूल में जाकर पड़ताल की तो, पता चला कि जिस संस्थान से दूध की आपूर्ति होती है, उसके प्रत्येक डिब्बे में 12 पैकेट होते हैं जिनमें से हर डिब्बे में से लगभग 3 से 4 पैकेट दूध पूरी तरह खराब रहता है.

शिक्षकों ने नहीं दिया कोई जवाब
ऐसे में बड़ा सवाल ये उठता है कि जब सप्लाई वाला दूध गुणवत्ताहीन है तो उसे बच्चों को पीने के क्यों दिया जा रहा है. इस बारे में जब हमने स्कूल में मौजूद शिक्षकों से चर्चा करनी चाही तो, उन्होंने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया.

जमा हुआ था पैकेट के अंदर मौजूद दूध
स्कूल में मौजूद दूध के पैकेट की जांच की गई तो जिस पैकेट में दूध होना चाहिए, उनमें दूध की जगह जमा हुआ दही जैसा पदार्थ दिखाई दे रहा था. जाहिर सी बात है पैकेट का दूध पूरी तरह खराब हो चुका था. ऐसे में जिले में यह योजना किस तरीके से संचालित होगी और बच्चों को इसका कितना लाभ मिलेगा ये तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन इतना जरूर है कि पैकेट बंद और गुणवत्ताहीन दूध पीकर बच्चों की तबीयत जरूर खराब हो रही है.

जांच के बाद होगी कार्रवाई
इस बारे में जब ETV भारत ने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व से बात की तो उनका कहना था कि 'इस बारे में जानकारी मिली है. स्कूलों में जाकर दूध की जांच करेंगे और जो भी तथ्य सामने आएंगे उसके अनुसार आगे की कार्रवाई होगी'.

Intro:एंकर - कोरिया जिले के खंडगवा में अभी 3 दिन पहले ही प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री बच्चों को कुपोषण से बचाने मध्यान भोजन के साथ ही साथ सोया दूध और पौष्टिक ब्रेकफास्ट उपलब्ध कराने की योजना का शुभारंभ करके अभी रायपुर भी नहीं पहुंच पाए होंगे कि कोरिया जिले में इस योजना की खामियां सामने आने लगी।
Body:जिले के मनेंद्रगढ़ विकासखंड में लालपुर में संचालित शासकीय स्कूल में पढ़ने वाली एक छात्रा बीती रात अपने घर पहुंची यहां घर पहुंचने के साथ ही उसे उल्टी दस्त शुरू हो गया। बालिका की तबीयत बिगड़ती देख परिजनों ने उसे तत्काल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया ।जब हमने बालिका के परिजनों से इस बारे में पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि उनकी बेटी घर से खाना खाकर स्कूल पढ़ने गई थी और जब से स्कूल से लौट कर आई है तब से उसके मुंह से झाग निकलने लगा और दूध की उल्टी करने लगी ,तो जब हमने पूछा तो उन्होंने बताया कि स्कूल में उसे पीने के लिए खराब दूध दिया गया जिसके चलते उसकी तबीयत बिगड़ने लगी ।इस बात की जानकारी मिलने पर जब हमने संबंधित स्कूल में जाकर पड़ताल की तो पता चला कि जिस संस्थान से दूध की आपूर्ति होती है उसके प्रत्येक डिब्बे में 12 पैकेट होते हैं जिनमें से प्रत्येक डब्बे में से लगभग 3 से 4 पैकेट दूध पूरी तरह खराब रहता है ऐसे में बड़ा सवाल ये उठता है कि जब सप्लाई वाला दूध गुणवत्ता हीन है तो उन्हें पीने से बच्चों का पोषण कैसे ठीक होगा। इस बारे में जब हमने स्कूल में मौजूद शिक्षकों से चर्चा करनी चाही तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। इस दौरान जब स्कूल में मौजूद दूध के पैकेट की जांच की तो जिस पैकेट में दूध होना चाहिए उनमें दूध की जगह जमा हुआ दही जैसा निकलता दिखाई दे रहा था ।जाहिर सी बात है पैकेट का दूध पूरी तरह खराब हो चुका था। ऐसे में जिले में यह योजना किस तरीके से संचालित होगी और बच्चों को इसका कितना लाभ मिलेगा यह तो नहीं कहा जा सकता लेकिन इतना जरूर है कि पैकेट बंद और गुणवत्ताहींन दूध पीकर बच्चों की तबीयत जरूर खराब होगी।Conclusion:इस बारे में जब हमने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व चर्चा की तो उनका कहना था कि उन्हें इस बारे में जानकारी दी गई है आप लोगों की जानकारी के मुताबिक स्कूलों में जाकर दूध की जांच करेंगे और जो भी तथ्य सामने आएंगे उसके अनुसार आगे की कार्रवाई होगी।
बाइट - रंजिला (पीड़िता की माँ)
बाइट - आर.पी.चौहान(एस.डी. एम.,मनेन्द्रगढ़)
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