बैकुंठपुर : कोरिया जिला मुख्यालय के बीच में ऐसी जगह है जो यहां आने वालों की आंखों को सुकून देती है.इस जगह पर चारों तरफ हरियाली, हरे भरे पेड़ लोगों को अपनी ओर खींचते हैं. इस जगह का नाम है प्रेमा बाग. जिसे कोरिया रियासत के राजा के दीवान ने अपनी पत्नी की याद में तैयार करवाया था. जब शहर की बसाहट बढ़ी तो यहां कॉलोनियां बना दी गई. फिर भी शहरवासियों ने पेड़ों को बचाकर रखा. बाग में घने पेड़ों से घिरी हुई कॉलोनी भीषण गर्मी में भी राहत देती है. लोगों ने भी यहां पेड़ नहीं काटने का संकल्प लिया.आज देवराहा बाबा सेवा समिति इसकी देखरेख करती है.
कैसे बना था प्रेमाबाग ? : आपको बता दें कि कोरिया रियासत के राजा के दीवान रघुवीर प्रसाद श्रीवास्तव ने 1921 में अपनी पत्नी प्रेमाबाई की याद में यह बाग बनवाया था. बाग में शिव मंदिर की स्थापना करवाई जिन्हें प्रेमशंकर महादेव नाम दिया. इसके बाद यह बाग धार्मिक स्थल के रूप में पहचाना जाने लगा. आसपास कई मंदिरों का निर्माण हुआ. जिस वक्त शिव मंदिर का निर्माण हो रहा था उसी समय राजा के दीवान ने मंदिर से लगे गेज नदी के पास एक कुंड का भी निर्माण करवाया. यह कुंड आज भी है. देवराहा बाबा सेवा समिति के अध्यक्ष शैलेश शिवहरे के मुताबिक सदस्यों की ओर से हर साल बाग समेत शहर के आसपास 8 हजार पौधे लगाएं और बांटे जाते हैं. बाग में पेड़-पौधों को कोई नुकसान न पहुंचाए इसका भी खास ध्यान रखा जाता है.
गर्मी में भी दो डिग्री तक कम रहता है तापमान : स्थानीय लोगों का कहना है कि घने पेड़ों के कारण गर्मी में दो डिग्री तक तापमान कम होता है. गर्मी के दिनों में प्रेमा बाग के पेड़ लोगों को लू की थपेड़ों से बचाते हैं. घराें में तेज धूप नहीं आने से गर्मी में काफी ज्यादा राहत मिलती है. यहां लगे ज्यादातर पेड़ फलदार हैं. सड़क किनारे आम के पेड़ इस मौसम में फलों से लदे हुए होते हैं. खास बात है कि पेड़ों को नुकसान पहुंचाएं बिना ही सारे निर्माण हुए हैं.
150 सरकारी आवास के बीच में बसा है बाग : कॉलाेनी में 150 सरकारी आवास हैं. यह कोई बड़ा आंकड़ा नहीं है लेकिन किसी भी दरवाजे पर खड़े होकर चारों ओर का नजारा देखें, तो सब कुछ हरा-भरा दिखाई देता है. सभी आवास लगभग सरकारी हैं. जल संसाधन विभाग, नगर पालिका और डॉक्टर स्टाफ यहां रहते हैं.