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महामारी पर आस्था भारी: मास्क लगाए अर्घ्य देती नजर आई महिलाएं, धूमधाम ने मनाया जा रहा छठ

कोरिया में छठ पूजा धूमधाम से मनाया जा रहा है, शनिवार को पूजा का अंतिम दिन है. शुक्रवार को महिलाओं ने कोरोना नियमों का पालन करते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया है.

Chhath Puja celebrated in Koriya
मास्क लगाए अर्ध्य देती महिला
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Published : Nov 21, 2020, 2:27 AM IST

Updated : Nov 21, 2020, 8:12 AM IST

कोरिया: आस्था का महापर्व छठ पूजा को जिले में बड़े धूमधाम से मनाया गया. इस दौरान महामारी पर लोक आस्था भारी जैसा नजारा देखने को मिला. यहां कोरोना रोकथाम के नियमों का पालन करते हुए महिलाओं ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया. इस दैरान पूरी तरह से समाजिक दूरी के नियमों का पालन किया गया. छठ का व्रत करने वाली महिलाओं ने मास्क पहनकर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया. शुक्रवार को छठ पर्व का तीसरा दिन था. शनिवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद 4 दिनों तक चलने वाले छठ पर्व का समापन होगा. जनकपुर के स्थानीय समेत उत्तर भारतीयों ने बड़े धूमधाम से छठ पर्व मनाया है.

देखें: मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार ससुराल पहुंचे भूपेश बघेल, कुछ इस तरीके से किया गया स्वागत

शनिवार को समापन

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को छठ पूजा का अंतिम दिन मनाया जाता है. इस दिन सूर्योदय के समय सूर्य देव को अर्घ्य देने की परंपरा है. 21 नवंबर को सूर्योदय का अर्घ्य दिया जाएगा. उगते सूरज के अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त सुबह 6:49 बजे है. सूर्य को जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे का उपयोग किया जाता है. गिरते जल की धारा में सूर्यदेव के दर्शन किया जाता है.

ऐसी मान्यता है कि जिन दंपती को संतान नहीं हो रही हो, ऐसे लोगों को इस व्रत से लाभ होता है. अगर संतान पक्ष से कष्ट हो तो भी ये व्रत लाभदायक होता है. अगर कुष्ठ रोग या पाचन तंत्र की गंभीर समस्या हो तो भी इस व्रत को रखना शुभ होता है. जिन लोगों की कुंडली में सूर्य की स्थिति खराब हो या राज पक्ष से समस्या हो, ऐसे लोगों को भी इस व्रत को जरूर रखना चाहिए.

कोरिया: आस्था का महापर्व छठ पूजा को जिले में बड़े धूमधाम से मनाया गया. इस दौरान महामारी पर लोक आस्था भारी जैसा नजारा देखने को मिला. यहां कोरोना रोकथाम के नियमों का पालन करते हुए महिलाओं ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया. इस दैरान पूरी तरह से समाजिक दूरी के नियमों का पालन किया गया. छठ का व्रत करने वाली महिलाओं ने मास्क पहनकर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया. शुक्रवार को छठ पर्व का तीसरा दिन था. शनिवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद 4 दिनों तक चलने वाले छठ पर्व का समापन होगा. जनकपुर के स्थानीय समेत उत्तर भारतीयों ने बड़े धूमधाम से छठ पर्व मनाया है.

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शनिवार को समापन

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को छठ पूजा का अंतिम दिन मनाया जाता है. इस दिन सूर्योदय के समय सूर्य देव को अर्घ्य देने की परंपरा है. 21 नवंबर को सूर्योदय का अर्घ्य दिया जाएगा. उगते सूरज के अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त सुबह 6:49 बजे है. सूर्य को जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे का उपयोग किया जाता है. गिरते जल की धारा में सूर्यदेव के दर्शन किया जाता है.

ऐसी मान्यता है कि जिन दंपती को संतान नहीं हो रही हो, ऐसे लोगों को इस व्रत से लाभ होता है. अगर संतान पक्ष से कष्ट हो तो भी ये व्रत लाभदायक होता है. अगर कुष्ठ रोग या पाचन तंत्र की गंभीर समस्या हो तो भी इस व्रत को रखना शुभ होता है. जिन लोगों की कुंडली में सूर्य की स्थिति खराब हो या राज पक्ष से समस्या हो, ऐसे लोगों को भी इस व्रत को जरूर रखना चाहिए.

Last Updated : Nov 21, 2020, 8:12 AM IST
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