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कोरिया: पौधों की सुरक्षा के लिए लगाए ट्री-गार्ड में भ्रष्टाचार! - Questions on administration

कोरिया के मधला गांव में पौधों की सुरक्षा और सहारा के लिए लगाए गए ढ़ोलों को अब खुद सहारे की जरूरत पड़ रही है. लगभग 5 लाख रुपये की लागत से रोड किनारे पौधा रोपण का कार्य किया गया था. ऐसे में कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं.

Bamboo enclosure spoiled
पौधों की सुरक्षा के लिए लगाए ढ़ोलों को सहारे की जरूरत
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Published : Jan 2, 2021, 8:49 PM IST

कोरिया: सोनहत विकासखण्ड के अंतर्गत नवीन ग्राम पंचायत मधला में लगभग 5 लाख की लागत से रोड किनारे पौधरोपण का कार्य किया गया था. काम 3 महीने पहले पूरा कर लिया गया था. जिसमें पौधों की सुरक्षा के लिए बांस से बने ढ़ोलों को लगाया गया था. जिसके निर्माण में भारी अनियमितताएं सामने आने लगी है.

फिलहाल ढ़ोलों के हालत खराब हो चुके हैं. कई ढ़ोल तो टूटने लगे हैं. जिससे प्रशासान के कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े होने लगे हैं. निर्माण कार्य में सही मापडंडों को दरकिनार करते हुए इसे तैयार किया गया है. ढ़ोलों की वर्तमान स्थिति इस कदर खराब है कि पौधों को सहारा देने के बजाय अब ढ़ोलों को सहारे की जरूरत पड़ रही है. ऐसे में राशि के दुरूपयोग किए जाने की बात भी सामने आ रही है.

पढ़ें: पौधा तुंहर दुआर योजना की शुरुआत, कटघोरा विधायक ने विभाग वाहन को दिखाई हरी झंडी

पंचायत के भरोसे पौधों की सुरक्षा

जिम्मेदार अधिकारियों ने पौधों और ढ़ोलों की सुरक्षा की जिम्मेदारी पंचायत को दी है. पंचायत पौधों के हालातों की सुध नहीं ले रहा है. अधिकारियों का कहना है कि अब सुधार के लिए मनरेगा के मजदूर लगाए जाएंगे. एक कार्य पर शासन के पैसे को दोबारा खर्च करना दोगुना भार पड़ता नजर आ रहा है. पौधा रोपण कार्य मनरेगा के तहत अगस्त 2020 से प्रारंभ होकर 29 सितंबर 2020 तक पूर्ण हुआ था. जिसमें ग्रामीणों को तो रोजगार मिला लेकिन पौधों के लिए बनाए गए ढ़ोलों का सहारा मिलना महज खानापूर्ती नजर आ रही है.

कोरिया: सोनहत विकासखण्ड के अंतर्गत नवीन ग्राम पंचायत मधला में लगभग 5 लाख की लागत से रोड किनारे पौधरोपण का कार्य किया गया था. काम 3 महीने पहले पूरा कर लिया गया था. जिसमें पौधों की सुरक्षा के लिए बांस से बने ढ़ोलों को लगाया गया था. जिसके निर्माण में भारी अनियमितताएं सामने आने लगी है.

फिलहाल ढ़ोलों के हालत खराब हो चुके हैं. कई ढ़ोल तो टूटने लगे हैं. जिससे प्रशासान के कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े होने लगे हैं. निर्माण कार्य में सही मापडंडों को दरकिनार करते हुए इसे तैयार किया गया है. ढ़ोलों की वर्तमान स्थिति इस कदर खराब है कि पौधों को सहारा देने के बजाय अब ढ़ोलों को सहारे की जरूरत पड़ रही है. ऐसे में राशि के दुरूपयोग किए जाने की बात भी सामने आ रही है.

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पंचायत के भरोसे पौधों की सुरक्षा

जिम्मेदार अधिकारियों ने पौधों और ढ़ोलों की सुरक्षा की जिम्मेदारी पंचायत को दी है. पंचायत पौधों के हालातों की सुध नहीं ले रहा है. अधिकारियों का कहना है कि अब सुधार के लिए मनरेगा के मजदूर लगाए जाएंगे. एक कार्य पर शासन के पैसे को दोबारा खर्च करना दोगुना भार पड़ता नजर आ रहा है. पौधा रोपण कार्य मनरेगा के तहत अगस्त 2020 से प्रारंभ होकर 29 सितंबर 2020 तक पूर्ण हुआ था. जिसमें ग्रामीणों को तो रोजगार मिला लेकिन पौधों के लिए बनाए गए ढ़ोलों का सहारा मिलना महज खानापूर्ती नजर आ रही है.

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