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कैसे संवरेगी सिया की जिदंगी, नाना ने एडमिशन कराने के लिए कलेक्टर से लगाई गुहार - सिया की जिदंगी

बच्ची के स्कूल में निःशुल्क दाखिले के लिए गुहार लगाने नाना-नानी जिला शिक्षा अधिकारी के पास पहुंचे.

नाना ने एडमिशन कराने के लिए कलेक्टर से लगाई गुहार
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Published : Mar 22, 2019, 5:43 PM IST

कोरबा: इस हंसती खेलती मासूम बच्ची को बिल्कुल भी अंदाजा नहीं है कि उसके नाना नानी कितने कष्ट में इसका पालन पोषण कर रहे हैं. स्थिति इतनी दयनीय है कि उनके पास उसे पढ़ाने के लिए पैसे नहीं है. यही वजह है कि वे बच्ची के स्कूल में निःशुल्क दाखिले के लिए गुहार लगाने जिला शिक्षा अधिकारी के पास पहुंचे.

सिया के नाना नानी गरीबी रेखा से नीचे आते हैं. सिया के नाना को मात्र 1 हजार रुपये पेंशन मिलता है और बचत खाते में बचे रुपयों से अपना और सिया का भरण पोषण कर रहे हैं. वे इतने सक्षम नहीं है कि उसकी पढ़ाई लिखाई का खर्चा उठा सकें. वे चाहते हैं कि RTE के तहत उसे DPS में दाखिला मिल जाए. इसकी गुहार लेकर जब जिला शिक्षा अधिकारी के पास पहुंचे, तो उन्होंने सिया के नाना नानी को स्याहीमूड़ी में दाखिला की राय दी है. शिक्षा अधिकारी के अनुसार इसमें दाखिला लेने उसके पढ़ाई से जुड़ा कोई खर्च नहीं करना पड़ेगा और बच्ची होस्टल में निःशुल्क रहेगी, लेकिन नाना नानी की इच्छा है कि उसका दाखिला DPS में हो.

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ऐसी है कहानी
दरअसल, बच्ची सिया सिंह के पिता की मृत्यु उसके दुनिया में आने से पहले ही हो गई थी. जब सिया 6 महीने की मां के गर्भ में थी तब सिया के पिता विजय सिंह की सड़क हादसे में मौत हो गई थी. सिया को जन्म देने के 3 साल बाद मां शीला सिंह की कैंसर से मृत्यु हो गई. माँ की मौत को भी अब तीन साल बीत चुके हैं और सिया 6 वर्ष की हो गई है. सिया के जन्म से लेकर अब तक उसके नाना-नानी उसका पालन करते आ रहे हैं.

बयां किया दर्द
पिता के मौत के बाद शीला को ससुराल वालों ने अपने से अलग कर दिया. इसके बाद शीला की भी मृत्यु हो जाने के बाद मायके के से भी कोई सहारा नहीं मिला. शीला के माता पिता और सिया के नाना-नानी ही दो लोग हैं जो सिया की ज़िंदगी हैं. इस बच्ची को बिल्कुल भी एहसास नहीं है कि नाना नानी के बाद सिया के आगे पीछे कोई भी नहीं है. नाना की उम्र 76 वर्ष है और वे ठीक से चल फिर भी नहीं पाते हैं. नानी भी बुजुर्ग हैं और बच्ची से मोह की वजह से उसके लिए अपनी क्षमता से अधिक उसके पालन पोषण में लगे हैं.

कोरबा: इस हंसती खेलती मासूम बच्ची को बिल्कुल भी अंदाजा नहीं है कि उसके नाना नानी कितने कष्ट में इसका पालन पोषण कर रहे हैं. स्थिति इतनी दयनीय है कि उनके पास उसे पढ़ाने के लिए पैसे नहीं है. यही वजह है कि वे बच्ची के स्कूल में निःशुल्क दाखिले के लिए गुहार लगाने जिला शिक्षा अधिकारी के पास पहुंचे.

सिया के नाना नानी गरीबी रेखा से नीचे आते हैं. सिया के नाना को मात्र 1 हजार रुपये पेंशन मिलता है और बचत खाते में बचे रुपयों से अपना और सिया का भरण पोषण कर रहे हैं. वे इतने सक्षम नहीं है कि उसकी पढ़ाई लिखाई का खर्चा उठा सकें. वे चाहते हैं कि RTE के तहत उसे DPS में दाखिला मिल जाए. इसकी गुहार लेकर जब जिला शिक्षा अधिकारी के पास पहुंचे, तो उन्होंने सिया के नाना नानी को स्याहीमूड़ी में दाखिला की राय दी है. शिक्षा अधिकारी के अनुसार इसमें दाखिला लेने उसके पढ़ाई से जुड़ा कोई खर्च नहीं करना पड़ेगा और बच्ची होस्टल में निःशुल्क रहेगी, लेकिन नाना नानी की इच्छा है कि उसका दाखिला DPS में हो.

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ऐसी है कहानी
दरअसल, बच्ची सिया सिंह के पिता की मृत्यु उसके दुनिया में आने से पहले ही हो गई थी. जब सिया 6 महीने की मां के गर्भ में थी तब सिया के पिता विजय सिंह की सड़क हादसे में मौत हो गई थी. सिया को जन्म देने के 3 साल बाद मां शीला सिंह की कैंसर से मृत्यु हो गई. माँ की मौत को भी अब तीन साल बीत चुके हैं और सिया 6 वर्ष की हो गई है. सिया के जन्म से लेकर अब तक उसके नाना-नानी उसका पालन करते आ रहे हैं.

बयां किया दर्द
पिता के मौत के बाद शीला को ससुराल वालों ने अपने से अलग कर दिया. इसके बाद शीला की भी मृत्यु हो जाने के बाद मायके के से भी कोई सहारा नहीं मिला. शीला के माता पिता और सिया के नाना-नानी ही दो लोग हैं जो सिया की ज़िंदगी हैं. इस बच्ची को बिल्कुल भी एहसास नहीं है कि नाना नानी के बाद सिया के आगे पीछे कोई भी नहीं है. नाना की उम्र 76 वर्ष है और वे ठीक से चल फिर भी नहीं पाते हैं. नानी भी बुजुर्ग हैं और बच्ची से मोह की वजह से उसके लिए अपनी क्षमता से अधिक उसके पालन पोषण में लगे हैं.

Intro:इस हंसती खेलती मासूम बच्ची को बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं है कि उसके नाना नानी कितने कष्ट में इसका पालन पोषण कर रहे हैं। स्थिति इतनी दयनीय है कि उनके पास उसे पढ़ाने के लिए पैसे नहीं है। यही वजह है कि आज वे बच्ची के स्कूल में निःशुल्क दाखिले के लिए गुहार लगाने जिला शिक्षा अधिकारी के पास पहुँचे।


Body:दरसल, बच्ची सिया सिंह के पिता की मृत्यु उसके दुनिया में आने से पहले ही हो गई थी। जब सिया 6 महीने की माँ के गर्भ में थी तब सिया के पिता विजय सिंह की सड़क हादसे में मौत हो गई। सिया को जन्म देने के 3 साल बाद माँ शीला सिंह की कैंसर से मृत्यु हो गई। माँ की मौत को भी अब तीन साल बीत चुके हैं और सिया 6 वर्ष की हो गई है। सिया के जन्म से लेकर अब तक उसके नाना नानी उसका पालन करते आ रहे हैं। पिता के मौत के बाद शीला को ससुराल वालों ने अपने से अलग कर दिया। इसके बाद शीला की भी मृत्यु हो जाने के बाद मायके के से भी कोई सहारा नहीं मिला। शीला के माता पिता और सिया के नाना नानी ही दो लोग हैं जो सिया की ज़िंदगी हैं। इस बच्ची को बिकलुल भी एहसास नहीं है कि नाना नानी के बाद सिया के आगे पीछे कोई भी नहीं है। नाना की उम्र 76 वर्ष है और वे ठीक से चल फिर भी नहीं पाते हैं। नानी भी बुजुर्ग हैं और बच्ची से मोह की वजह से उसके लिए अपनी क्षमता से अधिक उसके पालन पोषण में लगे हैं।
सिया के नाना नानी गरीबी रेखा से नीचे वाले वर्ग में आते हैं। सिया के नाना को मात्र 1000 रुपये पेंशन मिलता है और बचत खाते में बचे रुपयों से अपना और सिया का भरण पोषण कर रहे हैं। वे भी जानते हैं कि वे इतने सक्षम नहीं है कि उसके पढ़ाई लिखाई का खर्चा उठा सकें। वे चाहते हैं कि RTE के तहत उसे DPS में दाखिला मिल जाए। इसकी गुहार लेकर जब जिला शिक्षा अधिकारी के पास पहुँचे तो उन्होंने सिया के नाना नानी को स्याहीमूड़ी में दाखिला की राय दी है। शिक्षा अधिकारी के अनुसार इसमें दाखिला लेने उसके पढ़ाई से जुड़ा कोई खर्च नहीं करना पड़ेगा और बच्ची होस्टल में निःशुल्क रहेगी। लेकिन नाना नानी की इच्छा है कि उसका दाखिला DPS में हो क्योंकि उनका कहना है कि बच्ची के अलावा उनका इस दुनिया में कोई नहीं है। वे लोग जब तक जिंदा हैं तब तक उसका पालन पोषण करते रहेंगे। अब नाना की दुविधा ऐसी है कि एक तरफ बच्ची के भविष्य की चिंता और दूसरी तरफ बच्ची से लगाओ भी है। बच्ची को होस्टल भेज कर अपने से अलग नहीं करना चाहते हैं और दूसरी तरफ अच्छी और निःशुल्क शिक्षा प्रदान करना चाहते हैं।

बाइट- शैल कुमारी सिंह, बच्ची की नानी
बाइट- सुफल सिंह, बच्ची के नाना


Conclusion:
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