कोरबा: इस हंसती खेलती मासूम बच्ची को बिल्कुल भी अंदाजा नहीं है कि उसके नाना नानी कितने कष्ट में इसका पालन पोषण कर रहे हैं. स्थिति इतनी दयनीय है कि उनके पास उसे पढ़ाने के लिए पैसे नहीं है. यही वजह है कि वे बच्ची के स्कूल में निःशुल्क दाखिले के लिए गुहार लगाने जिला शिक्षा अधिकारी के पास पहुंचे.
सिया के नाना नानी गरीबी रेखा से नीचे आते हैं. सिया के नाना को मात्र 1 हजार रुपये पेंशन मिलता है और बचत खाते में बचे रुपयों से अपना और सिया का भरण पोषण कर रहे हैं. वे इतने सक्षम नहीं है कि उसकी पढ़ाई लिखाई का खर्चा उठा सकें. वे चाहते हैं कि RTE के तहत उसे DPS में दाखिला मिल जाए. इसकी गुहार लेकर जब जिला शिक्षा अधिकारी के पास पहुंचे, तो उन्होंने सिया के नाना नानी को स्याहीमूड़ी में दाखिला की राय दी है. शिक्षा अधिकारी के अनुसार इसमें दाखिला लेने उसके पढ़ाई से जुड़ा कोई खर्च नहीं करना पड़ेगा और बच्ची होस्टल में निःशुल्क रहेगी, लेकिन नाना नानी की इच्छा है कि उसका दाखिला DPS में हो.
ऐसी है कहानी
दरअसल, बच्ची सिया सिंह के पिता की मृत्यु उसके दुनिया में आने से पहले ही हो गई थी. जब सिया 6 महीने की मां के गर्भ में थी तब सिया के पिता विजय सिंह की सड़क हादसे में मौत हो गई थी. सिया को जन्म देने के 3 साल बाद मां शीला सिंह की कैंसर से मृत्यु हो गई. माँ की मौत को भी अब तीन साल बीत चुके हैं और सिया 6 वर्ष की हो गई है. सिया के जन्म से लेकर अब तक उसके नाना-नानी उसका पालन करते आ रहे हैं.
बयां किया दर्द
पिता के मौत के बाद शीला को ससुराल वालों ने अपने से अलग कर दिया. इसके बाद शीला की भी मृत्यु हो जाने के बाद मायके के से भी कोई सहारा नहीं मिला. शीला के माता पिता और सिया के नाना-नानी ही दो लोग हैं जो सिया की ज़िंदगी हैं. इस बच्ची को बिल्कुल भी एहसास नहीं है कि नाना नानी के बाद सिया के आगे पीछे कोई भी नहीं है. नाना की उम्र 76 वर्ष है और वे ठीक से चल फिर भी नहीं पाते हैं. नानी भी बुजुर्ग हैं और बच्ची से मोह की वजह से उसके लिए अपनी क्षमता से अधिक उसके पालन पोषण में लगे हैं.