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कोंडागांवः दिव्यागों को रोजगार दिलाने के लिए युवाओं की विशेष पहल

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Published : Dec 13, 2019, 3:31 PM IST

कोंडागांव में समाजिक कार्यकर्ताओं का एक समूह दिव्यांगों को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए विशेष काम कर रहा है. जिसमें दिव्यांगों को रोजगार मुहैया कराने के साथ उनमें आत्मविश्वास जगाया जा रहा है.

Divyang got employment
दिव्यांगों को मिला रोजगार

कोंडागांवः शासन-प्रशासन द्वारा दिव्यांगों के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है. लेकिन यह काफी नहीं है. इसे देखते हुए शहर के युवाओं का एक समूह द्वारा दिव्यांगों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने के लिए पहल की गई है.

दिव्यांगों को मिला रोजगार

इन युवाओं ने दिव्यांगों के लिए सड़क किनारे टेंट लगाकर चप्पलों की दुकान खोली है. जहां पर वे रोजना सुबह आकर दिव्यांगों की इस दुकान को सजाते हैं. युवाओं ने बताया कि अभी शुरुआत में दो ऐसे दिव्यांग यहां बैठ रहे हैं जो कुछ भी नहीं कर पा रहे थे, लेकिन आत्मनिर्भर बनना चाहते थे. उनके लिए जिले में ही निर्मित हो रहे चप्पल की दुकान खोली गई है. हालांकि अभी कोई भवन या कमरा उपलब्ध नहीं है, इस वजह से सड़क के किनारे पर ही टेंट लगाकर गोकुल यादव और खेमसिंह यादव इन चप्पलों को बेच अपना जीविकोपार्जन चला रहे हैं.

आर्थिक स्थिति में सुधार
दिव्यांग गोकुल यादव और खेमसिंह यादव का कहना है कि वे इस सहयोग के लिए युवाओं का आभारी हैं. उन्होंने बताया कि सड़कों पर भीख मांगने से यह काम अच्छा है और उन्हें बहुत पसंद आ रहा है. इससे वे रोजाना कम से कम 100 से 200 रुपए कमा रहे हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में बदलाव आया है.

लोगों से मिल रही है सराहना
दिव्यांगों ने बताया कि युवाओं द्वारा रोजाना चप्पलों को गिनती और उनमें दाम अंकित कर युवाओं द्वारा दुकान सजा दिया जाता है. इसके बाद वे सुबह 8:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक इन चप्पलों को बेचते हैं. फिर शाम तक बेचे हुए चप्पलों में से मिले मुनाफा उन्हें दे दिया जाता है. उन्होंने बताया कि लोगों द्वारा उनके काम करने के लगन को सराहा जा रहा है.

दिव्यांगों को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास
जिले में दिव्यांगों के जीवन में बदलाव लाने के लिए समाजिक कार्यकर्ताओं ने शांति फाउंडेशन की सहायता से एक विशेष पहल की है. युवाओं ने बताया कि हर स्तर पर दिव्यांगों को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जा रहा है.

कोंडागांवः शासन-प्रशासन द्वारा दिव्यांगों के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है. लेकिन यह काफी नहीं है. इसे देखते हुए शहर के युवाओं का एक समूह द्वारा दिव्यांगों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने के लिए पहल की गई है.

दिव्यांगों को मिला रोजगार

इन युवाओं ने दिव्यांगों के लिए सड़क किनारे टेंट लगाकर चप्पलों की दुकान खोली है. जहां पर वे रोजना सुबह आकर दिव्यांगों की इस दुकान को सजाते हैं. युवाओं ने बताया कि अभी शुरुआत में दो ऐसे दिव्यांग यहां बैठ रहे हैं जो कुछ भी नहीं कर पा रहे थे, लेकिन आत्मनिर्भर बनना चाहते थे. उनके लिए जिले में ही निर्मित हो रहे चप्पल की दुकान खोली गई है. हालांकि अभी कोई भवन या कमरा उपलब्ध नहीं है, इस वजह से सड़क के किनारे पर ही टेंट लगाकर गोकुल यादव और खेमसिंह यादव इन चप्पलों को बेच अपना जीविकोपार्जन चला रहे हैं.

आर्थिक स्थिति में सुधार
दिव्यांग गोकुल यादव और खेमसिंह यादव का कहना है कि वे इस सहयोग के लिए युवाओं का आभारी हैं. उन्होंने बताया कि सड़कों पर भीख मांगने से यह काम अच्छा है और उन्हें बहुत पसंद आ रहा है. इससे वे रोजाना कम से कम 100 से 200 रुपए कमा रहे हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में बदलाव आया है.

लोगों से मिल रही है सराहना
दिव्यांगों ने बताया कि युवाओं द्वारा रोजाना चप्पलों को गिनती और उनमें दाम अंकित कर युवाओं द्वारा दुकान सजा दिया जाता है. इसके बाद वे सुबह 8:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक इन चप्पलों को बेचते हैं. फिर शाम तक बेचे हुए चप्पलों में से मिले मुनाफा उन्हें दे दिया जाता है. उन्होंने बताया कि लोगों द्वारा उनके काम करने के लगन को सराहा जा रहा है.

दिव्यांगों को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास
जिले में दिव्यांगों के जीवन में बदलाव लाने के लिए समाजिक कार्यकर्ताओं ने शांति फाउंडेशन की सहायता से एक विशेष पहल की है. युवाओं ने बताया कि हर स्तर पर दिव्यांगों को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जा रहा है.

Intro:शहर में युवाओं के एक समूह ने दिव्यांगों को सशक्त एवं आत्मनिर्भर बनाने के लिए विशेष पहल की.…...
Body:शासन-प्रशासन द्वारा दिव्यांगों के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं पर धरातल स्थिति में यह नाकाफी है, इसे देखते हुए शहर के युवाओं के एक समूह द्वारा दिव्यांगों को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने एक पहल शुरू की गई है,
युवाओं ने दिव्यांगों के लिए सड़क किनारे टेंट लगाकर चप्पलों की दुकान खोली है जहां वे रोज सुबह आकर दिव्यांगों की इस दुकान को सजाते हैं, युवाओं ने बताया की अभी शुरुआत में दो ऐसे दिव्यांग जो कुछ भी नहीं कर पा रहे थे और आत्मनिर्भर बनना चाहते थे उनके लिए जिले में ही निर्मित हो रहे चप्पलोंकी दुकान खुलवा दी, चूँकि अभी कोई भवन या कमरा उपलब्ध नहीं है तो सड़क किनारे ही टेंट लगाकर गोकुल यादव एवं खेमसिंह यादव इन चप्पलों को बेचकर उचित आय अर्जित कर रहे हैं और युवाओं के सहयोग से काफी खुश है।

बाइट_खेमसिंह यादव, दिव्यांग
बाइट_गोकुल यादव,दिव्यांग
बाइट_छोटू सलाम,सामाजिक कार्यकर्ताConclusion:युवाओं ने बताया कि अभी और दिव्यांगों के लिए जिले के हर गांव शहर में वे उनको सशक्त व आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रयास जारी रखेंगे
दिव्यांश गोकुल यादव और इनकी यादव का कहना है कि वे युवाओं को इस सहयोग के लिए कृतज्ञ हैं और प्रतिदिन कम से कम 100 से ₹200 कमा लेते हैं जिससे उनकी स्थिति में अब बेहतर सुधार हो रहा है।
युवाओं द्वारा जिले में ही निर्मित हो रहे चप्पलों के लॉट खरीदकर रोज सुबह सड़क किनारे दुकान सजा दी जाती है।
दिव्यांग गोकुल यादव और खेमसिंह यादव ने बताया कि युवाओं द्वारा सुबह दुकान सजाकर दे दिया जाता है और वे प्रतिदिन सुबह 8:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक इन चप्पलों को बेचते हैं।
चूँकि दिव्यांगों द्वारा दुकान लगाकर चप्पल बेचे जा रहे हैं तो राह चलते लोग भी ठिठक कर रुक जाते हैं और चप्पल खरीदते हैं
चप्पलों को गिनती कर व उनमें दाम अंकित कर युवाओं द्वारा दुकान सजा दिया जाता है, और फिर शाम तक बेचे हुए चप्पलों में से लाभ का पूरा प्रतिशत दिव्यांगों को दे दिया जाता है।
गोकुल और खेम सिंह कहते हैं कि सड़कों पर भीख मांगने से अच्छा यह कार्य उन्हें बहुत भा रहा है और चूंकि वे दिव्यांग हैं तो आम लोगों द्वारा उन्हें बेहतर प्रतिसाद भी प्राप्त हो रहा है और वे बहुत खुश हैं इस दुकान से।
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