केशकाल: आज के युग में आधुनिक संसाधनों के जरिए से घूमने-फिरने का शौकीन तो हर इंसान होता है, लेकिन वर्तमान समय में सैकड़ों किलोमीटर तक कि दूरी साइकिल से तय करना हर किसी के बस की बात नहीं है. लेकिन इसको गलत ठहराते हुए अभिजीत मंडल 1400 किलोमीटर की दूरी कर कोलकाता से केशकाल तक पहुंचे. अभिजीत बताते है कि वह प्लास्टिक का उपयोग न करने व पर्यावरण प्रदूषण बचाव के सम्बंध में लोगों को जागरूक करने के लिए लगभग 1400 किलोमीटर का सफर तय कर के कोलकाता से केशकाल तक आए हैं.
इस बारे में अभिजीत से ETV भारत ने बात की. बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि वे मूलतः कोलकाता के पर्णश्री के रहने वाले हैं, जो कि पेशे से शासकीय सेवा में कार्यरत हैं. इन्होंने 17 अक्टूबर को कोलकाता से सफर की शुरुआत की थी. इस बीच वे झारखंड कि विभिन्न शहरों से होते हुए छत्तीसगढ़ पहुंचे हैं और 27 अक्टूबर की शाम वे टाटामारी ईको पर्यटन केंद्र में विश्राम किया. अभिजीत बताते हैं कि इस सफर में उन्हें अलग-अलग राज्यों की अलग-अलग भाषाएं, सभ्यताएं और संस्कृति देखने को मिली हैं.
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टाटामारी ईको पर्यटन केंद्र की प्रशंसा
अभिजीत ने कहा कि वे पिछले दो साल से इस यात्रा की तैयारी कर रहा थे. लेकिन छुट्टियां न मिलने कि करण संभव नहीं हो पाया. उन्होंने बताया कि ये उनका पहला अनुभव था. उनकी केशकाल के प्रसन्नता करते हुए कहा कि वे इतने राज्य और शहरों में घूम चुका हूं लेकिन केशकाल जैसी प्राकृतिक सुंदरता की बात निराली है.
पर्यावरण बचाओ अभियान है मुख्य उद्देश्य
अभिजीत बताते हैं कि साइकिल यात्रा का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण को बचाने और लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक करना है. जिस प्रकार से वर्तमान में जल-वायु आदि प्रदूषण हो रहा है, इसे ज्लद ही रोकने की जरूरत है. साथ ही प्लास्टिक के उपयोग पर भी रोक लगाना बहुत जरूरी है. तभी पर्यावरण सुरक्षित रहेगा और हमारा भविष्य भी सुरक्षित रहेगा. इन्हीं उद्देश्यों के साथ वे साइकिल यात्रा की शुरुआत की है. उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि वे ज्यादा से ज्यादा उनके काम से प्रेतित हों और पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए पहल करेंगे. इस दौरान केशकाल वनमण्डलाधिकारी धम्मशील गणवीर ने कहा कि हमे बहुत ही खुशी हुई कि कोलकाता से पर्यटक केशकाल पहुंचे और इको टूरिज्म केंद्र टाटामारी में उन्होंने रात में विश्राम किया. गणवीर ने कहा कि उद्देश्यों को लेकर साइकिल यात्रा की जा रही है और वह एक सराहनीय पहल है.