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दो दिवसीय सरहुल सरना पूजा महोत्सव शुरू, मांदर की थाप पर थिरके समाज के लोग - celebration of sarhul sarna

कल्याण आश्रम द्वारा आयोजित सरहुल सरना पूजा में आदिवासी समाज के हजारों श्रद्धालु एकजुट हुए और शोभायात्रा निकाली गई.

दो दिवसीय सरहुल सरना पूजा महोत्सव शुरू
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Published : Apr 7, 2019, 12:08 AM IST

जशपुर : चैत्र नवरात्रि पर आदिवासी जनजातीय समाज की ओर से दो दिवसीय सरहुल सरना पूजा महोत्सव मनाया जा रहा है. कल्याण आश्रम द्वारा आयोजित सरहुल सरना पूजा में आदिवासी समाज के हजारों श्रद्धालु एकजुट हुए और शोभायात्रा निकाली गई.

दो दिवसीय सरहुल सरना पूजा महोत्सव शुरू


पारंपरिक वेशभूषा में सजे हुए जनजातीय समाज के लोग ढोल और मांदर की थाप पर पारंपरिक नृत्य गान कर दीपू बगीचा पहुंचे. जहां रैली में शामिल लोगों ने सरई के फूल से भगवान शिव, माता पार्वती और देवी चला की पूजा अर्चना कर बेगा से आशीर्वाद लिया.


दीपू बगीचा में एकजुट हुए
पारंपरिक सरहुल सरना पूजा मनाने के लिए आस-पास के गांव के बैगा एवं आदिवासी जनजातीय समाज के लोग दीपू बगीचा में एकजुट हुए. समाज के जगेश्वर राम भगत ने बताया कि धरती माता व प्रकृति की पूजा हिंदू धर्म की प्राचीन परंपरा रही है, जिले के गांव-गांव के बेगा आदिवासी समाज सरहुल सरना पूजा मनाता हैं. उन्होंने बताया कि हमारे पूर्वजों का कहना है कि इसी दिन भगवान शिव से सृष्टि की रचना की थी. उसी के आधार पर हम माता पार्वती और शिव की पूजा करते हैं. प्रकृति की पूजा करते हैं क्योंकि प्रकृति से ही हमें फल-फूल अनाज सभी मिलता है.


बता दें कि सरहुल हर साल मनाया जाता है, लेकिन विगत कुछ वर्षों से इस पर्व को लेकर दो विचारधारा के कारण पूजा में विवाद की स्थिति बनती जा रही है. इसे लेकर पुलिस प्रशासन सतर्क है. पूजा को लेकर उठा विवाद सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय तक पहुंच चुका है, लेकिन स्थिति जस की तस है. आयोजन के पूर्व दीपू बगीचा में दो दिवसीय धर्म सभा का आयोजन जनजातीय समुदाय द्वारा किया गया. इसमें मुख्य रूप से संगठन के तत्व वकील बसंत भगत शामिल हुए.

जशपुर : चैत्र नवरात्रि पर आदिवासी जनजातीय समाज की ओर से दो दिवसीय सरहुल सरना पूजा महोत्सव मनाया जा रहा है. कल्याण आश्रम द्वारा आयोजित सरहुल सरना पूजा में आदिवासी समाज के हजारों श्रद्धालु एकजुट हुए और शोभायात्रा निकाली गई.

दो दिवसीय सरहुल सरना पूजा महोत्सव शुरू


पारंपरिक वेशभूषा में सजे हुए जनजातीय समाज के लोग ढोल और मांदर की थाप पर पारंपरिक नृत्य गान कर दीपू बगीचा पहुंचे. जहां रैली में शामिल लोगों ने सरई के फूल से भगवान शिव, माता पार्वती और देवी चला की पूजा अर्चना कर बेगा से आशीर्वाद लिया.


दीपू बगीचा में एकजुट हुए
पारंपरिक सरहुल सरना पूजा मनाने के लिए आस-पास के गांव के बैगा एवं आदिवासी जनजातीय समाज के लोग दीपू बगीचा में एकजुट हुए. समाज के जगेश्वर राम भगत ने बताया कि धरती माता व प्रकृति की पूजा हिंदू धर्म की प्राचीन परंपरा रही है, जिले के गांव-गांव के बेगा आदिवासी समाज सरहुल सरना पूजा मनाता हैं. उन्होंने बताया कि हमारे पूर्वजों का कहना है कि इसी दिन भगवान शिव से सृष्टि की रचना की थी. उसी के आधार पर हम माता पार्वती और शिव की पूजा करते हैं. प्रकृति की पूजा करते हैं क्योंकि प्रकृति से ही हमें फल-फूल अनाज सभी मिलता है.


बता दें कि सरहुल हर साल मनाया जाता है, लेकिन विगत कुछ वर्षों से इस पर्व को लेकर दो विचारधारा के कारण पूजा में विवाद की स्थिति बनती जा रही है. इसे लेकर पुलिस प्रशासन सतर्क है. पूजा को लेकर उठा विवाद सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय तक पहुंच चुका है, लेकिन स्थिति जस की तस है. आयोजन के पूर्व दीपू बगीचा में दो दिवसीय धर्म सभा का आयोजन जनजातीय समुदाय द्वारा किया गया. इसमें मुख्य रूप से संगठन के तत्व वकील बसंत भगत शामिल हुए.

Intro:जशपुर चैत्र नवरात्रि के वर्ष प्रतिपदा पर आदिवासी जनजातीय समाज द्वारा सरहुल सरना पूजा महोत्सव मनाया गया कल्याण आश्रम द्वारा आयोजित सरहुल सरना पूजा में आदिवासी समाज के हजारों श्रद्धालु एकजुट हुए एवं शोभायात्रा पारंपरिक वेशभूषा में सजे हुए जनजातीय समाज के लोग ढोल और मांदर की थाप पर पारंपरिक नृत्य गान कर दीपू बगीचा पहुंचे जहां रैली में शामिल लोगों ने सरई के फूल से भगवान शिव माता पार्वती और देवी चला की पूजा अर्चना कर बेगा से आशीर्वाद लिया।
पारंपरिक सरहुल सरना पूजा मनाने के लिए आसपास के गांव के बैगा एवं आदिवासी जनजातीय समाज के लोगो दीपू बगीचा में एकजुट हुए।
समाज के जगेश्वर राम भगत ने बताया कि धरती माता व प्रकृति की पूजा हिंदू धर्म की प्राचीन परंपरा रही है, जिले के गाँव गाँव के बेगा आदिवासी समाज सरहुल सरना पूजा मनाता है , उन्होंने बताया कि हमारे पूर्वजों का कहना है कि इसी दिन भगवान शिव ने श्रष्टी की रचना कीथी।उसी के आधार पर हम माता पार्वती ओर शिव चला आयो की पूजा करते है , सरहुल पूजा में हमारे बेगा 12 माह में तीन ऋतुवो के आधार पर पूजा करते है , । ताकि अच्छे से वर्षा हो किसी प्रकार का कोई रोग ना हो अच्छा से खुशहाल जीवन जिये ,इस प्रकार हमारे बेगा पूजा करते है , उसी तरह जब खेती हो जाती है उसके बाद बेल पूजा करते है ताकि हमारी फसल अच्छी रहे, इसके साथ ही हम प्रकृति की भी पूजा करते हैं क्योंकि प्रकृति से ही हमें फल-फूल अनाज सभी मिलता है इसके लिए भी हमारे बेगा पूजा करते हैं, । हमें पूजा खेती बारी अच्छी हो परिवार अच्छा रहे धन्य धान्य से पूर्ण रहे ।
सरहुल सरना पूजा में परमपरिक नाच गाना के साथ हम सब मानते है ।

बाइट जागेश्वर राम भगत ( पूर्व विधायक जशपुर एवं आदिवासी समाज के नेता

तरुण प्रकाश शर्मा
जशपुर


Body:सरहुल


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