जगदलपुर: कांग्रेस सरकार बनने के बाद खाद्य विभाग ने PDS के तहत चने और नमक के वितरण पर रोक लगा दी थी, लेकिन 6 महीने की एक्सपायरी डेट वाला चना अब खराब होने की स्थिति में है. वहीं कलेक्टर ने आनन-फानन में अब इसे वितरित करने के आदेश दिए हैं.
बस्तर जिले के गोदामों में पड़ा 168 क्विंटल चना तीन दिन बाद खाने योग्य नहीं रह जाएगा, जबकि 1,298 क्विंटल चना अगले महीने की अंतिम तिथि को खराब हो जाएगा, लिहाजा आनन-फानन में इस 1,298 क्विंटल चने को हितग्राहियों में बांटने का आदेश बस्तर कलेक्टर ने जारी किए हैं. इस समय जिले में कुल 1,414 क्विंटल चना गोदामों में पड़ा हुआ है. बता दें जिले के पौने दो लाख से अधिक परिवारों को अप्रैल माह से चना नहीं मिल रहा है.
खराब होने की कगार पर चना
गरीब परिवारों को देने के लिए नैफेड ने दिसंबर 2018 और जनवरी 2019 में चना सप्लाई किया था. इस चने को 6 महीने तक उपयोग कर लेना था. गोदामों में पड़े चने को लेकर खाद्य विभाग के अपर सचिव और नान के प्रबंध संचालक ने इसे वितरण करने आदेश जारी किए थे, लेकिन ऐसा नहीं किया गया, नतीजतन है 168 क्विंटल चना गोदामों में सड़ने की कगार पर है और 1298 क्विंटल चना एक महीने बाद खराब हो जाएगा. इसे देखते हुए बचे हुए चने को बांटने की योजना बनाई गई है.
गोलमोल जवाब देते दिखे अधिकारी
इधर इस मामले पर खाद्य विभाग के अधिकारी का कहना है कि, 'बचे हुए चने का वितरण करने के लिए टीम गठित कर दी गई है और जुलाई माह के अंत तक जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में इसे बांट दिया जाएगा. वहीं 2018 में सप्लाई हुए लगभग 160 क्विंटल से अधिक चने के एक्सपायर हो जाने के सवाल पर खाद्य अधिकारी गोलमोल जवाब देती नजर आईं.
विधायक को नहीं है जानकारी
इधर स्थानीय विधायक को अब तक इस पूरे मामले की जानकारी ही नहीं है और वे दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कर रहे हैं, जबकि उनके ही हाईकमान ने चना न बांटे जाने का फरमान जारी किया था.