जगदलपुर: छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी ने बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने कहा है कि बीजेपी शासनकाल में 4 वर्षों तक पाठ्य पुस्तक निगम की कोई सामान्य सभा की बैठक नहीं हुई. त्रिवेदी ने बताया कि जब वे अध्यक्ष बने. उन्होंने सामान्य सभा की बैठक बुलाई. बैठक में पाठ्य पुस्तक निगम में करीब 500 करोड़ की आर्थिक अनियमितता सामने आई है. जिसकी जांच की जा रही है. उन्होंने कहा कि दोषियों पर जल्द कानूनी कार्यवाही भी की जाएगी. साथ ही जिम्मेदारों से पैसों की रिकवरी की जाने की बात अध्यक्ष ने कही है.
छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी अपने दो दिवसीय प्रवास पर जगदलपुर पहुंचे. प्रवास के पहले दिन दंतेवाड़ा में देवी दर्शन करने के बाद उन्होंने जगदलपुर में स्थित पाठ्य पुस्तक निगम के भंडार कार्यालय डिपो का दौरा किया. स्थानीय डिपो कार्यालय में अव्यवस्था को देख अध्यक्ष शैलैष नितिन त्रिवेदी ने नाराजगी जताई. निरीक्षण के दौरान अध्यक्ष ने पाया कि कार्यालय में पुस्तकों को रखने से लेकर फायर सेफ्टी जैसी व्यवस्था नहीं है. उन्होंने कमियों को दूर करने के लिए अधिकारियों को निर्देश भी दिए.
'500 करोड़ के वित्तीय अनियमितता का खुलासा'
मीडिया से चर्चा करते हुए शैलेश नितिन त्रिवेदी ने खुलासा करते हुए बताया कि पिछले कुछ सालों में पाठ्य पुस्तक निगम में जमकर भ्रष्टाचार हुआ है. पहले 101 करोड़ रुपए के घोटाले की बात सामने आई थी, लेकिन धीरे-धीरे अब 500 करोड़ के भ्रष्टाचार के मामले का खुलासा हुआ है. उन्होंने कहा कि जो भी दोषी होगा किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा. भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक CAG इस मामले की जांच शुरू कर दी है. घोटाले में संलिप्त अधिकारी कर्मचारी और जो भी शामिल होगा उसे बख्शा नहीं जाएगा, इनसे रिकवरी की जाएगी और जरूरत पड़ने पर एफआईआर भी दर्ज की जाएगी.
'पाठ्य पुस्तक निगम ने प्रिटिंग में 5 करोड़ रुपए बचाए'
पाठ्य पुस्तक निगम अध्यक्ष शैलेश नितिन ने बताया कि हर साल की अपेक्षा प्रिटिंग और पेपर में इस वर्ष निगम ने करीब 5 करोड रुपए बचाए हैं. त्रिवेदी ने बताया कि 26 जनवरी को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के घोषणा किए जाने के बाद से कक्षा पहली से लेकर 12वीं तक के सिलेबस में भारत के संविधान को शामिल किया गया है. अब स्कूली बच्चे अपनी पुस्तकों में भारत के संविधान की पूरी जानकारी ले सकेंगे. इसके साथ ही मुख्यमंत्री के कहे अनुसार इस सत्र के पाठ्यक्रम में प्रदेश में 20 भाषा और बोलियों में पाठ्यक्रम को शामिल किया गया है. सभी क्षेत्रों के स्थानीय बोली के आधार पर अब बच्चे आसानी से हिंदी और उनकी स्थानीय बोली में पढ़ सकेंगे. इसके अलावा उन्होंने बताया कि पुस्तकों की क्वालिटी में भी सुधार किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि जगदलपुर के बाद सुकमा जिले में उनका दौरा है, जहां नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में खुले स्कूलों का वे दौरा करेंगे.
भ्रष्टाचार मामले में 19 मार्च के बाद पाठ्य पुस्तक निगम करेगा अग्रिम कार्रवाई - शैलेश नितिन त्रिवेदी
'जगदलपुर डिपो में भी दिखी अव्यवस्था'
मीडिया से चर्चा करते हुए त्रिवेदी ने कहा कि राजनांदगांव में पाठ्य पुस्तक निगम के डिपो में पुस्तकों के बेच देने का मामला उजागर हुआ था. जिसके बाद उन्होंने खुद निगम के डिपो का दौरा करने का निर्णय लिया. प्रदेश में राजनांदगांव ,बिलासपुर के पाठ्य पुस्तक निगम डिपो का दौरा करने के बाद वे जगदलपुर पहुंचे हुए हैं और यहां स्थित डिपो का भी निरीक्षण उन्होने किया. वहीं जगदलपुर स्थित डिपो में पुस्तकों को रखने की व्यवस्था सुधारने के निर्देश अध्यक्ष ने अधिकारियों को दिए. उन्होंने बताया कि लगातार उन्हें प्रदेश के पाठ्य पुस्तक निगम डिपो में पुस्तकों के रखरखाव और कार्यालय में फायर सेफ्टी जैसे जरूरी चीजों के नहीं होने की जानकारी मिली थी. जिसके बाद वे पूरे प्रदेश भर के डिपो का निरीक्षण कर रहे हैं. उन्होंने जगदलपुर डिपो में भी पाया कि यहां पुस्तकों के रखरखाव के लिए व्यवस्था सही नहीं है. साथ ही जो सुविधा डिपो में होनी चाहिए वह सुविधा भी नहीं है. वहीं स्टाफ की कमी से भी डिपो जूझ रहा है.
'बस्तर के दुर्गम क्षेत्रों में पुस्तके पहुंचाना चुनौतीपूर्ण'
अध्यक्ष ने जल्द से जल्द स्टाफ की पूर्ति, फायर सेफ्टी की व्यवस्था और डिपो में रखे पुस्तकों के सही रखरखाव के लिए निर्देश अधिकारियों को दिए हैं. उन्होंने कहा कि नए सत्र की शुरुआत होने वाली है ऐसे में अप्रैल-मई माह तक सभी संकुल केंद्रों तक पुस्तके पहुंचाना है और खासकर बस्तर संभाग के नारायणपुर ,सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर जैसे दुर्गम इलाकों में पुस्तकें पहुंचाना चुनौतीपूर्ण है. परिवहनकर्ता से लेकर डिपो के अधिकारी और कर्मचारी संकुल केंद्रों में पुस्तके पहुंचे इसके लिए पूरा प्रयास कर रहे हैं. वही पाठ्य पुस्तक निगम का भी लक्ष्य है कि बस्तर के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के हर एक गांव और स्कूली बच्चों तक पुस्तकें पहुंचे. इसके लिए पूरी तरह से पाठ्य पुस्तक निगम और अधिकारी-कर्मचारी जद्दोजहद करने में लगे हुए हैं.