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सड़कों पर मवेशियों का जमावड़ा, फेल होता नजर आ रहा रोका-छेका अभियान

राज्य सरकार ने फसलों की सुरक्षा, किसानों की आय को बढ़ाने के लिए और शहरों की सड़कों पर घूम रहे मवेशियों से होने वाले हादसों को रोकने के उद्देश्य से रोका-छेका अभियान की शुरुआत की थी. लेकिन दुर्ग में यह अभियान फेल होता नजर आ रहा है.

Gathering of cattle on streets
सड़कों पर मवेशियों का जमावड़ा
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Published : Jul 10, 2020, 12:49 AM IST

दुर्ग : शासन के निर्देशों के बावजूद दुर्ग नगर निगम क्षेत्र में रोका छेका अभियान धरातल पर नजर नहीं आ रहा है. पशुओं की सुरक्षा और सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए राज्य सरकार ने रोका छेका अभियान की शुरुआत की थी. जिसके तहत मवेशियों को गौठानों में रखने की योजना है. शासन की महत्तवकांक्षी योजना का क्रियान्वयन सिर्फ दिखावे तक ही सीमित नजर आ रहा है. दुर्ग निगम क्षेत्र में आज भी मवेशी सड़कों पर बैठे नजर आ रहे हैं. ये मवेशी हादसों को आमंत्रित कर रहे है. बारिश के बाद मवेशी अक्सर मुख्य सड़कों पर बैठ जाते है, जिनकी चिंता न निगम प्रशासन कर रहा है और न ही यातायात विभाग.

Gathering of cattle on streets
सड़कों पर मवेशियों का जमावड़ा

लिहाजा इन पशुओं के कारण हर साल कई वाहन चालक हादसे का शिकार होते है. पशुओं के सड़कों पर बैठने के कारण हो रही सड़क दुर्घटनाओं को रोकने और मवेशियों को संरक्षित रखने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रोका छेका अभियान की शुरुआत की थी. लेकिन इस अभियान की वास्तविकता की पोल दुर्ग निगम क्षेत्र की सड़कों पर बैठे मवेशी खोल रहे है.

निगम महापौर धीरज बाकलीवाल का कहना है कि मवेशी सड़कों पर न बैठे इसके लिए निगम प्रशासन लगातार अभियान चला रहा है. कलेक्टर और निगम आयुक्त को गौठान को शुरू क रने के लिए पत्र भी लिखा गया है. इसके बावजूद जिला प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है.

पढ़ें-Special: मुनगा से मिटेगा कुपोषण, जानकारों ने बताया 'रामबाण'

ठप पड़ता नजर आ रहा अभियान

बता दें कि प्रदेश में रोका-छेका अभियान कहीं धीमा तो कहीं ठप है. राज्य सरकार ने फसलों की सुरक्षा और किसानों की आय को बढ़ाने के लिए कृषि की परंपरा रोका-छेका अभियान की शुरुआत 19 जून को की थी, शहरों की सड़कों पर घूम रहे मवेशियों से होने वाले हादसों को रोकने के लिए भी यह कदम अहम माना गया, पकड़े गए मवेशियों को कांजीहाउस और गोठानों में रखने के आदेश दिए गए है. लेकिन ज्यादातर जगहों पर तस्वीर इसके विपरीत नजर आ रही है.

दुर्ग : शासन के निर्देशों के बावजूद दुर्ग नगर निगम क्षेत्र में रोका छेका अभियान धरातल पर नजर नहीं आ रहा है. पशुओं की सुरक्षा और सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए राज्य सरकार ने रोका छेका अभियान की शुरुआत की थी. जिसके तहत मवेशियों को गौठानों में रखने की योजना है. शासन की महत्तवकांक्षी योजना का क्रियान्वयन सिर्फ दिखावे तक ही सीमित नजर आ रहा है. दुर्ग निगम क्षेत्र में आज भी मवेशी सड़कों पर बैठे नजर आ रहे हैं. ये मवेशी हादसों को आमंत्रित कर रहे है. बारिश के बाद मवेशी अक्सर मुख्य सड़कों पर बैठ जाते है, जिनकी चिंता न निगम प्रशासन कर रहा है और न ही यातायात विभाग.

Gathering of cattle on streets
सड़कों पर मवेशियों का जमावड़ा

लिहाजा इन पशुओं के कारण हर साल कई वाहन चालक हादसे का शिकार होते है. पशुओं के सड़कों पर बैठने के कारण हो रही सड़क दुर्घटनाओं को रोकने और मवेशियों को संरक्षित रखने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रोका छेका अभियान की शुरुआत की थी. लेकिन इस अभियान की वास्तविकता की पोल दुर्ग निगम क्षेत्र की सड़कों पर बैठे मवेशी खोल रहे है.

निगम महापौर धीरज बाकलीवाल का कहना है कि मवेशी सड़कों पर न बैठे इसके लिए निगम प्रशासन लगातार अभियान चला रहा है. कलेक्टर और निगम आयुक्त को गौठान को शुरू क रने के लिए पत्र भी लिखा गया है. इसके बावजूद जिला प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है.

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ठप पड़ता नजर आ रहा अभियान

बता दें कि प्रदेश में रोका-छेका अभियान कहीं धीमा तो कहीं ठप है. राज्य सरकार ने फसलों की सुरक्षा और किसानों की आय को बढ़ाने के लिए कृषि की परंपरा रोका-छेका अभियान की शुरुआत 19 जून को की थी, शहरों की सड़कों पर घूम रहे मवेशियों से होने वाले हादसों को रोकने के लिए भी यह कदम अहम माना गया, पकड़े गए मवेशियों को कांजीहाउस और गोठानों में रखने के आदेश दिए गए है. लेकिन ज्यादातर जगहों पर तस्वीर इसके विपरीत नजर आ रही है.

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