दंतेवाड़ा: चितालूर गांव की एक 12वीं पास महिला के सामने जब रोजी-रोटी का संकट आया तो उसने कुछ ऐसा कर दिखाया, जिससे आज न सिर्फ उसके घर को रोटी मिल रही है, बल्कि उसकी सोच ने कई घरों को रोशन किया है. खुद को बेरोजगारी से निकालने के लिए उसने जो कदम उठाये उससे आज पूरे गांव की महिलाओं को रोजगार मिला है.
ये कहानी है, दंतेवाड़ा जिले के चितालूर गांव की निकिता मरकाम की. जो अपने पति और दो बच्चों के साथ रहती है. भरे-पूरे परिवार के सामने जब रोजी-रोटी का संकट आया और जब कहीं से भी रोजगार मिलने की उम्मीदें खत्म हुई तो निकिता ने स्व-सहायता का सहारा लिया और गांव में ही स्व-सहायता समूह का गठन कर लिया. इसके बाद निकिता ने खुद के साथ गांव की महिलाओं को स्व-सहायता समूह में जोड़ना शुरू कर दी और देखते ही देखते एक बड़ा समूह खड़ा कर दिया. जो आज अचार, पापड़, बड़ी और ईंट निर्माण कर रहा है. इससे गांव की कई महिलाओं को रोजगार मिला है.
6 महीने के अंदर मिला लोन
स्व-सहायता से जुड़ने के बाद निकिता ने बिहान योजना से जुड़कर राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत लोन लिया और उसी से रोजगार शुरू किया है. निकिता की स्व-सहायता समूह आज कड़कनाथ कुक्कुट पालन, के साथ मिनी राइस मिल और सेनेटरी पैड का भी निर्माण कर रही है. इसके अलावा निकिता के समूह ने इस लॉकडाउन में मास्क बनाने में जुटी है और अब तक 1500 मास्क बनाकर बाजार को उपलब्ध करा दी है. इससे उसे 15 हजार रुपये की लाभ हुआ है.