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दैनिक वेतनभोगी वन कर्मचारी संघ की हड़ताल डेढ़ माह से जारी, भरी बरसात में आंदोलन के लिए मजबूर - forest workers strike

छत्तीसगढ़ के वन कर्मचारी अपनी 9 सुत्रीय मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी है. छत्तीसगढ़ दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ अपनी मांगों को लेकर 11 अगस्त 2024 से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का कहना है कि "सरकार की वादाखिलाफी के चलते उन्हें आंदोलन करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. जानिए वन कर्मियों की 9 सूत्रीय मांगों में कौन कौन से मांग शामिल हैं.

forest workers strike in Raipur
वन कर्मचारी संघ का हड़ताल जारी (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 24, 2024, 10:58 PM IST

Updated : Sep 25, 2024, 4:37 PM IST

रायपुर : वन विभाग में काम करने वाले दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ अपनी 9 सुत्रीय मांग को लेकर 11 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. छत्तीसगढ़ दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ का यह हड़ताल डेढ़ महीने से नवा रायपुर के तूता धरना स्थल पर जारी है.

सरकार की वादाखिलाफी का आरोप : दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों ने कहा कि सरकार की वादाखिलाफी की वजह से भरी बरसात में उन्हे आंदोलन करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. सोमवार की रात गरज चमक के साथ आंधी तूफान के दौरान आंदोलनकारी अपने आप को भारी बारिश से बचाते हुए नजर आए. वन कर्मचारी सरकार और वन मंत्री के साथ ही मुख्य प्रधान वन संरक्षक के खिलाफ जमकर नारे बाजी करते नजर रहे.

वन कर्मचारी संघ का हड़ताल डेढ़ माह से जारी (ETV Bharat)
"सरकार ने हमारी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया":
दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी शीतल वर्मा ने बताया, अब तक हमने सोशल मीडिया समाचार पत्र के माध्यम से विभाग और सरकार को अपनी मांगों के संबंध में अवगत कराया. बावजूद इसके सरकार ने उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया. जिसका खामियाजा दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है. पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ की मांग को पूरा करने का आश्वासन दिया था, लेकिन उन्होंने इस मांग को पूरा नहीं किया. जिसका परिणाम आज कांग्रेस को भुगतना पड़ रहा है.

भाजपा नेताओं ने 14 जुलाई 2022 को प्रदर्शन के दौरान मंच पर आकर दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारियों को आश्वासन दिया था. उन्होंने भरोसा दिया था कि बीजेपी की सरकार बनते ही उनकी मांगों को पूरा करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. : शीतल वर्मा, दैनिक वेतनभोगी वन कर्मचारी

वन कर्मचारियों को सरकार से उम्मीद : दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारियों का कहना है कि चुनाव के समय काफी मेहनत और प्रयास के बाद प्रदेश में फिर से बीजेपी की सरकार बनी है. दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारियों को आज भी उम्मीद है कि सरकार उनकी मांगों को जल्द पूरा करेगी. इसके बाद ही वे सभी अपने कार्य स्थल पर जाकर अपना काम करेंगे.

मंत्रियों के बंगले का भी किया था घेराव : अनिश्चितकालीन आंदोलन के पहले छत्तीसगढ़ दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ ने 25 जुलाई से लेकर 3 अगस्त 2024 तक काला पट्टी लगाकर विरोध जताते हुए काम किया. इसके बाद 4 अगस्त से प्रदेश के वन मंत्री, वित्त मंत्री, उपमुख्यमंत्री के बंगले का घेराव भी किया. जिसके बाद 11 अगस्त 2024 से नया रायपुर में अपनी मांगों को लेकर वन कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे हैं.

सरकार ने नहीं की कोई भी ठोस पहल : छत्तीसगढ़ में लगभग 6000 दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी कार्यरत हैं. ये सभी अपनी मांगों को लेकर घर परिवार को छोड़कर पिछले डेढ़ महीने से नया रायपुर के प्रदर्शन स्थल में सरकार से गुहार लगा रहे हैं. लेकिन सरकार ने अब तक इस दिशा में कोई भी ठोस पहल नहीं की है. जिसके चलते उन्हें भारी बारिश के बाच हड़ताल करने के लिए मजबूर होना पड़ा रहा है.

दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारियों की 9 सूत्रीय मांगें इस प्रकार है :

  1. वन विभाग में 5 मार्च 2008 से पहले और 31 दिसंबर 2017 तक की दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी वाहन चालक, डाटा एंट्री ऑपरेटर, कंप्यूटर ऑपरेटर, कार्यालय सहायक आदि जो बिना नियुक्ति पत्र के काम कर रहे हैं, ऐसे लोगों को नियमित किया जाए.
  2. वन विभाग में 31 दिसंबर 2017 के बाद काम करने वाले दैनिक वेतन भोगी वाहन चालक, कंप्यूटर ऑपरेटर, डाटा एंट्री ऑपरेटर, कार्यालय सहायक, जिनकी अवधि 2 साल पूरी हो चुकी है. उन्हें स्थाई कर्मी बनकर परमानेंट किया जाए.
  3. वन विभाग में श्रम आयुक्त दर पर काम करने वाले दैनिक वेतन भोगी वाहन चालक, कंप्यूटर ऑपरेटर, कार्यालय सहायक के लिए आकस्मिक निधि सेवा नियम 2023 लागू किया जाए. जिसके लिए वर्ष 2024 में वन विभाग में लागू किए जाने के लिए समिति ने सहमति व्यक्त कर दी है.
  4. वन विभाग में जब तक नियमितीकरण और स्थाईकरण नहीं हो जाता, तब तक कोई भी वन रक्षक, वाहन चालक सहायक ग्रेड 3 और चपरासी जैसे पदों पर सीधी भर्ती नही की जाए. उस पर तत्काल रोक लगाई जाए.
  5. वन विभाग के अंतर्गत काम करने वाले दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को 4 महीने से लेकर 6 महीने तक के वेतन का भुगतान नहीं किया गया है. वन विभाग के डिपो में काम करने वाले दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को लगभग 9 महीने का वेतन भुगतान किया जाए.
  6. वित्त विभाग के निर्देश के अनुसार, श्रम आयुक्त दर पर काम करने वाले को प्रति महीना 4000 श्रम सम्मान राशि भुगतान किया जाए. मार्च 2023 से श्रम सम्मान राशि का भुगतान नहीं किया गया है.
  7. वन विभाग के डिपो में एक सुरक्षा श्रमिक से 24 घंटा कार्य लिया जा रहा है, जबकि 24 घंटा कार्य करने का शासन से ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. इसके साथ ही एक वन विभाग के डिपो में कम से कम दो सुरक्षा श्रमिकों को नियुक्त करने की स्वीकृति प्रदान की जाए.
  8. वन विभाग के अंतर्गत केवल रायपुर मुख्यालय स्थित आवास कार्यालय में काम करने वाले प्रोग्रामर, सहायक प्रोग्रामर, डाटा एंट्री ऑपरेटर, कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में काम करने वालों को प्रतिमाह 4000 रुपये वेतन को बढ़ाकर 21255 रुपए किया जाए. 32450 किया जाए और 42543 किया जाए.
  9. महासमुंद जिले में वन मंडल रायपुर के मुख्य वन संरक्षक के द्वारा 96 लोगों को स्वीकृति प्रदान किया गया है. लेकिन महासमुंद वन मंडल में 178 दैनिक वेतन भोगी काम कर रहे हैं. ऐसे में 82 दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को हटाने की कार्रवाई चल रही है. ऐसे लोगों को काम से ना निकाला जाए.
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सरकार की वादाखिलाफी का आरोप : दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों ने कहा कि सरकार की वादाखिलाफी की वजह से भरी बरसात में उन्हे आंदोलन करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. सोमवार की रात गरज चमक के साथ आंधी तूफान के दौरान आंदोलनकारी अपने आप को भारी बारिश से बचाते हुए नजर आए. वन कर्मचारी सरकार और वन मंत्री के साथ ही मुख्य प्रधान वन संरक्षक के खिलाफ जमकर नारे बाजी करते नजर रहे.

वन कर्मचारी संघ का हड़ताल डेढ़ माह से जारी (ETV Bharat)
"सरकार ने हमारी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया": दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी शीतल वर्मा ने बताया, अब तक हमने सोशल मीडिया समाचार पत्र के माध्यम से विभाग और सरकार को अपनी मांगों के संबंध में अवगत कराया. बावजूद इसके सरकार ने उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया. जिसका खामियाजा दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है. पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ की मांग को पूरा करने का आश्वासन दिया था, लेकिन उन्होंने इस मांग को पूरा नहीं किया. जिसका परिणाम आज कांग्रेस को भुगतना पड़ रहा है.

भाजपा नेताओं ने 14 जुलाई 2022 को प्रदर्शन के दौरान मंच पर आकर दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारियों को आश्वासन दिया था. उन्होंने भरोसा दिया था कि बीजेपी की सरकार बनते ही उनकी मांगों को पूरा करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. : शीतल वर्मा, दैनिक वेतनभोगी वन कर्मचारी

वन कर्मचारियों को सरकार से उम्मीद : दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारियों का कहना है कि चुनाव के समय काफी मेहनत और प्रयास के बाद प्रदेश में फिर से बीजेपी की सरकार बनी है. दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारियों को आज भी उम्मीद है कि सरकार उनकी मांगों को जल्द पूरा करेगी. इसके बाद ही वे सभी अपने कार्य स्थल पर जाकर अपना काम करेंगे.

मंत्रियों के बंगले का भी किया था घेराव : अनिश्चितकालीन आंदोलन के पहले छत्तीसगढ़ दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ ने 25 जुलाई से लेकर 3 अगस्त 2024 तक काला पट्टी लगाकर विरोध जताते हुए काम किया. इसके बाद 4 अगस्त से प्रदेश के वन मंत्री, वित्त मंत्री, उपमुख्यमंत्री के बंगले का घेराव भी किया. जिसके बाद 11 अगस्त 2024 से नया रायपुर में अपनी मांगों को लेकर वन कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे हैं.

सरकार ने नहीं की कोई भी ठोस पहल : छत्तीसगढ़ में लगभग 6000 दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी कार्यरत हैं. ये सभी अपनी मांगों को लेकर घर परिवार को छोड़कर पिछले डेढ़ महीने से नया रायपुर के प्रदर्शन स्थल में सरकार से गुहार लगा रहे हैं. लेकिन सरकार ने अब तक इस दिशा में कोई भी ठोस पहल नहीं की है. जिसके चलते उन्हें भारी बारिश के बाच हड़ताल करने के लिए मजबूर होना पड़ा रहा है.

दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारियों की 9 सूत्रीय मांगें इस प्रकार है :

  1. वन विभाग में 5 मार्च 2008 से पहले और 31 दिसंबर 2017 तक की दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी वाहन चालक, डाटा एंट्री ऑपरेटर, कंप्यूटर ऑपरेटर, कार्यालय सहायक आदि जो बिना नियुक्ति पत्र के काम कर रहे हैं, ऐसे लोगों को नियमित किया जाए.
  2. वन विभाग में 31 दिसंबर 2017 के बाद काम करने वाले दैनिक वेतन भोगी वाहन चालक, कंप्यूटर ऑपरेटर, डाटा एंट्री ऑपरेटर, कार्यालय सहायक, जिनकी अवधि 2 साल पूरी हो चुकी है. उन्हें स्थाई कर्मी बनकर परमानेंट किया जाए.
  3. वन विभाग में श्रम आयुक्त दर पर काम करने वाले दैनिक वेतन भोगी वाहन चालक, कंप्यूटर ऑपरेटर, कार्यालय सहायक के लिए आकस्मिक निधि सेवा नियम 2023 लागू किया जाए. जिसके लिए वर्ष 2024 में वन विभाग में लागू किए जाने के लिए समिति ने सहमति व्यक्त कर दी है.
  4. वन विभाग में जब तक नियमितीकरण और स्थाईकरण नहीं हो जाता, तब तक कोई भी वन रक्षक, वाहन चालक सहायक ग्रेड 3 और चपरासी जैसे पदों पर सीधी भर्ती नही की जाए. उस पर तत्काल रोक लगाई जाए.
  5. वन विभाग के अंतर्गत काम करने वाले दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को 4 महीने से लेकर 6 महीने तक के वेतन का भुगतान नहीं किया गया है. वन विभाग के डिपो में काम करने वाले दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को लगभग 9 महीने का वेतन भुगतान किया जाए.
  6. वित्त विभाग के निर्देश के अनुसार, श्रम आयुक्त दर पर काम करने वाले को प्रति महीना 4000 श्रम सम्मान राशि भुगतान किया जाए. मार्च 2023 से श्रम सम्मान राशि का भुगतान नहीं किया गया है.
  7. वन विभाग के डिपो में एक सुरक्षा श्रमिक से 24 घंटा कार्य लिया जा रहा है, जबकि 24 घंटा कार्य करने का शासन से ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. इसके साथ ही एक वन विभाग के डिपो में कम से कम दो सुरक्षा श्रमिकों को नियुक्त करने की स्वीकृति प्रदान की जाए.
  8. वन विभाग के अंतर्गत केवल रायपुर मुख्यालय स्थित आवास कार्यालय में काम करने वाले प्रोग्रामर, सहायक प्रोग्रामर, डाटा एंट्री ऑपरेटर, कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में काम करने वालों को प्रतिमाह 4000 रुपये वेतन को बढ़ाकर 21255 रुपए किया जाए. 32450 किया जाए और 42543 किया जाए.
  9. महासमुंद जिले में वन मंडल रायपुर के मुख्य वन संरक्षक के द्वारा 96 लोगों को स्वीकृति प्रदान किया गया है. लेकिन महासमुंद वन मंडल में 178 दैनिक वेतन भोगी काम कर रहे हैं. ऐसे में 82 दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को हटाने की कार्रवाई चल रही है. ऐसे लोगों को काम से ना निकाला जाए.
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Last Updated : Sep 25, 2024, 4:37 PM IST
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