लोरमी/बिलासपुर: अचानकमार टाइगर रिजर्व में वनकर्मियों और पुलिसकर्मियों पर हुए ग्रामीणों के हमले पर विधायक धरमजीत सिंह ने उल्टा वन विभाग पर ही सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान एक साथ 15 वनकर्मियों का गांव में जाना सही नहीं था. ग्रामीण विस्थापित होना चाहते हैं, लेकिन सरकार इसे लेकर गंभीरता नहीं दिखा रही है. ग्रामीणों के हमले में घायल रेंजर, डिप्टी रेंजर और बिट गार्ड को निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
अचानकमार टाइगर रिजर्व में बाघों की गणना के लिए 800 से ज्यादा कैमरे लगाए गए हैं. डिप्टी रेंजर अमर सिंह यादव ने बताया कि लगाए गए कैमरों में से कुछ में वहां रहने वाले ग्रामीणों की तीर-धनुष के साथ फुटेज मिली थी, साथ ही 5 कैमरे भी गायब पाए गए. इस बात की पूछताछ करने के लिए वन विभाग की 15 सदस्यीय टीम खार गांव पहुंची. गांव पहुंचते ही ग्रामीणों ने टीम पर हमला शुरू कर दिया. ग्रामीणों ने टीम के सदस्यों के मोबाइल और कैमरे भी तोड़ दिए. इस मामले की जांच के लिए जब पुलिस की टीम वहां पहुंची, तो उन पर भी ग्रामीणों ने हमला बोल दिया. इस हमले में वन विभाग के रेंजर, डिप्टी रेंजर समेत अन्य लोग घायल हैं. सभी को पास के ही निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज जारी है.
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विधायक ने वन विभाग पर खड़े किए सवाल
लोरमी से जेसीसी(जे) विधायक धरमजीत सिंह ने ग्रामीणों का पक्ष लेते हुए विभाग पर ही सवाल खड़े कर दिए. विधायक ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान 15 वनकर्मी एक साथ किसी गांव में कैसे पहुंच गए. उन्होंने कहा कि लगातार टाइगर रिजर्व में शिकार और कानन पेंडारी में जानवरों की भूख से मौत के मामले सामने आ रहे हैं. उसे छोड़कर गरीब आदिवासियों को परेशान किया जा रहा है. पूरी घटना दुर्भाग्यजनक है. उन्होंने कहा कि सरकार लगातार ग्रामीणों के संरक्षण की बात करती है, ऐसे में ये ग्रामीण जब विस्थापन के लिए तैयार हैं, तो सरकार इसे लेकर गंभीरता नहीं दिखा रही है.'