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जंगल में दर्द से कराह रहा था बेजुबान, 'देवतूत' बन आए जवानों ने बचाई जान

जहां जवान अपनी जिम्मेदारी बड़ी ही शिद्दत से निभाते हैं, वहीं वो मदद करने में भी पीछे नहीं हटते.वही जवानों ने जानवर के कराहने की आवाज सुनी, चीतल को उठाकर कैंप ले आए और उसका इलाज किया.

soldiers saved deer lives
जवानों ने बचाई चीतल की जान
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Published : Dec 31, 2019, 6:34 PM IST

बीजापुर: सुरक्षाबलों के जवान जहां एक ओर अपनी जान जोखिम में डालकर हर पल आवाम की सुरक्षा के लिए तैयार रहते हैं. दूसरी ओर वही जवान अपनी जिम्मेदारी बड़ी ही शिद्दत से निभाते हैं, वहीं वो मदद करने में भी पीछे नहीं हटते फिर जाहे वो गर्भवती महिला हो, घायल महिला नक्सली हो या फिर कोई बेजुबान.

जवानों ने बचाई चीतल की जान

एक ऐसा ही नजारा बीजापुर के गंगालूर मार्ग पर मौजूद पामलवा में देखने को मिला जहां सीआरपीएफ के जवान एक घायल चीतल का इलाज करते दिखे. CRPF की 85वीं बटालियन के जवान सर्चिंग पर निकले थे, इस दौरान उन्होंने किसी जानवर के कराहने की आवाज सुनी. जवान फौरन उस जगह पर पहुंचे तो उन्होंने देखा की एक चीतल जख्मी हालत में दर्द से कराह रहा था.

जवान चीतल को उठाकर कैंप ले आए और उसका इलाज किया. इलाज के बाद जब चीतल पूरी तरह से ठीक हो गया तो जवानों ने उसे वन विभाग को सौंप दिया. अपनी इस दरियादिली से सुरक्षाबल के जवानों ने यह बता दिया कि उन्हें मुल्क का रक्षक क्यों कहा जाता है.

बीजापुर: सुरक्षाबलों के जवान जहां एक ओर अपनी जान जोखिम में डालकर हर पल आवाम की सुरक्षा के लिए तैयार रहते हैं. दूसरी ओर वही जवान अपनी जिम्मेदारी बड़ी ही शिद्दत से निभाते हैं, वहीं वो मदद करने में भी पीछे नहीं हटते फिर जाहे वो गर्भवती महिला हो, घायल महिला नक्सली हो या फिर कोई बेजुबान.

जवानों ने बचाई चीतल की जान

एक ऐसा ही नजारा बीजापुर के गंगालूर मार्ग पर मौजूद पामलवा में देखने को मिला जहां सीआरपीएफ के जवान एक घायल चीतल का इलाज करते दिखे. CRPF की 85वीं बटालियन के जवान सर्चिंग पर निकले थे, इस दौरान उन्होंने किसी जानवर के कराहने की आवाज सुनी. जवान फौरन उस जगह पर पहुंचे तो उन्होंने देखा की एक चीतल जख्मी हालत में दर्द से कराह रहा था.

जवान चीतल को उठाकर कैंप ले आए और उसका इलाज किया. इलाज के बाद जब चीतल पूरी तरह से ठीक हो गया तो जवानों ने उसे वन विभाग को सौंप दिया. अपनी इस दरियादिली से सुरक्षाबल के जवानों ने यह बता दिया कि उन्हें मुल्क का रक्षक क्यों कहा जाता है.

Intro:बीजापुर ।जिले में माओवादियों के लोहा लेने वाले जवान अब घायल पड़े जंगली जानवरों का भी इलाज कर उनकी जान बचा या गया। सीआरपीएफ के जवानों ने झा ग्रामीणों की नगर वासियों की सुरक्षा के साथ साथ जंगली जानवरों का भी एक इलाज कर चीतल की जान बचाई


Body:मामला बीजापुर जिले के गंगालूर मार्ग पर पामलवा में स्तित सीआरपीएफ से सर्चिंग के लिए निकली थी ,उसी दौरान केम्प से करीब 3 किमी दूर भोसगुड़ा के भिहड़ जंगल मे चीतल का शावक करता हुआ Conclusion:देख कर सीआरपीएफ की 85 बटालियन की सर्चिंग टीम घायल शीतल का उपचार कर पामलवाय गांव में स्थित केम्प चीतल को लेकर आये और प्राथमिक उपचार के बाद बेहतर उपचार के लिए वन विभाग को सौंप दिया
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