बालोद : केंद्र और राज्य की महत्वाकांक्षी योजना के तहत प्रधानमंत्री आवास योजना शामिल है. केंद्र सरकार ने सभी को पक्का मकान देने का वादा किया है. इसी उम्मीद से आम जनता अपने मताधिकारों का उपयोग करती है और सरकार चुनती हैं. लेकिन अधिकारियों की लापरवाही इन योजनाओं के क्रियान्वयन में बाधा डालती है.
बालोद जिले के ग्राम पंचायत भोईनापार में भी लोग प्रधानमंत्री आवास योजना की राह तक रहे हैं. लेकिन उन्हें यह नहीं मालूम कि उनका गांव इस जिले में शामिल ही नहीं है. जिले के बालोद जनपद अंतर्गत आने वाले ग्राम भोइनापार में 150 से ज्यादा कच्चे मकान हैं जबकि यहां 945 मतदाता हैं और 1235 की जनसंख्या हैं.
प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता के चलते आम लोग शासन की योजनाओं से वंचित है. पहले लगा कि सर्वे के तहत इन्हें धीरे-धीरे मकान मिल जाएंगे. ग्रामीण भी इसी उम्मीद में है कि सरकार योजना का लाभ जनता को दे रही है.
गांव का नाम जिले में शामिल नहीं
लेकिन ETV भारत की पड़ताल में मामला कुछ और ही नजर आया. दरअसल यहां इस गांव का नाम बालोद जिले में शामिल ही नहीं है. जिसकी वजह से जिले के कोटे से ग्रामीणों को प्रधानमंत्री आवास मिल ही नहीं सकता.
लगाए गए आवेदन पर आवेदन
पिछले 5 साल में ग्रामीणों ने प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन पर आवेदन लगाए. लेकिन आज तक उन्हें किसी ने यह नहीं बताया कि वे भले ही बालोद जिले में रहते हैं लेकिन उनका गांव बिलासपुर जिले में दर्शाया गया है. अब पूरा माजरा प्रशासन पर आ टिका है.
कलेक्टर ने दिया आश्वासन
मामले में जब कलेक्टर से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि इस संदर्भ में उन्हें शिकायत प्राप्त हुई थी जहां पता चला कि सॉफ्टवेयर में यह गांव बालोद जिले में नहीं बल्कि बिलासपुर जिले में दिखा रहा है. जिसके संदर्भ में उन्होंने पत्राचार किए जाने की भी बात कही. साथ ही यह भी कहा कि उम्मीद है कि इस साल इस समस्या का समाधान निकल जाएगा.