बलरामपुर: बलरामपुर जिले में आदिवासी समाज के जिलाध्यक्ष पद को लेकर विवाद शुरू हो गया है. अभी हाल ही में कलेक्टर बंगले में कार्यरत भृत्य ने कलेक्टर कुन्दन कुमार पर मारपीट और अभद्रता का आरोप लगाया था. भृत्य शिवनारायण राम जनजाति समाज से है. हालांकि आरोप लगाने के बाद भृत्य शिवनारायण राम अपने बयान से पलट गया था. 13 जनवरी को सर्व आदिवासी समाज इस मामले के संबंध में पूछताछ एवं बैठक समीक्षा बैठक होनी थी. लेकिन आनन-फानन में जिला कार्यकारिणी सर्व आदिवासी समाज का गठन कर दिया गया. जिसको लेकर अब विवाद शुरू हो गया है.
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अवैध तरीके से बने अध्यक्ष का खंडन प्रस्ताव पारित
सर्व आदिवासी समाज जिला अध्यक्ष चंदशेखर पोर्ते ने कहा कि कार्यकारिणी गठन की जानकारी वर्तमान जिला उपाध्यक्ष और विकासखंड अध्यक्ष को कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई थी. न ही जिले में इसका प्रचार-प्रसार किया गया था. यह पूर्णतः अनैतिक एवं अवैधानिक है. उन्होंने कहा कि हम अवैध तरीके से बने हुए अध्यक्ष का खंडन करते हैं. बसंत कूजूर ने खुद को जिलाध्यक्ष घोषित कर दिया. तब कोई भी विकासखंड अध्यक्ष मौजूद नहीं थे. 31 दिसंबर को बलरामपुर के ऑडिटोरियम में सर्वसम्मति से जो अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष चुने गए हैं, वही वैध माने जाएंगे.
जिलाध्यक्ष ने लगाया वसूली का आरोप
उन्होंने कहा कि बसंत कूजूर को समाज की तरफ से 31 दिसंबर को आदिवासी समाज का जिला अध्यक्ष बनाया जा रहा था, लेकिन उन्होंने सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष का पद लेने से इंकार कर दिया था. इसके बाद समाज के लोगों ने मुझे अध्यक्ष बनाया है. बसंत कूजूर के ऊपर वसूली करने का आरोप था. इसकी शिकायत कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक से की गई थी. इसलिए समाज के लोग उन्हें पसंद करते. जिलाध्यक्ष चंद्रशेखर पोर्ते ने कहा कि मुझे सर्वसम्मति से वैध तरीके से चुना गया है. हमारा उद्देश्य आदिवासी समाज के लोगों के हित में काम करना है.