नई दिल्ली: भारत की पांच दिवसीय यात्रा पर आए मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने सोमवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता की. इस दौरान 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर के द्विपक्षीय मुद्रा विनिमय समझौते के अलावा भारत द्वारा मालदीव को 360 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता प्रदान करने पर सहमति बनी. साथ ही भारत ने नकदी संकट से जूझ रहे मालदीव को 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर का ट्रेजरी बिल रोल ओवर प्रदान किया है.
इस समझौते के बाद राष्ट्रपति मुइज्जू ने भारत सरकार का आभार जताया है और कहा कि यह समझौता दोनों देशों के बीच विदेशी मुद्रा मुद्दों को हल करने में मददगार होगा.
दरअसल, मालदीव गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है. द्विपीय राष्ट्र पर भारी कर्ज है. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, बीते सितंबर में मालदीव का विदेशी मुद्रा भंडार सिर्फ 440 मिलियन डॉलर था. भारत की आर्थिक मदद से मालदीव का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ेगा.
पिछले साल नवंबर में राष्ट्रपति बनने के बाद मुइज्जू ने भारत को लेकर कड़ा रुख अपनाया था, जिससे दोनों देशों के संबंधों में तल्खी आ गई थी. तब मुइज्जू ने भारत से मालदीव में तैनात 80 से अधिक सैनिकों को वापस बुलाने की मांग की थी. मुइज्जू के इस भारत विरोधी रुख के पीछे मालदीव को चीन के करीब ले जाना था.
वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज सितंबर में मालदीव की क्रेडिट रेटिंग घटा दी थी. साथ ही कहा था कि मालदीव के डिफॉल्टर होने का जोखिम बहुत ज्यादा बढ़ गया है.
आर्थिक संकट के निपटने के लिए इससे पहले मुइज्जू ने चीन और तुर्की की यात्रा की थी, जबकि चुनाव जीतने और सत्ता में आने के बाद मालदीव के पिछले राष्ट्रपति सबसे पहले भारत आते थे.
मालदीव पर कर्ज करीब 8 अरब डॉलर है, जिसमें चीन और भारत का करीब 1.4 अरब डॉलर का कर्ज शामिल है. इससे पहले मुइज्जू ने आर्थिक संकट से निपटने चीन से ऋण भुगतान का प्रयास किया, चीन से कोई आर्थिक मदद नहीं मिली. जानकारों का कहना है कि इसके बाद भारत को लेकर मुइज्जू के रुख में बदलाव आया और उन्होंने वित्तीय मदद के लिए भारत की ओर रुख किया.
कैसे भारत-मादलीव के संबंधों में तल्खी दूर हुई
इसी साल जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रणह समारोह में राष्ट्रपति मुइज्जू के शामिल होने के बाद भारत-मादलीव के संबंधों में तल्खी दूर हुई. फिर अगस्त में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मालदीव की यात्रा की, जिससे दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में और मधुरता आई. तब जयशंकर ने कहा था कि मालदीव भारत की पड़ोसी प्रथम नीति का प्रमुख हिस्सा है.
भारत की पहली आधिकारिक यात्रा से पहले बीसीसी को दिए एक इंटरव्यू में मुइज्जू ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि आर्थिक संकट में भारत मालदीव की मदद के लिए आगे आएगा. उन्होंने कहा, "भारत हमारी राजकोषीय स्थिति से पूरी तरह वाकिफ है और हमारे सबसे बड़े विकास भागीदारों में से एक भारत, हमारे बोझ को कम करने, हमारे सामने आने वाली चुनौतियों के लिए अच्छा विकल्प और समाधान खोजने के लिए हमेशा तैयार रहेगा."
मुइज्जू ने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि मालदीव और भारत के बीच किसी भी मतभेद को खुले संवाद और आपसी समझ से सुलझाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि अब दोनों पक्षों को एक-दूसरे की प्राथमिकताओं और चिंताओं की बेहतर समझ है.
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