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छत्तीसगढ़ में गौ माता की मौत पर बैंड बाजे के साथ निकाली गई अंतिम यात्रा

गाय की मौत पर कवर्धा में परिवार के लोगों ने बैंड बाजे के साथ उसकी अंतिम यात्रा निकाली.

last journey of cow
गाय की मौत पर रोया पूरा गांव (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Oct 7, 2024, 9:49 PM IST

Updated : Oct 8, 2024, 2:56 PM IST

कवर्धा: हिंदू समाज में गाय को माता का दर्जा दिया जाता है. जिसके घर पर गाय होती है उसको बड़े सम्मान के साथ देखा जाता है. गाय को पालने वाले ज्यादातर लोग उसे अपने परिवार का हिस्सा ही मानते हैं. पर ऐसा कम ही देखने को मिलता है जब गाय की मौत पर पूरा मोहल्ल रोता है. कवर्धा के रहने वाले राजू पांडे के घर दुलौरिन नाम की गाय पिछले 20 सालों से थी. परिवार के लोग गाय की खूब सेवा करते थे, उसे परिवार के सदस्य की तरह रखते थे. बीते कुछ दिनों से बीमार चल रही गाय की अचानक मौत हो गई. गाय की मौत पर पूरा परिवार सदमे में डूब गया.

गाजे बाजे के साथ निकाली गई गाय की अंतिम यात्रा: दुलौरिन की मौत के बाद परिवार के लोगों ने गाय का अंतिम संस्कार वैसे ही किया जैसे किसी इंसान की मौत के बाद किया जाता है. गाजे बाजे के साथ उसकी अंतिम यात्रा निकाली गई. मोहल्ले में जिधर से भी दुलौरिन की अंतिम यात्रा गुजरी लोगों ने उसे नम आंखों से अंतिम विदाई दी. ऐसा लगा जैसे इसी मोहल्ले का रहने वाला कोई इंसान आज गुजर गया हो. परिवार वालों का कहना था कि गाय उनके यहां पिछले 20 सालों से थी. प्यार से परिवार के लोग गाय को दुलौरिन के नाम से पुकारते थे.

गाय की मौत पर रोया पूरा गांव (ETV Bharat)

फूल माला से सजाकर निकाली गई अंतिम यात्रा: दुलौरिन गाय की अंतिम यात्रा में मोहल्ले के कई लोग शामिल हुए. स्थानीय लोगों का कहना था कि ये सिर्फ गाय की अंतिम यात्रा नहीं है बल्कि आस्था और भावनाओं का प्रतीक भी है. अंतिम यात्रा में शामिल हुए लोगों का कहना था कि पशुओं के प्रति हमारा प्रेम शुरु से रहा है. सभी लोगों को पशुओं के प्रति सम्मान का भाव रखना चाहिए. कवर्धा में गाय की अंतिम यात्रा गाजे बाजे के साथ निकाले जाने की चर्चा खूब हो रही है.

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गाजे बाजे के साथ निकाली गई गाय की अंतिम यात्रा: दुलौरिन की मौत के बाद परिवार के लोगों ने गाय का अंतिम संस्कार वैसे ही किया जैसे किसी इंसान की मौत के बाद किया जाता है. गाजे बाजे के साथ उसकी अंतिम यात्रा निकाली गई. मोहल्ले में जिधर से भी दुलौरिन की अंतिम यात्रा गुजरी लोगों ने उसे नम आंखों से अंतिम विदाई दी. ऐसा लगा जैसे इसी मोहल्ले का रहने वाला कोई इंसान आज गुजर गया हो. परिवार वालों का कहना था कि गाय उनके यहां पिछले 20 सालों से थी. प्यार से परिवार के लोग गाय को दुलौरिन के नाम से पुकारते थे.

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फूल माला से सजाकर निकाली गई अंतिम यात्रा: दुलौरिन गाय की अंतिम यात्रा में मोहल्ले के कई लोग शामिल हुए. स्थानीय लोगों का कहना था कि ये सिर्फ गाय की अंतिम यात्रा नहीं है बल्कि आस्था और भावनाओं का प्रतीक भी है. अंतिम यात्रा में शामिल हुए लोगों का कहना था कि पशुओं के प्रति हमारा प्रेम शुरु से रहा है. सभी लोगों को पशुओं के प्रति सम्मान का भाव रखना चाहिए. कवर्धा में गाय की अंतिम यात्रा गाजे बाजे के साथ निकाले जाने की चर्चा खूब हो रही है.

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Last Updated : Oct 8, 2024, 2:56 PM IST
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