सरगुजा: बलरामपुर जिले में पंडो जनजाति के लोगों की मौत और एक पंडो महिला के साथ स्वास्थ्य कर्मी द्वारा बरती गई अमानवीयता के मामले में अब सियासत भी शुरू हो गई है. भाजपा ने इसे मामले में जांच दल बनाने की कवायद शरू कर दी ही पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को मामले की जानकारी दी गई है. अब भाजपा एक जांच टीम भेज कर मामले की समीक्षा कराएगी. इतना ही नहीं यह मामला विधानसभा में भी विपक्ष के द्वारा उठाने की तैयारी है. वहीं, इस मामले में कांग्रेस ने इसे रमन सिंह के 15 साल का दंश बताया है. पंडों जनजाति के लोग अगर आज भी पिछड़े हैं, उनमें जागरूकता की कमी है तो 15 साल तक सत्ता मर काबिज भाजपा की गलती है.
पंडो की मौत मामले में भाजपा का हमला भाजपा करेगी जांच बहरहाल, विशेष संरक्षित जनजाति पंडो की मौत या बीमारी के पीछे की मुख्य वजह है. इनमें जागरूकता की कमी, एनीमिया कुपोषण व अन्य बीमारियों से लड़ते हुए इनकी मौत हो जाती है. जबकी केंद्र से लेकर राज्य सरकारें तक कई तरह की योजनाएं इनके लिए चलाती हैं. पंडो कोरवा जाती के लोगों को जागरूक करने इनके उत्थान के लिये तमाम संगठन काम कर रहे हैं, पंडो विकास अभिकरण बनाया गया है, लेकिन इन तमाम कवायदों का लाभ जमीन में नही दिख रहा है, जाहिर है के यह शासन और प्रशासन की असफलता है और इस असफलता पर भाजपा ने सरकार पर हमला बोला है इस घटना को अमानवीय बताया है और भाजपा अब इस मामले की जांच कर सरकार के खिलाफ हमला बोलने की तैयारी में है.
15 साल की सत्ता के परिणाम वहीं इसके उलट कांग्रेस ने इन सबका जिम्मेदार भाजपा को ही बताया है कांग्रेस का कहना है की इस प्रदेश में 15 साल भजपा की सत्ता रही है. जिस क्षेत्र का मामला है वहां से कद्दावर भाजपा के मंत्री रहे हैं वर्तमान में राज्यसभा सांसद हैं. लेकिन 15 वर्षो तक उन्होंने कुछ नहीं किया. जिसके परिणाम अब सामने आ रहे हैं. कांग्रेस को सत्ता में आये बहुत कम समय ही हुआ है. लेकिन इस कम समय मे भी प्रदेश में कुपोषण के खिलाफ सार्थक काम हुए हैं. जिला कांग्रेस प्रवक्ता आशीष वर्मा ने बताया की स्वास्थ्य कर्मी को निलंबित करने के निर्देश दे दिए गये है.
स्वास्थ्य कर्मी की अमानवीयता बलरामपुर जिले में प्रसव पीड़ा से तड़पती हुई पंडो महिला को पैदल ही स्वास्थ्य केंद्र तक आना पड़ा और इस बीच रास्ते में ही उसक प्रसव हो गया। प्रसव के बाद जब महिला बच्चे को लेकर अस्पताल पहुंची तो वहां मौजूद स्वास्थ्यकर्मी ने बच्चे का नाभी नाल काटने से मना कर दिया और स्वास्थ्य केंद्र में ताला लगाकर चली गई. घंटों अस्पताल के दरवाजे पर बैठने के बाद मजबूरन परिजन प्रसूता व नवजात को लेकर घर चले गए. मामला प्रकाश में आने के बाद स्वास्थ्य विभाग द्वारा जच्चा बच्चा को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है और दोनों की निगरानी की जा रही है. वहीं इस मामले में अब सीएमएचओ ने 24 घंटे के अंदर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश बीएमओ को दिए हैं.
एक बच्ची, एक वृद्धा की मौत बलरामपुर जिले के रामचंद्रपुर विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत गाजर बाजार पारा निवासी 4 वर्षीया वीना पंडों आ. धनेश्वर पंडों को दस दिनों पूर्व बुखार हुआ था. जिसके बाद परिजन गांव में ही किसी झोलाछाप डॉक्टर से बच्ची का उपचार करा रहे थे. लेकिन हालत में सुधार नहीं हुआ। बच्ची की हालत लगातार बिगड़ती गई. जानकारी का आभाव व आर्थिक तंगी के कारण परिजन बच्ची को लेकर अस्पताल नहीं गए.
15 सितम्बर को अचानक बच्ची के पेट में तेज दर्द शुरू हुआ और बच्ची रातभर पेटदर्द से तड़पती रही. इस बीच ग्रामीणों ने संजीवनी एम्बुलेंस 108 को फोन कर सूचना दी जिसके बाद रात 3.30 बजे सनवाल के शासकीय अस्पताल में भर्ती कराया गया और वहां से रामानुजगंज सीएचसी में रिफर किया गया. लेकिन अस्पताल पहुंचने के बाद बच्ची की मौत हो गई. बच्ची की मौत के बाद रामानुजगंज सीएचसी में बच्ची का पीएम के बाद लाश को परिजन के सुपुर्द कर दिया गया.
इसके साथ ही दूसरी घटना वाड्रफनगर विकासखंड ग्राम पंचायत वीरेंद्रनगर की है. बताया जा रहा है कि वीरेंद्रनगर निवासी 60 वर्षीया मनकुंवर पंडों पति काशी पंडो की 15 दिनों से तबियत खराब थी। वृद्धा पहले से ही लकवाग्रस्त थी. आर्थिक तंगी के कारण परिजन जड़ीबूटी से वृद्धा का उपचार करा रहे थे और झाड़फूंक का सहारा लिया.