रायपुर: प्रदेश की राजधानी रायपुर में पिछले 25 दिनों से अपनी 2 सूत्रीय मांग को लेकर प्रदेश भर के दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ अनिश्चितकालीन हड़ताल (Daily wage workers took out mashal rally) पर बैठे हुए हैं. बुधवार को छत्तीसगढ़ दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ मशाल रैली निकालकर सरकार के खिलाफ अपना गुस्सा निकाला.
संघ के द्वारा प्रदर्शन लगातार जारी रहेगा: उनका कहना है कि सरकार जब तक स्थाई और नियमितीकरण का तोहफा उन्हें नहीं दे देती तब तक दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ के द्वारा प्रदर्शन लगातार जारी रहेगा. इसके बाद भी सरकार इनकी मांगों पर विचार नहीं करती है, तो आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ वन कर्मचारी संघ के द्वारा उग्र प्रदर्शन भी किया जाएगा. अपनी मांगों को लेकर इसके पहले भी दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी अलग अलग तरीके से सरकार को जगाने के लिए प्रदर्शन कर चुके हैं.
सरकार को जगाने मशाल रैली का आयोजन: दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारियों का कहना है कि "मसाल रैली निकालकर सरकार को जगाने की कोशिश की जा रही है. वन मंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री के मन मस्तिष्क में जो अंधेरा छाया हुआ है, उसे दूर करने के लिए मशाल रैली का आयोजन किया गया है. जिससे प्रदेश के वन मंत्री और मुख्यमंत्री के मन मस्तिष्क में छाया हुआ अंधेरा को मिटाया जा सके."
4 साल बीतने के बाद भी मांग नही हुई पूरी: प्रदेश के दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारियों का कहना है कि "सरकार ने चुनाव के पहले 10 दिनों में नियमित करने का वादा किया था. लेकिन सरकार को बने लगभग 4 साल बीतने को है. बावजूद इसके इन कर्मचारियों को ना तो आज तक स्थाई किया गया है और ना ही नियमित किया गया है. जिसके कारण दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों में भारी आक्रोश और नाराजगी देखने को मिली."
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दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारीयों की 2 सूत्रीय मांग: वन विभाग में दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम करने वाले कर्मचारियों की 2 सूत्रीय मांग है. जिसमें पहला मांग स्थायीकरण और दूसरा मांग नियमितीकरण का है. इन कर्मचारियों का कहना है कि "जो कर्मचारी 2 साल की सेवा पूर्ण कर लिए हैं, उन्हें स्थाई किया जाए और जो दैनिक वेतन भोगी 10 वर्ष की सेवा पूरा कर चुके हैं, उन्हें नियमित किया जाए. पूरे प्रदेश में वन विभाग में दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या लगभग 6500 हैं. इन कर्मचारियों को वेतन के रूप में प्रतिमाह महज 9 हज़ार रुपये ही वेतन मिलता है. जो वन विभाग में वाहन चालक, कंप्युटर ऑपरेटर, रसोईया और बेरियर का काम करने के साथ ही जंगल का काम देखते हैं."