नई दिल्ली: कुछ शुरुआती दिक्कतों के बावजूद भारत में ईवी की पैठ धीरे-धीरे लगातार बढ़ रही (Record demand for electric vehicles in India) है. वह भी खासकर ई-स्कूटर सेगमेंट में अब, चौपहिया वाहन निर्माता भी इसमें शामिल हो गए हैं. जो 2030 तक पारंपरिक ईंधन और आंतरिक दहन इंजन चालित वाहनों पर निर्भरता को कम करने के भारत के लक्ष्य को आगे बढ़ा रहे हैं. सरकार को उम्मीद है कि 2030 तक ईवी की बिक्री निजी ऑटोमोबाइल के लिए 30 प्रतिशत, वाणिज्यिक वाहनों के लिए 70 प्रतिशत और दो और तीन पहिया वाहनों के लिए 80 प्रतिशत होगी. जो न केवल लंबी अवधि में देश के तेल आयात बिल को कम करेगा बल्कि एक स्वच्छ वातावरण भी सुनिश्चित करेगा.
केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडे (Union Minister Mahendra Nath Pandey) ने पिछले महीने लोकसभा में एक लिखित जवाब में कहा था कि मंत्रालय ने देश में इलेक्ट्रिक/हाइब्रिड वाहनों को अपनाने को बढ़ावा देने के लिए भारत में 'फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्च रिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स इन इंडिया' फेज दो नामक एक योजना लागू की है. वर्तमान में, फेम इंडिया योजना के चरण-दो 10,000 करोड़ रुपये के कुल बजटीय समर्थन के साथ 1 अप्रैल 2019 से पांच साल की अवधि के लिए लागू किया जा रहा है. ऑटो उद्योग के विशेषज्ञों के अनुसार, इस समय ईवी अपनाने के मामले में तिपहिया सेगमेंट 4 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ मार्केट में आगे है. इसके बाद दोपहिया 3.5 प्रतिशत और यात्री वाहन 1.3 प्रतिशत का स्थान है. यात्री कार सेगमेंट में टाटा मोटर्स 90 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी के साथ बाजार में सबसे आगे है.
वरिष्ठ शोध विश्लेषक सौमेन मंडल (Soumen Mandal, Senior Research Analyst) ने आईएएनएस को बताया कि यात्री कार सेगमेंट में टाटा मोटर्स 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी के साथ बाजार का नेतृत्व करती है. इसके बाद एमजी मोटर 7.2 प्रतिशत और हुंडई 1.8 प्रतिशत का स्थान है. इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर सेगमेंट में, ओला बाजार में आगे है. उसके बाद ओकिनावा और हीरो इलेक्ट्रिक का स्थान है. 2025 तक, भारत में इलेक्ट्रिक यात्री वाहनों की बाजार में हिस्सेदारी 6 प्रतिशत से अधिक होने की उम्मीद है. वर्तमान में, बाजार में टाटा मोटर्स, एमजी मोटर्स और हुंडई का दबदबा है, लेकिन महेंद्रा, बीवाईडी, सुजुकी और वॉल्क्सवेगन जैसी अन्य कंपनियों ने भी ईवी पेश करने के लिए अपने रोडमैप की घोषणा की है.
सौमेन मंडल ने कहा, 2025 में मारुति के प्रवेश के साथ भारत के ईवी बाजार में बदलाव की उम्मीद है. मारुति बजट सेगमेंट 10 लाख रुपये से कम में अपनी पेशकश के लिए लोकप्रिय है. उन्होंने आगे कहा कि यदि मारुति 10 लाख रुपये से कम कीमत वाली अपनी पहली ईवी लॉन्च करती है, तो यह एक संभावित गेम-चेंजर हो सकता है। वर्तमान में, टाटा टियागो एकमात्र ईवी मॉडल है जो 10 लाख रुपये से कम में उपलब्ध है. भारत में ऑटो निर्माताओं ने अपने ईवी को दिखाने और टीज के लिए 'ऑटो एक्सपो 2023' में कई मॉडलों का अनावरण किया. ईवी की बढ़ती मांग का एक प्रमुख कारण उनका कम उत्सर्जन स्तर है, जो पूवार्नुमान अवधि के दौरान बाजार राजस्व वृद्धि को बढ़ावा देने का अनुमान है.
एक ऐसे बाजार के लिए जिसके पास पहले से ही 2डब्ल्यूएस, 3डब्ल्यूएस और 4डब्ल्यूएस सहित 13 लाख से अधिक ईवी हैं और आने वाले वर्षों में लगातार बढ़ना जारी है, इसमें जबरदस्त संभावनाएं हैं. उद्योग के विशेषज्ञों के अनुसार, भारत के ईवी उद्योग में निजी इक्विटी (पीई) निवेश 2022 में एक अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना थी. Record demand for electric vehicles in India
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(आईएएनएस)