..तो क्या जीतन राम मांझी कसम तोड़ने वाले हैं, नीतीश कुमार खाएंगे गच्चा?
पटना : कहते हैं राजनीति संभावनाओं का खेल है. समय की परिस्थिति के अनुसार जो बदले और ठीक समय पर सही निर्णय ले वही राजनीति का बाजीगर कहलाता है. एक समय था जब पूर्व केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान को राजनीति का मौसम वैज्ञानिक कहा जाता था. अभी फिलहाल की परिस्थिति में जीतन राम मांझी भी इसमें कम नहीं है. अगर गौर से देखा जाए तो वह अपनी बात मनवाने के लिए गाहे-बगाहे ऐसा बयान देते हैं जो सहयोगी पार्टियों को सोचने पर मजबूर कर देती है. उस वक्त को याद कीजिए जब दिल्ली में देश के गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद मांझी ने कसम खायी थी कि वह नीतीश कुमार का साथ नहीं छोड़ेंगे. पर अब कह रहे हैं राजनीति में कसम का कोई मतलब नहीं होता है. ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि क्या जीतन राम मांझी फिर से पलटी मारने वाले हैं और नीतीश कुमार को गच्चा देने वाले हैं? खैर ये सब तो भविष्य की गोद में छिपा है. पर एक बात स्पष्ट है कि मांझी सतरंज में घोड़े की चाल यानी 'कहीं भी ढाई घर' चलना जानते हैं. तो वक्त का इंतजार कीजिए और देखिए आगे-आगे होता है क्या और मांझी क्या नयी पटकथा लिखते हैं?