आज डूबते सूर्य को दिया जाएगा अर्घ्य, खरना के शुरू हुआ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास
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पटना: लोक आस्था और सूर्य उपासना का महापर्व छठ 17 नवंबर से शुरू हो गया है. महापर्व के दूसरे दिन छठी मइया के लिए प्रसाद तैयार किया गया, जिसे खरना कहा जाता है. चार दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व के अलग-अलग दिन का खास महत्व है. छठ की शुरुआत नहाए खाए से होती है. खरना का जो प्रसाद तैयार होता है उसके लिए पहले गेहूं को अच्छे से धोकर पिसवाया जाता है. छठ व्रत करने वाले लोग दिनभर उपवास रख कर गंगाजल लाकर खरना का प्रसाद तैयार करते हैं. खरना का प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर तैयार किया जाता है. आम की लकड़ी से छठी मैया का प्रसाद बनाया जाता है. प्रसाद में गुरु और चावल का खीर और आटे की रोटी बनाई जाती है. छत व्रत में घर के सदस्य प्रसाद बनाने में मदद करते हैं. जो भी लोग प्रसाद बनाने में मदद करते है वो स्नान करके ही प्रसाद तैयार करते हैं, उपवास रखते हैं. मिट्टी के चूल्हे पर बने प्रसाद का भोग लगाया गया. चावल का बनी खीर, रोटी और केला छठी मइया को अर्पण किया गया और सभी घर के सदस्य हवन पूजा करके छठी मइया का आशीर्वाद लेते हैं. छठ व्रती निभा देवी ने कहा कि छठ महापर्व करने से सुख और शांति मिलता है.
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