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बेतिया: कड़ाके की ठंड ने छीना मजदूरों का रोजगार, दिहाड़ियों को नहीं मिल रहा काम - चंपारण में ठंड का असर

यहां दूर-दराज से मजदूर रोजगार के लिए आते हैं. ठंड की वजह से काम नहीं मिल रहा है. लिहाजा उन्हें खाली हाथ लौटकर जाना पड़ रहा है.

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Published : Dec 29, 2019, 1:00 PM IST

बेतिया: जिले में बढ़ती ठंड के कारण रोज कमाने वाले मजदूरों का रोजगार छिन गया है. ठंड के कारण उन्हें काम नहीं मिल रहा है और खाली हाथ घर लौटना पड़ रहा है. यदि काम मिल भी रहा है तो मजबूरी का फायदा उठाकर ठेकेदार उन्हें सामान्य से कम मजदूरी दे रहे हैं.

नहीं मिल रहा काम
बेतिया शहर में दिहाड़ी कमाने के लिए रोज मजदूर पहुंचते हैं. ये मजदूर 15-15 किलोमीटर की दूरी साइकिल से तय कर यहां पहुंचते हैं और दिनभर दिहाड़ी कमा कर शाम में घर लौट जाते हैं. लेकिन लगातार बढ़ रही ठंड से ये बेहद परेशान हैं. ठंड की वजह से इन्हें काम नहीं मिल रहा है.

पेश है रिपोर्ट

ये भी पढ़ेंः गया का न्यूनतम तापमान हुआ 3.2 डिग्री सेल्सियस, राज्य का सबसे ठंडा जिला बना मोक्षनगरी

'मेरे साथ मजबूरी है'
मजदूर सुमन यादव ने कहा कि पूरा परिवार हम पर ही आश्रित है. इतनी ठंड में भी मजदूरी करने आता हूं. इसके लिए सुबह ही घर से निकलना पड़ता है. लेकिन फिलहाल काम नहीं मिल रहा है. मजदूर राम कशिश ने बताया कि काम के लिए यहां आते हैं. काम नहीं मिलने के कारण घुमकर चले जाते हैं. हमारे साथ बहुत मजबूरी है. मजदूर सुरेश साह ने कहा कि मैं 7-8 किमी से आता हूं. काम नहीं मिल रहा है. दिन के 10-11 बजे तक इंतजार करता हूं. फिर लौटकर घर चले जाता हूं.

बेतिया: जिले में बढ़ती ठंड के कारण रोज कमाने वाले मजदूरों का रोजगार छिन गया है. ठंड के कारण उन्हें काम नहीं मिल रहा है और खाली हाथ घर लौटना पड़ रहा है. यदि काम मिल भी रहा है तो मजबूरी का फायदा उठाकर ठेकेदार उन्हें सामान्य से कम मजदूरी दे रहे हैं.

नहीं मिल रहा काम
बेतिया शहर में दिहाड़ी कमाने के लिए रोज मजदूर पहुंचते हैं. ये मजदूर 15-15 किलोमीटर की दूरी साइकिल से तय कर यहां पहुंचते हैं और दिनभर दिहाड़ी कमा कर शाम में घर लौट जाते हैं. लेकिन लगातार बढ़ रही ठंड से ये बेहद परेशान हैं. ठंड की वजह से इन्हें काम नहीं मिल रहा है.

पेश है रिपोर्ट

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'मेरे साथ मजबूरी है'
मजदूर सुमन यादव ने कहा कि पूरा परिवार हम पर ही आश्रित है. इतनी ठंड में भी मजदूरी करने आता हूं. इसके लिए सुबह ही घर से निकलना पड़ता है. लेकिन फिलहाल काम नहीं मिल रहा है. मजदूर राम कशिश ने बताया कि काम के लिए यहां आते हैं. काम नहीं मिलने के कारण घुमकर चले जाते हैं. हमारे साथ बहुत मजबूरी है. मजदूर सुरेश साह ने कहा कि मैं 7-8 किमी से आता हूं. काम नहीं मिल रहा है. दिन के 10-11 बजे तक इंतजार करता हूं. फिर लौटकर घर चले जाता हूं.

Intro:एंकर: जिले में बढ़ती ठंड के कारण रोज कमाने वाले मजदूरों का रोजगार छिन गया है. ठंड के कारण उन्हें सप्ताह में 4 दिन मायूस होकर अपने घर लौटना पड़ रहा है. उसमें भी अगर उन्हें कुछ काम मिल जा रहा है तो ठेकेदार व अन्य लोग उन्हें कम मजदूरी दे रहे हैं।


Body:जिले में लगातार बढ़ रही ठंड की मार की चपेट से कोई अछूता नहीं है. इस कड़ाके की ठंड ने प्रतिदिन दिहाड़ी पर काम आने वाले मजदूरों से उनका रोजगार छीन लिया है. लगातार बढ़ रही कड़ाके की ठंड लोगों के लिए कष्टदायक साबित हो रहा है. 15- 15 किलोमीटर दूर से साइकिल चलाकर मजदूर बेतिया शहर में सुबह 8 बजे पहुंच जाते हैं. इस आस में कि आज उन्हें काम मिल जाएगा, लेकिन ठंड के कारण सप्ताह में 4 दिन मायूस होकर घर लौटना पड़ रहा है. मजदूरों का कहना है कि कड़ाके की ठंड में मुश्किल से ही काम मिल पा रहा है. इसमें भी ठेकेदार व अन्य लोग उन्हें कम मजदूरी दे रहे हैं. उसी थोड़े बहुत पैसे से घर का काम चल रहा है।

बाइट- सुमन यादव, मजदूर
बाइट- प्रभु, मजदूर
बाइट- राम कशिश, मजदूर
बाइट- सुरेश साह, मजदूर
बाइट- जोगिंदर साह, मजदूर
बाइट- मनोज,मजदूर


Conclusion:बता दे कि शहर के राज देवड़ी, तीन लालटेन चौक, बानुछापर, छावनी समेत आधा दर्जन जगहों पर मजदूर प्रतिदिन पहुंचते हैं. आम दिनों में उन्हें यहां आते ही काम मिल जा रहा था लेकिन कड़ाके की ठंड में मुश्किल से ही उन्हें काम मिल पा रहा है. वही काम नहीं मिलने से अधिकांश मजदूर शहर में नहीं आना चाहते. वह किसी तरह समय काट कर धूप निकलने का इंतजार कर रहे हैं।

जितेंद्र कुमार गुप्ता
ईटीवी भारत,बेतिया
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