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बिहार-यूपी का रास्ता बंद! NH 727 की हालत तो देखिए...

एनएच 727 पर जलजमाव के कारण वाहनों का आवागमन ठप हो गया है. वाल्मीकि टाइगर रिजर्व को उत्तरप्रदेश के कुशीनगर पर्यटक स्थल से जोड़ने वाला यह एक मात्र नेशनल हाइवे है. ऐसे में पर्यटकों के संख्या में भारी गिरावट आ सकती है.

एनएच 727 पर हुआ जलजमाव
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Published : Jul 9, 2019, 5:54 PM IST

Updated : Jul 9, 2019, 6:26 PM IST

पश्चिम चंपारण: बगहा को उत्तरप्रदेश से जोड़ने वाला एकमात्र राष्ट्रीय राजमार्ग अपने बदहाली पर आज भी आंसू बहा रहा है. हालत यह है कि यदि बारिश की हल्की फुहार भी पड़ जाए तो पूरे चंपारण का सम्पर्क उत्तरप्रदेश से टूट जाता है. ऐसे में लोगों को आने जाने में काफी परेशानी होती है.

एनएच 727 स्थिति जर्जर
पश्चिम चंपारण को उत्तरप्रदेश से जोड़ने वाले एकमात्र एनएच 727 पर जलजमाव के कारण वाहनों का आवागमन ठप हो गया है. दो दिनों से रुक-रुक कर हो रही बारिश ने दशकों से जर्जर हो चुके इस सड़क की स्थिति और नारकीय बना दी है. हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि इस सड़क मार्ग से कोई भी यात्री अपना निजी वाहन लेकर जाना नहीं चाहता. सबसे अहम बात यह है कि वाल्मीकि टाइगर रिजर्व को उत्तरप्रदेश के कुशीनगर पर्यटक स्थल से जोड़ने वाला यह एक मात्र नेशनल हाइवे है. ऐसे में पर्यटकों के संख्या में भारी गिरावट आ सकती है.

पश्चिम चंपारण
जलजमाव से आवागमन ठप

लोगों को हो रही परेशानी
स्थानीय लोगों का कहना है कि ज्यादा बरसात हो जाने पर यह मार्ग पूरी तरह ठप पड़ जाता है. कम बारिश में सिर्फ ट्रैक्टर और ट्रक की ही आवाजाही हो पाती है. यदि गलती से भी कोई इस सड़क में कोई निजी वाहन लेकर घुस जाये तो फंस जाता है. जेसीबी की सहायता से उसे निकलना पड़ता है. स्थिति यह है कि यदि कोई बीमार पड़ जाए तो चारपाई पर लादकर मुख्य मार्ग पर लाया जाता और वहां से गाड़ी से अस्पताल भेजा जाता है.

सरकार की उदासीनता
1990 के पहले से ही इस सड़क को सरकारी उदासीनता का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. डॉ. जगनाथ मिश्र, लालू यादव, नीतीश कुमार, राबड़ी देवी और जीतनराम मांझी जैसे मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल के बावजूद इस सड़क का कायाकल्प नहीं हो पाया है. पूर्व में जब तक इस सड़क की मरम्मती व देखरेख का जिम्मा रेल विभाग के पास था तब तक सड़क की स्थिति वर्तमान समय से बेहतर थी. 1990 में जैसे ही इसे पथ निर्माण विभाग को हस्तांतरित किया गया तब से इसकी हालत बदतर हो गई है.

पेश है रिपोर्ट

कई दशकों से ठप पड़ा है निर्माण कार्य
गौरतलब हो कि 1990 में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. जग्गनाथ मिश्र और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के बीच एक समझौता हुआ था. इस दौरान ये तय हुआ था कि बिहार के हिस्से की सड़कें बिहार सरकार निर्मित कराएगी और उत्तरप्रदेश की सड़कें उत्तरप्रदेश की सरकार बनवाएगी. उत्तरप्रदेश की सरकार ने अपने हिस्से का सड़क निर्माण तो करा लिया लेकिन बिहार सरकार के वन विभाग ने इस एनएच पर पेंच फंसा दिया. जबकि 1990 में ही इस एनएच को बनाने के एवज में 61 एकड़ भूमि वन विभाग को अधिगृहित कर दी गई थी. लेकिन विभागीय अधिकारियों की मनमानी से इस सड़क का निर्माण कार्य कई दशकों से ठप पड़ा है.

पर्यटकों की संख्या में आ सकती है गिरावट
बहरहाल एक तरफ सरकार वाल्मीकि टाइगर रिजर्व को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. वहीं दूसरी तरफ इस जर्जर सड़क के प्रति उदासीन बनी हुई है. बदहाल सड़क से आम लोगों को परेशानी तो हो ही रही है. ऐसे में पर्यटकों की संख्या में भी गिरावट आ सकती है. ऐसे में देखने वाली बात होगी कि सरकार की नजरें इस तरफ कब पड़ती है.

पश्चिम चंपारण: बगहा को उत्तरप्रदेश से जोड़ने वाला एकमात्र राष्ट्रीय राजमार्ग अपने बदहाली पर आज भी आंसू बहा रहा है. हालत यह है कि यदि बारिश की हल्की फुहार भी पड़ जाए तो पूरे चंपारण का सम्पर्क उत्तरप्रदेश से टूट जाता है. ऐसे में लोगों को आने जाने में काफी परेशानी होती है.

एनएच 727 स्थिति जर्जर
पश्चिम चंपारण को उत्तरप्रदेश से जोड़ने वाले एकमात्र एनएच 727 पर जलजमाव के कारण वाहनों का आवागमन ठप हो गया है. दो दिनों से रुक-रुक कर हो रही बारिश ने दशकों से जर्जर हो चुके इस सड़क की स्थिति और नारकीय बना दी है. हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि इस सड़क मार्ग से कोई भी यात्री अपना निजी वाहन लेकर जाना नहीं चाहता. सबसे अहम बात यह है कि वाल्मीकि टाइगर रिजर्व को उत्तरप्रदेश के कुशीनगर पर्यटक स्थल से जोड़ने वाला यह एक मात्र नेशनल हाइवे है. ऐसे में पर्यटकों के संख्या में भारी गिरावट आ सकती है.

पश्चिम चंपारण
जलजमाव से आवागमन ठप

लोगों को हो रही परेशानी
स्थानीय लोगों का कहना है कि ज्यादा बरसात हो जाने पर यह मार्ग पूरी तरह ठप पड़ जाता है. कम बारिश में सिर्फ ट्रैक्टर और ट्रक की ही आवाजाही हो पाती है. यदि गलती से भी कोई इस सड़क में कोई निजी वाहन लेकर घुस जाये तो फंस जाता है. जेसीबी की सहायता से उसे निकलना पड़ता है. स्थिति यह है कि यदि कोई बीमार पड़ जाए तो चारपाई पर लादकर मुख्य मार्ग पर लाया जाता और वहां से गाड़ी से अस्पताल भेजा जाता है.

सरकार की उदासीनता
1990 के पहले से ही इस सड़क को सरकारी उदासीनता का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. डॉ. जगनाथ मिश्र, लालू यादव, नीतीश कुमार, राबड़ी देवी और जीतनराम मांझी जैसे मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल के बावजूद इस सड़क का कायाकल्प नहीं हो पाया है. पूर्व में जब तक इस सड़क की मरम्मती व देखरेख का जिम्मा रेल विभाग के पास था तब तक सड़क की स्थिति वर्तमान समय से बेहतर थी. 1990 में जैसे ही इसे पथ निर्माण विभाग को हस्तांतरित किया गया तब से इसकी हालत बदतर हो गई है.

पेश है रिपोर्ट

कई दशकों से ठप पड़ा है निर्माण कार्य
गौरतलब हो कि 1990 में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. जग्गनाथ मिश्र और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के बीच एक समझौता हुआ था. इस दौरान ये तय हुआ था कि बिहार के हिस्से की सड़कें बिहार सरकार निर्मित कराएगी और उत्तरप्रदेश की सड़कें उत्तरप्रदेश की सरकार बनवाएगी. उत्तरप्रदेश की सरकार ने अपने हिस्से का सड़क निर्माण तो करा लिया लेकिन बिहार सरकार के वन विभाग ने इस एनएच पर पेंच फंसा दिया. जबकि 1990 में ही इस एनएच को बनाने के एवज में 61 एकड़ भूमि वन विभाग को अधिगृहित कर दी गई थी. लेकिन विभागीय अधिकारियों की मनमानी से इस सड़क का निर्माण कार्य कई दशकों से ठप पड़ा है.

पर्यटकों की संख्या में आ सकती है गिरावट
बहरहाल एक तरफ सरकार वाल्मीकि टाइगर रिजर्व को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. वहीं दूसरी तरफ इस जर्जर सड़क के प्रति उदासीन बनी हुई है. बदहाल सड़क से आम लोगों को परेशानी तो हो ही रही है. ऐसे में पर्यटकों की संख्या में भी गिरावट आ सकती है. ऐसे में देखने वाली बात होगी कि सरकार की नजरें इस तरफ कब पड़ती है.

Intro:पश्चिम चंपारण को उत्तरप्रदेश से जोड़ने वाले एकमात्र एन एच 727 पर जलजमाव के कारण सवारी वाहनों का आवागमन ठप हो गया है। दो दिनों से रुक रुक कर हो रही बारिश ने दशकों से जर्जर हो चुके इस सड़क की स्थिति नारकीय बना दी है। हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि इस सड़क मार्ग से कोई भी यात्री अपना निजी वाहन लेकर जाना नही चाहता। सबसे अहम बात यह है कि वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व को उत्तरप्रदेश के कुशीनगर पर्यटक स्थल से जोड़ने वाला यह एक मात्र नेशनल हाइवे है। ऐसे में पर्यटकों के संख्या में भारी गिरावट आ सकती है।



Body:बगहा को उत्तरप्रदेश से जोड़ने वाला एकमात्र राष्ट्रीय राजमार्ग अपने बदहाली पर आज भी आँसू बहा रहा है। हालत यह है कि यदि बारिश की हल्की फुहार भी पड़ जाए तो पूरे चंपारण का सम्पर्क उत्तरप्रदेश से टूट जाता है और लोग इस जर्जर सड़क पर यात्रा कर मुसीबत मोलना नही चाहते।
बगहा के मदनपुर से उत्तरप्रदेश के पनियहवा रोड को जोड़ने वाली इस एन एच को 1990 के पहले से ही सरकारी उदासीनता का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। अभी तक डॉ जगनाथ मिश्र, लालू यादव , नीतीश कुमार, राबड़ी देवी और जीतनराम मांझी जैसे मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल के बावजूद इस सड़क का कायाकल्प नही हो पाया है। पूर्व में जब तक इस सड़क के मरम्मती व देखरेख का जिम्मा रेल विभाग के पास था तब तक सड़क की स्थिति कमोबेश वर्तमान समय से बेहतर थी। परंतु 1990 में जैसे ही इसको पथ निर्माण विभाग को हस्तांतरित किया गया तो इसकी हालत खण्डहर से भी बदतर होती गई।
गौरतलब हो कि उस समय बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ जग्गनाथ मिश्र और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के बीच एक समझौता हुआ था कि बिहार के हिस्से की सड़क बिहार द्वारा बनवाया जाएगा और उत्तरप्रदेश के हिस्से का सड़क उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा। लेकिन उत्तरप्रदेश की सरकार ने अपने हिस्से तक का सड़क निर्माण कार्य को अमलीजामा तो पहना दिया, बिहार सरकार के वन विभाग द्वारा बिहार के हिस्से वाले एन एच पर पेंच फंसा दिया गया। जबकि 1990 में ही इस एन एच को बनाने के एवज में 61 एकड़ भूमि वन विभाग को अधिगृहित कर दी गई थी। यानी वन विभाग का जितना जमीन एन एच में पड़ रहा था उतना जमीन पथ निर्माण विभाग, वन विभाग को सौंप दिया था। फिर भी वन विभाग के कुछ हठधर्मी अधिकारियों की वजह से इस सड़क का निर्माण कार्य कई दशकों से ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है।
स्थानीय लोगों व यात्रियों का कहना है कि ज्यादा बरसात हो जाने पर यह मार्ग पूरी तरह ठप पड़ जाता है। हालांकि अभी कम बरसात में सिर्फ ट्रेक्टर व ट्रको की ही आवाजाही हो पाती है। लोगों का यह भी कहना है कि यदि गलती से इस सड़क मार्ग में कोई निजी वाहन लेकर घुस भी जाये तो फँस जाता है और जेसीबी की सहायता से निकलना पड़ता है। यहाँ तक कि यदि कोई बीमार पड़ जाए तो चारपाई पर लादकर मुख्य मार्ग पर लाया जाता और वहाँ से गाड़ी से अस्पताल भेजा जाता है। मोटरसाइकिल सवार अगर जाने की हिम्मत जुटा भी ले तो गिरते पड़ते जाना पड़ता है।



Conclusion:बहरहाल एक तरफ सरकार वाल्मीकि टाइगर रिजर्व को पर्यटक स्थल के हब के रूप में विकसित कर पर्यटकों की संख्या में इजाफा करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही वही दूसरी तरफ इस सड़क मार्ग के प्रति पूरी तरह उदासीन बनी हुई है। सड़क मार्ग की बदहाल स्थिति के वजह से आम लोगों को परेशानी तो है ही पर्यटकों की संख्या में भी गिरावट आने का कारण बन सकता है। ऐसे में देखने वाली बात होगी कि सरकार की नजरें इस तरफ कब पड़ती हैं।
Last Updated : Jul 9, 2019, 6:26 PM IST
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