मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर में बच्ची के पेट में बाल होने का मामला सामने आया है. डॉक्टर की टीम ने सफल ऑपरेशन कर 9 साल की बच्ची के पेट से डेढ़ किलो मानव बाल निकाला. सफल ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों ने बाल के गुच्छे को मीडिया के सामने रखा तो सभी हैरान रह गए.
महीनों से पेट में दर्द: दरअसल, यह मामला मुजफ्फरपुर जिले के साहेबगंज का है. साहेबगंज की रहने वाली एक 9 साल की बच्ची के बेट में महीनों से दर्द हो रहा था. परिजनों के मुताबिक उसे भूख नहीं लगती थी. खाना खाने के तुरंत बाद उलटी कर देती थी. इसके बाद परिजनों ने उसे डॉक्टर से दिखाया और जांच करायी तो हैरान करने वाला खुलासा हुआ.
सीटी स्केन निकला बाल: पेट में दर्द की शिकायत लेकर परिजन बच्ची का इलाज कराने एसकेएमसीएच पहुंचे थे. सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में बच्ची को भर्ती किया गया. बच्ची के पेट का एक्स-रे किया गया, जिसमें कुछ संदिग्ध दिखा. इसके बाद डॉक्टरों ने सीटी स्केन कराया, जिसमें बाल दिखा.
ऑपरेशन कर निकाला बाल: बच्ची में खून की कमी थी. पहले उसे खून चढ़ाया गया. इसके बाद पेडियाट्रिक सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. आशुतोष कुमार के नेतृत्व में बच्ची का ऑपरेशन किया गया. ऑपरेशन के बाद उसके पेट से करीब डेढ़ किलो के बाल का गुच्छा निकला गया.
कहां से आया बाल?: डॉक्टरों के अनुसार परिजन ने बताया कि बच्ची मनोरोग से ग्रसित है. परिजन से चोरी छिपे वह अपना ही बाल नोच नोचकर खा रही थी. परिजनों के इस बात की जानकारी नहीं थी. जब पेट दर्द की शिकायत हुई तो अस्पताल लेकर पहुंचे और बाल होने की जानकारी मिली.
"पिछले सात साल से बच्ची बाल खा रही थी. यह ट्राइकोटिलोमेनिया नामक मनोरोग की बीमारी है. उन्होंने बताया कि मरीज को मनोरोग के डॉक्टर से भी दिखाया जाएगा. ऑपरेशन करने वाली टीम में चाइल्ड सर्जन डॉ. नरेंद्र, एनेस्थीसिया के डॉ. नरेंद्र आदि डॉक्टर की टीम शामिल थे." -डॉ. आशुतोष कुमार, पेडियाट्रिक सर्जरी विभागाध्यक्ष
ट्राइकोटिलोमेनिया क्या है?: ट्राइकोटिलोमेनिया (टीटीएम) एक मानसिक बीमारी है. इस दौरान मरीज बार-बार अपना बाल नोचता है. इसे हेयर पुलिंग डिसऑर्डर भी कहते हैं. इस विकार से ग्रस्त व्यक्ति को बाल खींचने की तीव्र इच्छा होती है. यह बीमारी पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा होता है.
ट्राइकोटिलोमेनिया के लक्षण: इस दौरान मरीज अपना बाल खींचता है. इसके साथ बालों का झड़ना, सिर के कुछ जगह पर गंजापन भी इसके लक्षण हो सकते हैं. इसके अलावा मरीज में जल्दीबारी की समस्या होती है. कोई भी काम जल्दीबाजी में करता है और खुद को इससे रोक नहीं पाता है. कोई भी लत नहीं छोड़ पाता है, जो व्यवहार से अच्छा नहीं हो.
ट्राइकोटिलोमेनिया के इलाज: ऊपर दिए गए इस प्रकार का कोई भी लक्षण दिखता है तो डॉक्टर से संपर्क करें. डॉक्टर मरीज की काउंसलिंग करता है. डिप्रेशन की दवा देते हैं. इसके अलावा तनाव से दूर रहना भी इसमें फायदेमंद होता है. इस बीमारी के दौरान मरीज को अकेले नहीं छोड़ना चाहिए.
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