बेतियाः बिहार के बेतिया जीएमसीएच की हालत बदतर स्थिति में पहुंच गई है. यहां जारी नर्सिंग स्टाफ और जूनियर डॉक्टरों के बीच लड़ाई (Fighting in Bettiah GMCH) का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. पिछले 48 घंटे में तीन मरीज अपनी जान गवां चुके हैं. जबकि दर्जनों भर्ती डिलीवरी पेशेंट दर्द से कराह रहे हैं. जो नवजात हैं, उन्हें भी कोई देखने वाला नहीं हैं. परिजन खुद अपने से इलाज कर रहे हैं.
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बेतिया जीएमसीएच में 25 ऐसी महिलाएं भर्ती हैं, जो जिंदगी और मौत से जंग लड़ रही हैं. तो वहीं ऐसी दर्जनों महिलाएं हैं जिनकी डिलीवरी होनी है, वह भी दर्द से कराह रही हैं. अभी तक नर्सिंग स्टाफ और जूनियर डॉक्टरों की लड़ाई के बीच 3 मरीजों ने अपनी जान गवां दी है, अगर समय रहते हड़ताल को खत्म नहीं करवाया गया तो और भी मरीजों की जान जा सकती है.
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वहीं अस्पताल में पहुंचे मरीजों के परिजन और डिलीवरी कराने आई महिलाएं जिला प्रशासन से गुहार लगा रही हैं, उन्हें कोई देखने वाला नहीं है. उनका कहना है कि आखिर 48 घंटे से सरकार और प्रशासन कहां हैं. हमारी परेशानी सरकार को क्यों नहीं नजर आ रही है.
दरअसल बीते 17 फरवरी को बिहार के पश्चिम चंपारण के बेतिया जीएमसीएच में जूनियर डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ के बीच जमकर मारपीट हुई, घंटों बवाल हुआ. इतने बड़े अस्पताल को रणक्षेत्र बना दिया गया. जूनियर डॉक्टरों ने अस्पताल में जमकर तोड़फोड़ की, जिसमें आधा दर्जन नर्सिंग स्टाफ घायल हो गए. जिनका इलाज अभी चल रहा है. इन सब के विरोध में जीएमसीएच के नर्सिंग स्टाफ हड़ताल पर चले गए हैं. जिससे अस्पताल की हालत बदतर हो गई. मरीजों की देखरेख नहीं हो रही है. मरीज इलाज के अभाव में इधर से उधर भटक रहे हैं.
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